
उत्तराखंड संबंधित पौराणिक पात्रों की कहानियां श्रृंखला
295 से बिंडी गढ़वळि कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
महाभारत महाकाव्य म दाशयों कथौं अर चरित्रुं संबंध परोक्ष अर अपरोक्ष रूप से उत्तराखंड से संबंध बताये गे। इनि शांतनु प्रपौत्र विचित्रवीर्य पुत्र सम्राट पांडु क वनागमन को संबंध उत्तराखंड (संभवतः चमोली या रुद्रप्रयाग ) से च।
एक दिन व्यासचट्टी का व्यास ऋषि अड्डा (रिख्यड, उदयपुर पट्टी ) अयां छा अर ऋषियों तै कथा सुणाना छा तो ऋषियों न पांडु पुत्र जन्म कथा सुणनै प्रार्थना कार।
पांडु हस्तिनापुर नरेश धृतराष्ट्र क लघु भ्राता छौ। चूंकि धृतराष्ट्र जनमांध छा तो पांडु तैं राजगद्दी दिये गे। पितामह भीष्म ने पांडु विवाह कुंती अर माद्री दगड़ करवाई। पांडु न कत्ति राजाओं तै जीतिक हस्तिनापुर म मिलैन।
पाण्डु एक दिन वन म शिकार खिलणो जयां छा। तख तौन दूर से एक हिरण द्याख अर अपर तीक्ष्ण तीर चलै दे। स्यु हिरण वास्तव म किंदम ऋषि छा जो अपर कज्याणी दगड़ रति म व्यस्त छा। किंदम ऋषि न पांडु तैं श्राप दे कि तेरी मृत्यु बि पत्नी समागम को कारण होलु। पाण्डु ऋषि हत्या पाप पश्चाताप हेतु गंधमाधन वन जाण चाणा छा तो कुंती अर माद्री बि वन ऐ गेन।
राजा पाण्डु प्रत्येक प्रकार से ब्रह्मचर्य निभाणा छा कि मृत्यु टळेणी राओ। वन म एक दिन पांडु आश्रम ऐन अर तौं से पता चल कि कुंती म एक मंत्र च। कुंती यदि कै बि दिबता आवाहन कार तो दिबता कुंती तैं वांछित फल दींदो छौ।
पांडु तैं पुत्र इच्छा हूण लग गे अर पांडु न कुंती तैं दिबतौं आवाहन करणो पुत्र प्राप्ति क आज्ञा दे।
पैल कुंती न ना बोल दे कि यु ठीक नी च। तब धर्मनिष्ठ राजा पांडु न उद्दालक ऋषि , उद्दालक पुत्र श्वेतकेतु अर श्वेतकेतु मां को एक ऋषि दगड़ समागम की कहानी अर अन्य इनि कहानी सुणैन कि स्त्री तैं कख कख अर कन परिस्थिति म पर पुरुष समागमन सही धर्मनिष्ठ कार्य हूंद।
कुंती मान गे। सबसे पैल कुंती न धर्म तैं आवाहन कार अर पुत्र प्राप्ति क वरदान मांग। धर्म से कुंती तैं युधिष्ठर पुत्र प्राप्त ह्वे।
दुसर दैं वायु क आवाहन से भीम पुत्र ह्वे अर अंत म इंद्र को आवाहन से अर्जुन पुत्र प्राप्ति ह्वे।
तीन पुत्र प्राप्ति उपरान्त कुंती न यु मंत्र माद्री तै सिखाई अर माद्री न अश्विनी कुमार को आवाहन कार जै से नकुल अर सहदेव पुत्र ह्वेन।
बच्चा छुट ही छा कि एक दिन पांडु न माद्री तैं अर्धनग्न देख अर आपा ख्वै दे अर रति क्रीड़ा म संलग्न ह्वे गेन। तड़ाक से पांडु मृत्यु ह्वे गे। माद्री न पांडु मृत्यु तैं अफु तैं दोषी मान अर से बि पश्चाताप हेतु मोर गे।
अब पंची पांडु पुत्र कुंती म छा। कुंती पाँचों तैं लेक हस्तिनापुर ऐ गे।