
उत्तराखंड संबंधित पौराणिक पात्रों की कहानियां श्रृंखला
291 से बिंडी गढ़वळि कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
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उत्तराखंड म रुद्रप्रयाग जनपद म तेईस हजार फ़ीट उच्चो स्थल म द्वादस ज्योतिर्लिंग केदारेश्वर शिवाला च। केदारेश्वर से संबंधित भौत सी पौराणिक कथा प्रचलित छन एक कथा अनुसार केदारेश्वर पांडवों अर पंच केदार , तुंगनाथ , रुद्रनाथ , मद्महेश्वर अर कल्पेश्वर ) से संबंधित कथा भी प्रचलित च।
कथा इन च।
कुरुक्षेत्र म कौरवों अर पांडवों युद्ध ह्वे। लक्ष से बिंडी योद्धा मरे गेन बल। पांडव विजयी तो ह्वेन किन्तु भ्रातृ हत्या को पाप तौं पर चढ़ गे छौ। तै पाप मुक्ति हेतु पांडव भगवान शिव श्री क को शरण म जाण चाणा छा। भवन शिव श्री इथगा लोगों क हत्या से क्रोधित छा तो वो केदार क्षेत्र म चल गेन। पांडव बि पैथर पैथर केदार पौंछ गेन। शंकर श्री न भैसा रूप धारण करी अर हौर गोर -भैंसों मध्य लुक गेन। भीम न द्वी पाख पर अपर खुट फंसे देन , हौर पशु तो भीम क खुटों तौळ बिटेन छिरिक घाटी से भैर ऐ गेन। किंतु शिव श्री उद्यत नि ह्वेन। तब शिव श्री भूमि अंदर घुस गेन। तब भीम न भइसक त्रिकोणात्मक पीठ पकड़ दे।
भगवान शंकर पांडवों क दृढ संकल्प शक्ति , भक्ति से प्रसन्न ह्वेन अर पांडवों तै भ्रातृ हत्या पाप से मुक्त कार। तब बिटेन केदारनीथ म शंकर श्री भैंस क पीठ आकर रूप म पुजे जांदन। पांडवों न शिव पूजा हेतु पंच केदार भूमि म तुंगनाथ , मढ़ महेश्वर , रुद्रनाथ, कल्पेश्वर अर केदारेश्वर म मंदिर स्थापना करिन। नेपाल म पशुपति नाथ क स्थापना पैथर ये कथा प्रचलित च कि पश्पति नाथ पंच केदार को एक भाग (भैस क पीठ का भिन्न भिन्न भाग ) च।