
वियतनामी लोक कथा )
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272 से बिंडी गढ़वळि कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
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आड़ू वृक्ष तै वियतनाम म पवित्र वृक्ष मने जांद। यांक पैथर तौळै कथा प्रसिद्द च –
भौत वर्षों पैलाकि छ्वीं छन। एक पर्वत क टुक्क म द्वी मनिख भलाई करण वळी पारी आड़ू वृक्ष म रौंद छा। यूं देव सामान परियों से दैंत या दुष्टात्मा भय खांद छ अर आड़ू वृक्ष क हलण -डुलण से भि भय खांद छा। पर्वत का निकट सब नागरिक दैंतों क भय से दूर छ अर कारण छौ पर्वत म आड़ू म रण वळी द्वी परी। परइ गाँव वळो रक्षक छा।
परियों तै नया वर्ष म प्रतिवर्ष स्वर्ग क सम्राट म जाण पोडद छौ। परियों तै शंका ह्वे कि जु हमारी अनुपस्थिति म दैंत नागरिकों तै सताला तो बड़ी हानि ह्वे जाली। अर ह्वे बि इनि छौ। परियों क अनुपस्थिति म दैंत गाँव म भय व दुःख पौंछे दींदा छा।
तो परियों न गाँव वळों तै सलाह दे कि प्रत्येक मवस अपर घर न्याड़ आड़ू वृक्ष लगाई द्यावन अर अपर घर आड़ू की टहनी से सजै द्यावन । जो वृक्ष नि उगै साकन वो अपर घर क दीवार व द्वार पर आड़ू टहनी लगाई द्यावंन।
लोक इनि करण मिसे गेन। आड़ू की टहनी हलद -डुलद देखि दैंत समजदा छ कि पारी आड़ू वृक्ष तै हलाणा -डुलाणा छन वो लोगों क न्याड़ -ध्वार नि आंद छा।
तब से वियतनाम म आड़ू वृक्ष तै दैंत को छाया से दूर रखणो माध्यम मने गे जो आज बि च।