
प्रेरक वैज्ञानिक जीवन व वैज्ञानिक शोध कहानियां श्रृंखला
300 से बिंडी गढ़वळि कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
डाक्टर दिलबाग सिंह अठवाल तैं गेंहू क्रांति जनक बुले जांद। डाक्टर दिलबाग सिंह अठवाल का जन्म कल्याण गाँव लायलपुर (पाकिस्तान ) म 12 अक्टूबर 1928 म ह्वे छौ। 1947 म यूंको परिवार भारत पंजाब ऐ गे छौ।
1948 म पंजाब विश्व विद्यालय से डाक्टर दिलबाग सिंह अठवाल कृषि विज्ञान म स्नातक डिग्री प्राप्त कार। यांक उपरान्त डाक्टर अठवाल पंजाब शसन क अंतर्गत बाजरा प्रजनन विभाग म सेवारत ह्वे गेन। अगनै अध्ययन वास्ता डाक्टर दिलबाग सिंह सिडनी चल गेन व तख सिडनी यूनिवर्सिटी बिटेन 1955 म तौंन ‘जनेटिक्स अर प्लांट ब्रीडिंग ‘ म पीएचडी डिग्री प्राप्त कार।
1955 म डाकर सिंह पंजाब कृषि विश्व विद्यालय म प्लांट ब्रीडिंग विभाग का प्रमुख हेतु नियुक्त ह्वेन।
अठवाल को जेनेटिक्स कार्य से भारतीय किसानों तै नई किस्म उत्पादक किस्म का बीज उपलब्ध ह्वेन जो किसानों की पैदावर वृद्धि म सहयक ह्वेन।
1967 म डाक्टर दिलबाग सिंह अठवाल अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI ) से जुड़ गेन।
डाक्टर दिलबाग सिंह अठवाल का कुछ अनुसंधान कार्य :
पंजाब विश्व विद्यालय म बाजरा प्रजनन कार्य म डाक्टर अठवाल न LB 1 हाइब्रिड बाजरा की किस्म पैदा कार जैन भारत की बाजरा पैदावार 3 मिलियन टन से 8 मिलियन टन तक वृद्धि कर दे।
डाक्टर दिलबाग सिंह अठवाल तै मैक्सिको क गेंहू क उपभेदों से नई गेंहू की किस्म विकसित हेतु जणे जयांद।
डाक्टर दिलबाग सिंह न द्वी गेंहू किस्म लरमा रोजा 64 अर पीवी 18 म मिलौट जेनेटिक्स विधि से कल्याण सोना 227 त्यार कार. कल्याण डाक्टर सिंह क गाँव क नाम छौ। ये गेंहू न पैदावार व दिख्यांण दर्शन म क्रान्ति ही कर दे। 1970 क दशक म कल्याण सोना क पैदावार से भारत म गेंहू क भंडार भरेण शुरू ह्वे अर भारत गेंहू पैदावार म आत्म निर्भर ही ना अपितु निर्यात करण लैक देस बि बण गे। डाक्टर अठवाल न ये कार्य म नावेल पुरूस्कार प्राप्त करता नॉर्मन बोरलॉग की भी सहायता ले छे या दगड़ कार्य कार।
1964 म डाक्टर दिलबाग सिंह तैं शान्ति स्वरूप भटनागर पुरुष्कार मील
1975 म भारत सरकार न डाक्टर सिंह तैं पदम भूषण पुरूस्कार दे।
डाक्टर दिलबाग सिंह अठवाल को देहावसान 14 मई 2017 कुण न्यू जर्सी यूएसए म ह्वे।
भारतवासी इन कर्मठ शोधकर्ता का सदा ऋणी राल।