277 से बिंडी कहानी रचयिता : भीष्म कुकरेती
मुंबई को भारतै आर्थिक राजधानी बणनो पैथर टेक्सटाइल मिलों क खुलण एक मुख्य कारण मने जांद। सबसे पैल कॉटन मिल बॉम्बे स्पिनिंग एंड कॉटन मिल छे ज्वा 1854 म खुल । यीं फैक्ट्री स्वामी पारसी उद्यमी छा।
यीं फैक्ट्री खुलणो उपरान्त भौत सा ब्रिटिश उद्यमियों न लोअर परेल , लाल बाग़ म कॉटन मिल खोलिन। सन 1900 से पैलाक छ्वीं छन। तब यूं फैक्ट्रियों म अधिकतर श्रमिक कोंकण का हूंद छा। . कोकण अर्थात मुंबई से लग्यां जनपद – रायगढ़ , रत्नागिरी अर सिंधुदुर्ग। यी श्रमिक मिलों क निकट की खोलियों (झुगी झोपडी ) म किराया या पगड़ी सिस्टम म रौंद छा। .
तब श्रमिक सुविधा अर श्रमिक कल्याण नाम को विचार ही नि छौ। एकि विचार भारत म मिलों म एकि विचार (concept ) चलदो छौ कि श्रमिक से अधिक से अधिक कार्य ल्यावो। ब्रिटिश शासन न जो भि श्रमिक नियम बणैन वो श्रमिक सुविधा हेतु नि छा अपितु ब्रिटिश मिल स्वामियों हित साधनो क नियम छा।
कपड़ा मिलों म कम से कम बारा घंटा कार्य लिये जांद छौ। इन बुले जांद बल तीन दै से अधिक टट्टी पिशाब की अनुमति बि नि छे। मैनचेस्टर म रविवार अवकाश को प्रचलन को कारण इख बि रविवार को अवकाश मिल्दो छौ , बस यो ही श्रमिक कल्याण या श्रमिक सुविधा नियम छौ।
एक कपड़ा मिल छे जैक स्वामी क्वी अंग्रेज छौ बल । तब श्रमिक प्रोत्साहन अर उत्पादन शीलता हेतु एकि विचार छौ कि श्रमिक तबि उत्पादन करदो जब वै तैं भयभीत करे जाय , डंडा बरसाए जाय। . तब मिल को ओर से लंच ब्रेक नाम को क्वी विचार (concept ) नि छौ।.
श्रमिकों तै सबसे बिंडी शारीरिक अर मानसिक समस्या दुफरा भोजन छौ। कोंकणी तब भात या चौंळुं रूटि खांद छा। दिखे जाय तो दिनम-रातम बगैर चौंळ खयां रैइ नि सकद छा। सब श्रमिक घर बिटेन तफिन पर भोजन लांदा छ। श्रमिक फैक्ट्रियों निकट झुग्गियों म रौंद छ। . फैक्टरियों म लंच नियम छौ कि मशीन बंद नि करण। तो जब कै श्रमिक तैं दुफरा भोजन खाण हो तो वैक मशीन तै दुसर श्रमिक द्याखल अर जब दुसर श्रमिक भोजन करणो भैर मैदान या बरामदा म जावो तो पैल जोड़ीदार श्रमिक द्याखल। श्रमिक लंच बि कतामति म लंच करदा छा।
श्रमिकों क विचार छौ कि सब कुण लंच समय निश्चित हो. कुछ प्रतिनिधि उत्पादन प्रबंधकों म गेन। उत्पादन प्रबंधक न भरोसा दे कि वो श्रमिकों की बात स्वामी से कारल। श्रमिक आसा म छा कि मिल स्वामी लंच ब्रेक को टाइम द्याल। सब भल भल सुपिन दिखणा छा। तीन दिन उपरान्त श्रमिकों तै सूचना मील कि उत्पादन मैनेजर तैं जबरन नौकरी से पदच्युत कर दिये गे। चौथ दिन स्वामी क प्रतिनिधि न धमकी दे कि जु बि लंच ब्रेक म मिल मशीन बंद की बात कारल वै तैं मिल से पदच्युत कर दिए जाल।
श्रमिकों की आशा पर तुषारापात ह्वे गे। , नया उत्पादन प्रबंधक से क्या बात करण छे समजिक श्रमिकों न सीधा कॉटन मिल स्वामी से मिलणों समय मांग। यी लोग चार श्रमिक छ जो श्रमिकों क प्रतिनिधित्व करण वाळ छा। तिसर दिन यूं श्रमिकों तैं पदच्युत कर दिए गे। गेट से भितर इ नि आण दिये गे। यी निकट ही घर गेन तो खोळी क स्वामी (झुग्गी ) न खोळी खाली करणों ब्वाल कि अबि खोली खाली कारो।
श्रमिकों मध्य मिल स्वामी की धमकी पौंछ गे छे कि जो भि श्रमिक सुविधा क छ्वीं लगाल वो नौकरी से तो जाल हि खोली से भि जाल।
कुछ दिन श्रमिक अपर श्रमिक भाईयों क नौकरी गंवाण , खोळी खाली करणो क कारण झटका म छा। अर पदच्युत श्रमिकों तै होर मीलों म बि कार्य नि मील अर्थात मिल स्वामियों न संगठित ह्वेक श्रमिकों क विरोध म कार्य निश्चित कर याल छौ।
प्रत्येक भय धीरे धीरे समाप्त हूंदी च तो श्रमिकों क पदच्युत क झटका से श्रमिक उबर गेन अर मिल बंद हूणो उपरान्त सब मिलण शुरू ह्वेन कि लंच ब्रेक हेतु कुछ ना कुछ तो करण ही पोड़ल।
सब श्रमिकों क खोली बि मिल निकर परेल म ही छौ। एक रात खोली म बैठिक श्रमिक नेताओं न निर्णय ले कि बारा बजि सब श्रमिक अपर अपर मशीन बंद कोरी लंच हेतु भैर ऐ जाला। श्रमिक नेता रात भर खोळ्यूं खोळ्यूं म जैक प्रत्येक श्रमिक तेन सहमत करे गे कि भोळ ठीक बारा बजे दिन म प्रत्येक श्रमिक अपर अपर मशीन बंद कौरी बरामदा म ऐ जाला।
ये समय श्रमिक लंच ब्रेक नि मिलण से इन त्रस्त छा कि या बात लीक नि ह्वे अर प्रबंधक लोग श्रमिकों की यीं सकड़ -पकड़ से अनभिज्ञ ही रैन।
दुसर दिन जनि बारा बजिन कि सभी श्रमिकों न अपर अपर मशीन बंद कार अर भैर बरामदा म लंच करणो ऐ गेन। अन्य विभागों क श्रमिक बि सब बरामदा म लंच करणों ऐ गेन अर लंच करण लग गेन। लंच तो क्वी नि छौ करणु पर यि दिखणा छा कि मिल स्वामी क्या करद धौं। शीघ्रातिशीघ्र स्वामी न द्वी श्रमिक नेता बुलैन अर बातचीत कार व लंच ब्रेक हेतु पंद्रह मिनट को समय दिए गे कि बारा बजे से द्वी बजे तक एक साथ ना अपितु अलग अलग समय श्रमिक मशीन बंद कारल अर पंद्रह मिनट म लंच कोरी मशीन म ऐ जालो।
चार पांच दिन उपरान्त श्रमिकों न सूण सब प्रबंधकों व सुपरवाईजरों तै सेवा से पदच्युत कर दिए गे कि जौं तै श्रमिकों क छद्म कार्यों पता नि चौल वो क्यांक प्रबंधक।
श्रमिक आंदोलन की सफलता क समाचार सरा मुम्बई क मिलों म एकि दिन म पौंछ गे। लालबाग , परेल की कुछ कपड़ों की मिलों न अफि लंच ब्रेक को निर्णय ले कुछ मिलों म श्रमिकों तै हड़ताल करण पोड़।
(चेतना मैनेजमेंट कॉलेज का हमारा लेबर मैनेजमेंट अध्यापक प्रोफेसर गाडगिल की कथा पर आधारित )