276 से बिंडी कहानी रचयिता : भीष्म कुकरेती
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ब्यौथा बेटी (विवाह लैक बेटी ) – मम्मी कुछ बि हो तुम तै यु रिस्ता स्वीकार करण इ पोड़ल। अब ना कतै ना /
ब्वे – ह्यां पर लोग क्या ब्वालल ? अपर गढ़वळि समाज क्या ब्वालल ? कि …
बेटी – समाज कुछ दिन ब्वालल फिर कुछ दिन उपरान्त सब बिसर जाल कि …
ब्वे -ह्यां पर त्यार भैजी क्या बुंन्नो होलु यी बि तो …
बेटी – मम्मी भैजी से मेरी बात ह्वे गे। भैजी तो भौत खुस छन ये संबंध से।
ब्वे – अर चचा ?
बेटी – केक चचा ? जब हम तै पिता जी क डेथ उपरान्त ऊंक सहायता की आवश्यकता छे तौन बंटवारा क बात छेड़ दे छे। बुन्नक चचा छन।
ब्वे – पर जब वैवाहिक संबंध की बात हो तो चचा, बैण भणज तै पुछण पड़द।
बेटी – ठीक च ठीक च जब तू रिस्ता स्वीकार कर लेली तो फॉर्मली निभाणो बात कर ल्योला।
ब्वे -पर गढ़वळि समाज मानल कि हम बहुगुणा , त्यार नना जी उनियाल अर वो नेगी छन। लोग क्या ब्वालल कि बहुगुणा नेगी जी की वाइफ ?
बेटी – ममा आजकल तो गढ़वळि क्रिश्चियनों , मुस्लिमों दगड़ ब्यौ करणा छन।
ब्वे – पर नेगी जी क्या बुना छन। वूंक नौनु अर नौनी क क्या विचार च ?
बेटी -नेगी अंकल तो कब से तैयार छन , तेरी स्वीकृति की जग्वाळ म छन। अर ऊंक बेटा अर बेटी दगड़ मेरी बात हो ऊं तै यो संबंध स्वीकार च। तू हां बोल तो मि नेगी अंकल जी अर ऊंक परिवार तै बुलाई द्यूंद।
ब्वे – ठीक च परस्यूं लंच पर बुलै दे। अर द्वी तीन दिन म कोर्ट म ब्यौ कर ल्योला।
बेटी (मां पर जोर से भिंटेक ) – दैट्स ग्रेट। पर मम्मी एक बात बता नेगी अंकल तैं डैडी बुलण सही रालो कि अंकल ही ?
ब्वेन लजैक बवाल – जन तेरी इच्छा।