(वियतनामी लोक कथा )
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272 से बिंडी गढ़वळि कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
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सटी संबंधी द्वी तीन लोक कथा छन। एक या च –
एक समय की छ्वीं छन तख एक विधवा मां अर वींक नौन एक झुपड़ी म रौंद छा। ब्वे बच्चा क लालन पालन म भौत ध्यान दींदी छे। वैक बान भौत परिश्रम करद छे, वैक बान अच्छ अच्छ भोजन रखदी छे। किन्तु बिगड्यूं नौन अपर ब्वेक प्रति निष्ठुर ह्वे गे।
एक दिन ब्वे भौत अस्वस्थ ह्वे अर बचणो हीं आशा छे तो तेन अपर नौनु बुलाई अर वैमा बवाल, ” जब मि मोरल तो म्यार खटला म एक सोना क कण मीलल। ये कण तै एक भांड म धरिक पाणिम डुबैक राजा तैं भेंट म दे दे अर संटवर म भौत सा चांदी अर सोना ले ले। ” इन बोलिक विधवा स्वर्ग सिधार गे।
नौनान अपर ब्वे क सलाह मानिक खटला म धर्युं सोना क कण तै भिगायी अर राजा म संटर्वा कुण राजा म गे। अपर घर बिटेन राजा म जांद जांद सात मैना बीत गेन , ये मध्य तैक बुर हाल ह्वे गेन। वै म न रुपया न कुछ , भूक तीस न बुर हाल छा। इन म वै तै अपर ब्वे दगड़ बुर व्यवहार पर लज्जा आयी।
राजमहल क द्वार पर एक चमत्कार ह्वे वैक भांड बिटेन एक घासक जलड़ उगिक ऐ। जांसे सटी पैदा ह्वे जैकी सुगंध अमृत तुल्य छे। पकाण पर यु अन्न मखन जन स्वादिस्ट लग। वैन राजा तेन सटी दीणो विचार त्याग अपर ब्वे तेन भेंट म दीणो खातिर वैन सट्यूं बीज सरा देशवासियों म बांट दे जां से सरा देस म सटी पौंछ गेन।
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