क्रम संचय व संचय का सिद्धांत प्रतिष्ठापक महान गणितज्ञ माहवीराचार्य
(भारतौ प्राचीन वैज्ञानिक -१४ )
हमर बच्चों तैं पश्चमी देशों वैज्ञानिकों बारा म भौत जानकारी हून्दी किन्तु भारत का प्राचीन क्या वर्तमान वैज्ञानिकों बारा म भौत कम जानकारी रौंदी. कारण च हमर वैज्ञानिकों बाराम हम स्वयं उदासीन छंवां अर हम अपण नन तिनों तै यु ज्ञान नि दींदा तो बच्चा पश्चिमी साहित्य जु सरलता से उपलब्ध च तैं पढ़ी समजदन भारत विज्ञान म हीन च। जबकि इन नि। जनकि परमाणु क बारा म ऋषि कणाद न भारतीय दर्शन म सदियों पैल जानकारी दे छे किन्तु हमर बच्चा नि जणदन। इनि सब पश्चिमी इतिहासकार हिपोक्रेट तैं बाल चिकित्सा का बुबा समजदन जबकि वैद्यराज कश्यप बाल चिकित्सा का बुबा छन।
इनि पाइथोगोरस सिद्धांत बि भारतीय गणितज्ञ बौधायन न सिद्ध करी छौ।
येयी उद्देश्य से कुछ प्राचीन वैज्ञानिकों बारा म संक्छिप्त म जानकारी दिए जाली।)
संकलन – भीष्म कुकरेती
महावीराचार्य नवीं सदी का महान गणितज्ञ छा ; जैन धर्मावलम्बी ऋषि छा अर यूंको जीवन गुलबर्गा (ाजक कर्नाटक ) म बीत। महान गणितज्ञ महावीराचार्य राष्ट्रकुल नरेश अमोधवर्ष I क आश्रयम रैन।
हिन्दुओं दुर्भाग्य च कि आक्रांता कौम मुस्लिम शासन व ब्रिटिश शासन म हमर अन्वेषकों नाम गुम करे गे जनकि महान गणितज्ञ महावीराचार्य क्रम संचय व संचय (Permutation अर Combination ) समीकरणों का प्रथम प्रतिष्ठापक छा किंतु पश्चिम माध्यमों म यूंको नाम छुपाये गे।
महान गणितज्ञ न संस्कृत म ‘गणितसारसंग्रह’ ग्रंथ की रचना कार।
गगणितसारसंग्रह म निम्न विषय छन
१- संज्ञाधिकार (Terminology)
२- परिकर्मव्यवहार (Arithmetical Operations)
३- कलासवर्णव्यवहार (Fractions)
४-प्रकीर्णकव्यवहार (Miscellaneous Problems )
५-मिश्रकव्यवहार (Mixed Problems)
६-त्रैराषिकव्यवहार (Rule of Three )
७- क्षेत्रगणितव्यवहार (measurement of Areas )
८-खातव्यवहार (Calculations about Excavation)
९- छायाव्यवहार (Calculations related to Shadows )
महावीराचार्यन गणित की प्रशंसा करदा बोली बल – बहु प्रलाप से क्या लाभ ? ये चराचर जगत म जो बि च वो गणित बगैर नि ह्वे सकद। अर ना वै तै गणित बगैर समजे सक्यांद।
महावीराचार्य क मुख्य कार्य –
महावीराचार्य न निम्न कार्य करी –
१- क्रमचय व संचय क सिद्धांतों/ सामन्य सूत्रों की प्रतिष्ठा
२- n -डिग्री वळ समीकरणों क हल दे।
३-चक्रीय चतुर्भुज क कई गुणों प्रकाशन
४- महावीरचर्य न बताई बल ऋणात्मक संख्या क बर्ग मूल नि ह्वे सकद।
५-समांतर श्रेणी क पदों क वर्ग वळी श्रेणी क n योग निकाळण
६- आचाय न दीर्घ वृत्त की परिधि व क्षेत्रफल क अनुभवजन्य सूत्र प्रस्तुत कार.
७- व्याज , क्रय विक्रय पर बि कार्य।
८- यूरोप म लघुतम निकालणै विधि अविष्कार १५ वीं सदी म ह्वे किन्तु महावीरचार्य न नवीं सदी म बता दे छौ।
बड़ी संख्या जन महाशंख पर बि यूंको नोखा कार्य छन
महान गणितज्ञ महावीराचार्य क भारत म ी न विश्व गणित म बड़ो स्थान च अर अबि बि उनको कार्य पर अन्वेषण आवश्यक च।