( भारतौ प्राचीन वैज्ञानिक -१३ )
संकलन – भीष्म कुकरेती
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आतंकवादी मुस्लिम शाशकों न व ब्रिटिश राज म भारतीय विज्ञान विकास की हानि ही नि ह्वे अपितु महान वैज्ञानिकों कार्य बि दुराव -छुपाव म छुपाये गे। जनकि महर्षि कणाद का परमाणु सिद्धांत व गति नियम।
वायु पुराण महर्षि कणाद का जन्म स्थल प्रभास पाटण (गुजरात ) बताया बताये गे । मने जांद बल जन्म लगभग ६०० ईशा पूर्व ह्वे।
महर्षि कणाद की महत्वपूर्ण उपलब्धि हिन्दू दर्शन की एक शाखा ‘वैशषिकी’ है जिसका अर्थ है एक्सक्लुजिविटी। कणाद नाम के पीछे हेतु कुछ कु मनण च चूँकि यी केवल कण खांदा छा तो कणाद नाम पोड। कुछ बुल्दन बल चूँकि यूंन कण (परमाणु सिद्धांत दे व्याख्या कर तो कणाद नाम पोड़।
कणाद क परमाणु सिद्धांत – महर्षि कणाद न रॉबर्ट डालटन से १००० वर्ष पूर्व बताये छौ बल पदार्थ परमाणुओं से निर्मित हूंद।
कणाद ने गति के नियम न्यूटन से कहीं पहले बता दिए थे कि –
वेग:निमित्तविशेषातकर्मणो जायते । वेग निमित्तापेक्षात कर्मणो जायते नियतदिक क्रिया प्रबंध हेतु। वेग:संयोगविशेषविरोधी ( वैशेषिक दर्शन )
अर्थात – वेग पाँचों द्रव्यों पर निमित्त व विशेष कर्मों कारण उतपन्न हूंद। नियमित दिशा म क्रिया हूणो कारण संयोग विशेष से उतपन्न हूंद व नष्ट हूंद।
यी द्वी उदाहरण छन जु बतांद न बल –
रॉबर्ट डालटन – परमाणु सिद्धांत जनक नि छौ अपितु वैशेषिक दर्शन संकलक कणाद छा
उनी गति सिद्धांत का प्रथम बताण वळ न्यूटन ना अपितु वैशेषिक दर्शन संकलक कणाद छा