
एम ऐस स्वामीनाथन
प्रेरक वैज्ञानिक जीवन व वैज्ञानिक शोध कहानियां श्रृंखला
300 से बिंडी गढ़वळि कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
एम ऐस स्वामीनाथन एक अनुवांशिकीविद , पादप प्रजन्न शास्त्री , प्रकाशसक अर मावतावादी छा। एम ऐस स्वामीनाथन हरित क्रान्ति वैश्विकवैज्ञानिक नेता छा। भारत क्या एशिया म ग्युं -चौंळ की उपज वृद्धि म एम ऐस स्वामीनाथन को महत्वपूर्ण योगदान च। भारत एक समय ग्युं -चौळौ आयतक छौ आज निर्यातक च तो हरित क्रान्ति वैज्ञानिक एम ऐस स्वामीनाथन अर दिलबाग सिंह अठवाल जन वैज्ञानिकों हथ च।
एम ऐस स्वामीनाथन को जन्म मद्रास प्रेसिडेंसी क कुम्भकोणम, तंजौर जनपद म ७ 7 अगस्त 1925 म ह्वे। स्वामीनाथन केरल के प्रवासी थे। इलै एम ऐस स्वामीनाथन अपर नाम क संग मनकोम्बु लगांदा छा।
बचपन म एम ऐस स्वामीनाथन क सर्जन पिताजी क मृत्यु ह्वे गे छौ अर ऊंक चचा न पालन पोषण कार।
एम ऐस स्वामीनाथन की प्रारम्भिक शिक्षा स्थानीय स्कुल म ह्वे।
महाराजा कॉलेज ,त्रिवेंद्रम केरल बिटेन प्राणीशास्त्र म स्नातक उपाधि अर्जित कार। भारत म अकाळ स्थिति से दुखी व्हेक एम ऐस स्वामीनाथन कृषि ओर बढ़ अर तौंन 1940 -44 तक मद्रास कृषि महाविद्यालय से कृषि विज्ञान म स्नातक की उपाधि अर्जित कार।
1947 म स्वामीनाथन आनुवंशिकी अर पादप प्रजनन अध्ययन हेतु भारतीय कृषि अनुशंधान संस्थान दिल्ली ऐन। 1949 म स्वामीनाथन न साइटोजेनेटिक्स से स्नाकोत्तर की उपाधि अर्जित कार। शोध क विषय छौ ‘ आलू पर जेनेटिकल शोध। ये समय पर स्वामीनाथन प्रशासनिक सेवा क परीक्षा पास कार अर IPS सेवा हेतु चयन ह्वे। ये ही समय नीदरलैंड म यूनेस्को की फेलोशिप म आनुवांशिकी शोध को अवसर बि मील। एम ऐस स्वामीनाथन न आनुवांशिकी चयन कार।
हॉलैंड म शोध
आठ मैना तक नीदरलैंड म वेगेनिगन विश्व विद्यालय आलू आनुवांशिकी पर शोध कार। वेनेगेन यूनिवर्सिटी न बाद म बि भारत म खाद्यान शोध तै प्रभावित कार। ये समय स्वामीनाथन जर्मनी बि गेन।
ब्रिटेन
कैम्ब्रिक विश्व विद्यालय से ‘प्रजाति विभेदन अर जींस सोलेनम ‘ शोध पर पिछड़ी उपाधि प्राप्त कार।
अमेरिका
यांक उपरान्त आलू जनेटिक्स पर शोध हेतु 15 मैना अमेरिका म बिताइन (दिसंबर 1953 तक )। नोबल पुरूस्कार प्राप्तकर्ता जे लेडरवर्ग क दगड़ /तहत कार्य कार।
1954 म सि भारत ऐन अर कुछ समय उपरान्त कटक म केंद्रीय चावल अनुशंधान संस्थान म सहायक वनस्पति शास्त्री रूप म कार्य कार। चावल अनुसंधान क कार्य न बाद म ग्युं अनुसंधान म काम आयी।
अक्टूबर 1954 म स्वामीनाथन तै कृषि अनुसंधान संस्थान म सहायक साइटों जेनेसिस्ट रूप म नियुक्ति मील। अकालग्रस्त भारत क गेंहू आयात क्रियाकलाप की आलोचना करदा छा। (वो देस म अनाज उत्पाद वृद्धि क समर्थक छा इलै)।
स्वामीनाथन अर नॉर्मन बोरलौंग न आपस म सहयोग कार। एक भूखडं म मैक्सिकन बौनी किस्म की पैदावार कार। यु अनुसंधान सफल छौ। उत्पाद उच्च उत्पादकशील , रोग मुक्त अर भल गुणवत्ता क छा। किसान झिझकणा छा। तो अलग भूखंड म ग्युं की नई किस्म क प्रदर्शन करे गे अर अच्छा फल मील व तब किसानों न ग्युं की नई किस्म स्वीकृत कार।
1970 म नॉर्मन बोरलॉग तै नोबल पुरूस्कार मील अर वै से पैल स्वामीनाथन कुण एक पत्र म हरित करानी म भारतीय वैज्ञानिकों , संगठनों , सरकारी योजनाओं की प्रशंसा करे गे।
स्वामीनाथन , दिलबाग अठवाल , गुरदेव खुस जन वैज्ञानिकों क अथक परिश्रम को फल छौ कि भारत न १९७१ म खाद्यान म अफ़ु तैं आत्मनिर्भर घोषित कार।
डाक्टर एम स्वामीनाथन न एक शिक्षक , प्रशासक ,प्रेरक व्यक्ति छा। स्वामीनाथन कमिटी किसानों क समस्यासमाधान हेतु आज भी प्रासांगिक च।
मनकोम्बु सांबशिवन स्वामीनाथन न भौत सा ग्रंथ अर दसियों शोध पत्र जौर्नलों म प्रकाशित करिन।
पुरूस्कार संक्षिप्त विवरण
1967 , पद्म श्री
1971 , रैमन मैगसेसे
1972 पद्म भूषण
1987 विश्व खाद्य पुरूस्कार
1989 पद्म विभूषण
2024 मरणोपरांत भारत रत्न
विश्वविद्यालयों बिटेन मानद उपाधि , सदस्य्ता आदि।
एम ऐस स्वामीनाथन को देहावसान 28 सितंबर 2023 म चेन्नई म ह्वे
जब भी भारत म खाद्य आत्म निर्भरता की छ्वीं लगल तब तब मनकोम्बु सांबशिवन स्वामीनाथन की चर्चा अवश्य ह्वेली।