289 से बिंडी कहानी रचयिता : भीष्म कुकरेती
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ज्योतिर्लिंग अर सियुं हनुमान मंदिर एलोरा (शाहू जी महाराज जनपद ) निकट पवित्र अत्यंत महत्वपूर्ण शिव पूजा स्थल च कैलाश मंदिर। ये मंदिर की विशेषता च कि ये मंदिर म शिव जी क अतिरिक्त महाभारत व विष्णु कथा बि पत्थर पर उकेरीं छन किन्तु मंदिर म हिन्दू धर्मानुसार क्वी पूजा नि हूंद। ये मंदिर को निर्माण राष्ट्रकूट राजाओं द्वारा ह्वे अर राजा कृष्ण प्रथम तै यु सम्मान दिए जांद। मंदिर सत्रह वर्षों म निर्मित ह्वे। मंदिर की विशेषता च कि मंदिर चट्टान तेन मथि से तौळ ओर काटी निर्मित ह्वे अर्थात पैल मंदिर शुखर निर्मित ह्वेन अर अंत म आधार की कटाई ह्वे।
दसवीं सदी म मराठी लोक कथा संग्रह ‘ कथा कल्पतरु’ म एक लोक कथा एलोरा संबंधित बि च। या कथा इन च –
आठवीं सदी म राष्ट्रकूट राजा ऐलु छ जैक शासन ाजक महराष्ट्र पर बि छौ। ऐलु वीर छौ अर ऐलु वीर नाम से जणे जांद छौ। तै राजा कति युद्ध लडिन अर भौत बड़ो भूभाग जीत।
एक समय की बात च राजा ऐलु वीर भौत अस्वस्थ ह्वेन तो वैदकी कराणौ अतिरिक्त रानी न उठाणो धार कि राजा क स्वस्थ हूण पर रानी महादेव को अभिनव मंदिर निर्माण करवाली। जब ऐलु वीर स्वस्थ ह्वे गेन तो रानी न प्रण ले ले कि जब तक महादेव मंदिर नि निर्माण होलु वा भोजन नि चाखली। रानी न सुपिन म मंदिर शिखर देख छौ तो वा शिखर वर्णनकी रट लगानी छे। कति वास्तु विशेषज्ञ ऐन इथगा कम समय म मंदिर निर्माण करणो असमर्थ छा।
तब निकट क स्थान पैठण से एक बुद्धिमान , वास्तु शिल्पी ‘कोकसा आयी अर सलाह दे कि चट्टान काटी पैल महादेव मंदिर शिखर निर्माण कारो व तै शिखर तैं रानी तै दिखाओ तो रानी निखाणो प्रण तोड़ डेली अर तब मथि बिटेन तौळ जीना मंदिर निर्माण कराये जाय।
राजा न यो कार्य महान शिल्पकार कोकसा व तैक परिवार तैं ही दे। कोकसा परम शिव भक्त छौ अर कई सखियों से कोकसा क परिवार शिल्प कार्य म संलग्न छौ। कोकसा का सगा संबंधी भी पारम्परिक तौर पर पाषाण शिल्पी छा जख द्वी वर्षक बच्चों तैं खिलणो छैनी हथोड़ी दिए जांद छौ।
कोकसा व परिवार का विशेषज्ञ शिलिपयों क सर्व प्रथम चट्टान काटी महादेव मंदिर क शिखर निर्मित करिन। तौं शिखरों तै देखि शिव भक रानी न व्रत तोड़ भोजन करण शुरू कार। तब एक उपरान्त चट्टान मथि से तौळ ओर काटि मंदिर निर्माण ह्वे जो अपर समय ही ना आज भी अप्रतिम च। मंदिर क अंतिम चरण को निर्माण शिल्पी कोकसा क पुत्र मानकेश्वर छौ। कैलाश मंदिर शिव लीला व विष्णु लीला कुण समर्पित च। मंदिर म वास्तव म क्वी कर्मकांड पूजा नि हूंदी।
एक हौरि कथा अनुसार जब रानी तैं शिव मंदिर निर्माण की धुन लग तो महादेव श्री न प्रसन्न ह्वेक एक अस्त्र दे जां से पत्थर भाप बण जांद छौ। मंदिर निर्माण पूर हूणो उपरान्त तै शिव दत्त अस्त्र तैं क्खी माटु पुटुक दबाये गे।