
Muhmad Khan : Encyclopedia of Algae from Dehradun
प्रेरक गढ़वाली वैज्ञानिक जीवन व वैज्ञानिक शोध कहानियां श्रृंखला
300 से बिंडी गढ़वळि कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
मीन वैज्ञानिक रिसर्च कन करे जांद , रिसर्च या अन्वेषण को ब्यौरा कन लिखे जांद , ब्यौरा तैं वैज्ञानिक जौर्नलों म कै प्रकार से प्रकाशन हेतु भिजे जयांद , रिसर्च करद दैं दुसर वैज्ञानिकों की सहायता या तौं मंगन कन संदर्भ साहित्य कट्ठा करे जांद, नयी खोज को संक्षेप म लैटिन भाषा म लिखे जयांद यू सब मीन अपर गुरु मुहमद खान से सीख। प्लांट कलेक्शन करण प्रोफेसर सोमदेव शर्मा मंगन बि सीख। डीएवी कॉलेज देहरादून म बॉटनी विभाग म द्वी खोजी वैज्ञानिकों क नाम 1972 -1974 म बड़ो आदरणीय छौ – एक छा प्रोफेसर सोम देव शर्मा (अँजिओस्पर्म रैक्सोनॉमी ) अर दुसर छा डाक्टर मुहमद खान (अल्गी। काई , सिंवळ विशेषज्ञ ) .
सोम देव जी अर मुहमद खान जी द्वी बड़ा परिश्रमी छा। एक अंतर यु छौ कि डाक्टर खान प्रत्येक खोज तैं वैज्ञानिक जौर्नलों म प्रकाशित करवांद छा तो प्रोफेसर सोम देव शर्मा पता नि किलै अन्वेषण प्रकाशन म बिंडी क्या ध्यान ही नि दींद छा।
एमएससी म हमम एक रिसर्च करण आवश्यक छौ तो मि तैं अल्गी (काई , सिंवळ ) विषय मील तो डाक्टर खान म्यार गाइड छा। तब मीन डाक्टर खान से अन्वेषण की तकनीक , अन्य वैज्ञानिकों क दगड़ सम्पर्क करण आदि सबडाक्टर मुहमद खान बटे सीख।
डाक्टर खान क विषय म मीम बिंडी सूचना नी। कुछ सूचना च
डाक्टर मुहमद खान सुल्तानपुर का रौण वळ छा। कृषक घर का छा। काशी विश्व विद्यालय वनारस से डाक्टर महमूद खान न एमएससी अर डाक्टर सर्मा का मार्ग दर्शन म जेनेटिक्स ऑफ कारा (genetics of chara ) म पीएचडी डिग्री प्राप्त कार।
पीएचडी उपरान्त डाक्टर खान की नियुक्ति डीएवी पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज देहरादून म ह्वे। तख तौन देहरादून जनपद की लगभग सब काई (Algae ) क परिवार पर शोध कार व करवाई जो अपणो आप म बड़ो कठिन कार्य छौ। काई म सबसे बड़ी दिक्क्त आंदी छे कि काई का कुछ परिवार क पहचान डिक्सनरी उपलब्ध छे तब। उदाहरणार्थ मीन जन ऊडिो गोनिएल परिवार पर शोध कार तो ऊडिओगोनिएल्स क प्रजाति , जाती , वेरिएंट्स की पहचान हेतु क्वी डिक्सनरी बुक उपलब्ध नि छे। किन्तु डाक्टर खान की पहचान काई अन्वेषकों से छौ तो डाक्टर खान न मेरी पहचान मुंबई म डाक्टर गोंजाल्विज से कराई अर मीन जो बि उडोगोनिएल्स कट्ठा कौर छौ तौंक डाटा लेक मि चार बार डाक्टर गुंजविलज तैं मील तो मेरा पचास से बिंडी प्लांट्स की पहचान ह्वे साक। बॉटनिकल स्वर ऑफ़ इण्डिया देहरादून या फारेस्ट रिसर्च सेंटर म बि ‘अल्गी आइडेंटीफिकेसन की क्वी सहूलियत नि छे।
इन वातावरण म डाक्टर खान न अपर दस वर्ष क डीएवी म सेवाकाल म दस काई परिवारों म शोध करवाई व शोध तैं वैज्ञानिक जॉर्नलों म प्रकाशित करवाई। मेरो एक शोध पेपर फ्रांस से बि प्रकाशित करवाई।
डाक्टर खान को देहरादून तैं अल्गी संसार म नाम पहचान दिलवाण म डाक्टर मुहमद खान को कार्य सदा अम्र रालो।
लगभग 1974 म डाक्टर मुहमद खान न डीएवी छ्वाड़ अर कमला नेहरू इंस्टीच्यूट ऑफ़ सांस सुल्तानपुर म नियुक्ति पायी। डाक्टर खान क देहरादून छुड़नो िपरान्त देहरादून म काई पर शोध लगभग बंद ही ह्वे। चित पुट कार्य ह्वे हवाल संभवतया।
डाक्टर खान अपर छात्रों तैं शोध करण सिखाण म आनंद लीन्द छ अर ऊं प्रोफेसरों की मजाक उड़ांदा छ जो शोध पर ध्यान नि दींद छा। डाक्टर खान म छह मैना पाइलाकि काई खोज पर ज्ञान उपलब्ध हूंद छौ तो हम विद्यार्थियों म नया शोध उपलब्ध ह्वे जांद छौ।
देहरादून कभी बि डाक्टर मुहमद खान क अल्गी शोध को योगदान नि भूल सकद ,