उत्तराखंड संबंधित पौराणिक पात्रों की कहानियां श्रृंखला
292 से बिंडी गढ़वळि कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
20 सहस्त्र फ़ीट म सुमेरु क एक भाग कलिंद यमनोत्री शिखर बिटेन अवतरित हूंदी नदी क नाम यमुना च जो प्रयाग म गंगा से मिल्दी। यमुना गंगा जन ही पवित्र च। गंगा जख नीली (धौळी ) च तो यमुना काळी च (कलिंदा)। यमुना कृष्ण भक्त मने जांद।
यमुना भूमि पर कन आयी पर पौराणिक कथा प्रचलित च।
सूर्य पुत्री यमुना यमराज की बैणि च अर यमराज न यमुना तैं वरदान दियुं च बल जो यमुना म नयालु तै यमलोक क दंड नि भुगतण पोड़ल।
भगवान सूर्य क एक पत्नी नाम संज्ञा देवी छौ। युंक द्वी संतान ह्वेन बेटी यमुना अर बीटा यमराज। द्वी सांवला छया। संज्ञा देवी सूर्य क ताप सहन नि कर सकी अर छाया रूप म रौण लग गे। छाया क द्वी संतान ह्वेन -ताप्ती नदी अर छंछर )शनि ) . छाया अपर सौत्या पुत्र अर पुत्री से डाह करण मिसे गे तो खिन्न ह्वेक यम न यमपुरी बसाई अर उख रौण लग गे। यमुना अपर भाइक मनिखों तेन दंड से दुखी ह्वे गे अर भूमि म पृथ्वी लोक ऐ गे।
जब गंगा यमुना निकट आयी
एक कथा अनुसार ऋषि असित ये क्षेत्र म ऋषि जीवन वितान्दा छा। ऋषि प्रतिदिन गंगा अर यमुना म स्नान करदा छा। जब ऋषि बुड्या ह्वे गेन तो यमुना से दूर हूणो कारण गंगा म जाणो असहाय ह्वे गेन तो गंगा न अपर भक्त पर आश्रीवाद दीणो हेतू अपर उद्गम माणा से गंगोत्री म स्थानांतर कर दे।
कालिंदा क रंग काळो हूण
पैल यमुना या कालिंदा क रंग काळो नि छौ। दक्ष यज्ञ तोड़णो उपरान्त सती क दुःख म भवन शिव विकसजीप अवस्था म विचरण करणा छा। वो इना उन भटकणा छा अर विक्षिप्त अवस्था म तौंन कालिंदा या यमुना म छलांग लगै दे अर तब से शिव ाग्नि कारण यमुना काळी ह्वे गे।