उत्तराखंड संबंधित पौराणिक पात्रों की कहानियां श्रृंखला
293 से बिंडी गढ़वळि कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
यमुना स्नान महिमा कथा अग्नि पुराण की प्रसिद्ध कथा प्रचलित च. कलियुग म भौत समय पैल निधध देस म हेम कुंडल नामौ एक धनी रौंद छौ। तैन भौत सम्पति अर्जित कार। अपर आय को छठों सदा वो भक्ति कार्य म लगांदो छौ। वैन विष्णु मंदिर अर शिव मंदिर निर्माण बि कौर छौ। सदा पूजा करदो छौ आतिथ्य सत्कार करदो छौ। मृत्यु उपरान्त हेम कुंडल स्वर्ग लोक गे।
तैक द्वी मौन छा श्रीकुन्डल अर विकुन्डल। द्वी भक्ति रहित , क्रूर , अंहकारी , मित्रों-संबंधियों क अवहेलना करण वाळ अर विलासी छा। धन तो अर्जित कार नी दुयुंन किन्तु विलासता म सब धन निबटाइ दे। संबध्णहियों दगड़ यूंन भल संभंध नि राख छा तो कैन बि निर्धन बंधुओं सहायता नि कार अर द्वी भाई चोरी चपाती म संलग्न ह्वे गेन। शासन को भय से भयभीत ह्वेका एक पहाड़ों म अर दुसर द्वी वन चल गेन।
एकी दिन बढ़ भै तैं बाघन भकोर दे अर छुट भै तैं गुरान तड़काइ दे. दुई एकी दिन मोरिन।
दुयुं तैं यमदूत यमलोक ल्हीगेन। यमराज न बड़ भै तैं अर छुट भै विकुन्डल तैं सोरग भेज दे।
विकुन्डल तैं पता छौ कि वो बि नरक योग्य ही च। विकुंडलन यमदूत से कारण पूछ। यमदूत न बताई कि तू वन म छौ तो तीन द्वी मैना तक प्रतिदिन यमुना म स्नान कौर छौ। एक मैना क स्नान से तू पाप मुक्त ह्वे अर दुसर मैना स्नान से तू स्वर्ग योग्य ह्वे गे