
( नर नारायण कथा – 4 )
उत्तराखंड संबंधित पौराणिक पात्रों की कहानियां श्रृंखला
300 से बिंडी मौलिक गढ़वळि कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
पूर्वकाल की छ्वीं छन। दम्भोभ्दव नामौ एक प्रतापी सम्राट ह्वे छौ। दम्भोभ्दव आक्रमण , सुरक्षा, युद्ध कौशल म पारंगत छा।
दम्भोभ्दव प्रतिदिन सुबेर सुबेर उठिक ब्राह्मणो अर क्षत्रियों तैं पूछड़छा , ” जग म क्वी इन शस्त्रधारी बि च जो में से बढ़कर हो या सामान भी हो ?” ।
एक सुबेर जब सम्राट न यी प्रश्न तपस्वी ब्राह्मणों तैं पूछ तो सम्राट तैं शिक्षा दिलाणो उद्देश्य से उत्तर दे , ” बद्रिकाश्रम म द्वी उत्तम पुरुष छन जो तपस्यालीन छन अर तौन भौत सा अजेय योद्धाओं क गर्व युद्ध म चूर चूर कार। “
यो उत्तर सम्राट दम्भोभ्दव तैं शूल जन चुभ। सम्राट दम्भोभ्दव अपर अस्त्र शास्त्र अर विशाल सेना लेकि बद्रिकाश्रम म नर नारायण म पौंछ गे।
नर नारायण न वीर योद्धा रूपेण सम्राट दंभोभ्दव को स्वागत वीरोचित शब्दों म कार। अर इना आणों उद्देश्य पूछ।
तब अंहकार म भर्यून दम्भोभ्दव न उत्तर दे , ” मीन अपर बाहुबल से सरा पृथ्वी जीत ाल। अब मि तुमर दगड़ युद्ध करण चांदो। “
नर नारायण न समजायी ” द्याखौ गंधमाधन क्षेत्र युद्धबिहीन, अंहकार अर लोभ से दूर च। क्षेत्र च इखम युद्ध ठीक नी च. जाओ जग म दुसर स्थानों म क्षत्रिय शोधिक युद्ध कारो “
किंतु अहंकारी दम्भोभ्दव दुयुं तै ललकारण म ही लग्युं राई।
तब नर मुनि न एक मुट्ठी सींक चुलैन अर ब्वाल , ” ले अपर अस्त्र शस्त्र उठा अर कौर युद्ध। बिन कारण ब्राह्मणों व क्षत्रियों से युद्ध करण ै तेरी इच्छा मर ही जाली। “
दम्भोभ्दव न नर वध की इच्छा से सब जिना बिटेन वाण छोडिन तो मुनि नर न सींक से सब वाण वींध देन।
तब मुनि नर न तै पर ऐसिकास्त्र प्रयोग कार। जैक निवारण कठिन छौ अर मया द्वारा सींक न दम्भोभ्दव क सेना नष्ट कर दे।
तब दम्भोभ्दव समज गे ार न्र क चरणों म पोड़ गे , ” प्रभो मै क्षमा कारो “
नर न ब्वाल , ” जावो धर्मात्मा बनो अर धर्मात्मा क जीवन व्यतीत कारो “