Toad is God;s Uncle
(वियतनामी लोक कथा )
272 से बिंडी गढ़वळि कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
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भौत समय पैलाकि छ्वीं छन तख एक साहसी किन्तु भद्दो मिंडु क छौ। एक दैं तब तख भयंकर सूखा पड़ गे। पेड़ रंगुड़ बण गेन। गाड , गदन , झील , ताल सब सूक गेन। बड़ा बड़ा पशु जो जंगळ पर शासन करदा छा पाणी बान तरसणा छा। सब निरास छा।
केवल एक मिंडुक म साहस छौ। वैन स्वर्ग जाणो ठान अर भगवान तैं बरखा बरखणों कुण विवस ह्वे जाओ।
वैन हौरूं से समर्थन मांग किंतु कैन नि दे। उल्टां हंसण लग गेन। वो चलदो चलदो एक दलदल म ऐ। तख वै मिंडुक तैं गिगुड़ मील। गिगुड़ मिंडको साथ दीणो उद्यत ह्वे गे।
भौत अगनै मिंडुक अर गिगुड़ तैं बाग़ अर रिक मिलेन। द्वी मरणासन्न छा। दुयूंन बाग़ अर रिक कुण साथ आणों ब्वाल अर गिगुड़न पूछ , ” तुमर क्या हानि ह्वेलि जु तुम हमर दगड़ स्वर्ग चलिला ?”
बाग तो कुछ संशय म छौ किन्तु रिकन ब्वाल , हां स्वर्ग जाण ही मरण से भलु च। “
इन करद करद मिंडुकौ दगड़ भौत सा अन्य पशु बाग , रिक , स्याळ , कुरस्यळ , मधुमखी आणो उद्यत ह्वे गेन।
मार्ग म मिंडकन पशुओं कुण ब्वाल , ” जन मि बुल्ल तुम तन्नि कर्यां। “
स्वर्ग क द्वार से भैर एक बड़ो भारीपाणी भर्युं डिबुल अर एक ड्रम छौ धर्युं। मिंडक न सब्युं कुण ब्वाल , ” गिगुड़ तू डिबुल पुटुक छिप जा अर शेष ड्रम पैथर लुक जाओ। “
सब्युं न उनी कार। जब सब लुकि गेन तो मिंडक ड्रम क अळग कूद अर तीन दैं जोर से कूद जांसे भौत घनघोर की ध्वनि पैदा ह्वे।
स्वर्गौ सम्राट निंद म छौ, उंगणु छौ कि ध्वनि सूणी वेक नींद बिजि गे। सम्राट अति क्रेडिट ह्वे अर वैन गड़गड़ाट करण वळ दिबता (इंद्र समकक्ष ) तै ध्वनि करण वाळ तैं ठीक करणों आदेश दे।
गड़गड़ाट कु दिबता बड़ी धूळ भरी कुलाड़ी लेक भैर ऐ। तेन देखि कि ड्रम म एक पिद्दी सि मिंडकु बैठयूं च। चूंकि वेकि कुलाड़ी बड़ी छे तो इतरु छुट पर लक्ष्य करण असंभव छौ तो वो वापस चल गे अर स्वर्ग सम्राट तै सुचना दे दे. स्वर्ग-सम्राट न अपर मुर्गा भेज कि मिंडकै क कतल कोरी आ।
मुर्गा भैर ऐ दौड़ि किन्तु समिण मिंडुक नि . छौ अपितु स्याळ गिच्च क़ताड़ि छौ खड़ । मुर्गा वापस आयी। स्वर्ग सम्राट न शिकारी कुत्ता भयाज। शिकारी कुत्ता समिण मिंडुक नि आयी बल्कण म रिक आयी। रिक न शिकारी कुत्ता पर जोर को थप्पड़ मार. कुत्ता भाजि गे।
इंद्र (गड़गड़ाट को देव ) दुबर सहायता कुण भिजे गे। मिंडक न मधुमखियों कुण ब्वाल , मधु मखियोंन इंद्र क नाक बुकै दे। डावन इंद्र क छनखा चल गेन वो पाणी जार पुटुक चल गे जख गिगड़ वै तै बुकाण मिसे गे। दिबतान जार तोड़ भैर आयी तो समिण बाग़ खड़ पायी अर दगड़ म दांत दिखांद रिक व भद्दो मिंडक बि। गड़गड़ाटो दिबता दौड़ी भितर आयी अर सम्राट क पैथर लुकि गे।
स्वर्ग सम्राट समझ गे कि जितण कठिन च तो वैन मिंडक पूछ , “
मिंडक न ब्वाल “हम तै बरखा चयेणी च। “
सम्राट न ब्वाल , ” ठीक च मि वायु अर बरखा दिबता कुण बोलिक पृथ्वी म बरखा करांदु। अब तो संतोष च ना ? “
मिंडकन ब्वाल , ” ठीक च जब बि सूखा पोड़ल मि स्वर्ग ऐ जौल। “
स्वर्ग सम्राट भयातुर ह्वे गे। भयभीत सम्राट न ब्वाल , ” ना ना टेरीआवश्यकता नी। जब बि बरखा क आवश्यकता हो तू दांत किटकिट कौर दे बरखा ह्वे जाली। “
स्वर्ग -सम्राट न ब्लैक ड्रैगन तै सब तै पृथ्वी म भिजणो ब्वाल ,ृथ्वी म बरखा ह्वे , सब पशु व पेड़ अब जल से स्वस्थ ह्वे गेन अर तौन मिंडक दल की प्रश्ना कार। अर जब बि बरखा क आवश्यकता हूंदी छे। मिंडक दांत किटकिट करदो छौ बरखा ह्वे जांद छे। इलै इ बुले जांद कि मिंडुक भगवान कु चचा च।