Kwiral (Mountain Ebony) tree Plantation for Medical Tourism in Uttarakhand
(केन्द्रीय व प्रांतीय वन अधिनियम व वन जन्तु रक्षा अधिनियम परिवर्तन के उपरान्त ही सार्थक )
सार्वजनिक औषधि पादप वनीकरण -15
Community Medical Plant Forestation -15
लेखक : भीष्म कुकरेती (विपणन व बिक्री प्रबंधन विशेषज्ञ )
लैटिन नाम -Bahunia variegata
स्थानीय नाम – ग्वीराळ , क्वीराळ
संस्कृत कचनार गंडेरी
पादप वर्णन
ग्वीराळ /क्वीराल/कचनार सुंदरतम पेड़ों में गिना जाता है , इसके फूल फूल माह में देहरियों में डाले जाते हैं। सफेद , बैंगनी फूल रिझाते हैं। 30 फ़ीट तक ऊँचे ग्वीराळ /क्वीराल/कचनार पेड़ उत्तराखंड में धूप वाली घाटियों में 150-1300 मीटर तक की ऊंचाई में बलुई व , खारी जमीन , अन्य चिकनी मिट्टी वाले क्षेत्र में बहुतायत में मिलता है। कचनार , ग्वीराळ , क्वीराळ का चारा , सब्जी , इमरती व उपकरण हेतु लकड़ी , रंग निर्माण टेनिंग , के अतिरिक्त कचनार कई औषधियों में उपयोग होता है। पहाड़ों में गंडक रोग कम होने के पीछे कचनार का भोजन उपयोग भी रहा है।
पद्दाप अंगों का औषधि में उपयोग
छाल
टहनी
फूल
निम्न रोग निबटान हेतु औषधि उपयोग
कफ , सर्दी जुकाम
त्वचा रोग
मुंह सफाई
गंडक समस्या
रक्तस्राव
स्त्रियों के माहवारी रक्तस्राव /प्रदर
कृमि /वर्म्स नाश
स्वास रोग
जलवायु आवश्यकता – दक्षिण , उत्तर उत्तराखंड की पहाड़ियां जहां खुली घाटियां हों। कचनार कुछ समय तक 5 अंश सेल्सियस तापमान सह सकता है किन्तु अति बर्फ अधिक समय तक नहीं सह सकता है। गदन के किनारे धूपेली जगहों जैसे रगड़ , पख्यड़ सही क्षेत्र ,अर्ध /मध्यम छाया क्षेत्र
भूमि – , बलुई , दुम्मट से कुछ कुछ चिकनी मिट्टी तक
फूल आने का समय – वसंत , फली ग्रीष्म में पक्ति हैं।
फल तोड़ने का समय – जब टांटी /फलियां मध्यम पीली -काली पड़ जायँ जो बीजों को निकाला जाता है
बीज बोन का समय – वसंत , बीजों को मंतत वार्म पानी में 12 घंटों तक भिगोया जाता है और तब सुधारी (खोदी , समतल , खादयुक्त ) मिट्टी में बोया जाता है। सिंचाई आवश्यक
रोपण का समय – जब कलियाँ लम्बी आ जायँ तो उखाड़ कर मानसून में रोपण किया जाता है , पहले दो साल कम शीत से बचाव आवश्यक अतः खुली घाटी सही भूमि।
खाद आवश्यकता – पहले पहल
सिंचाई आवश्यकता -शुरुवात में
वयस्कता समय- चार पांच साल
कीड़ों , जीवाणुओं से बचाव आवश्यकहै इसलिए कृपया विशेज्ञों की राय लें
विशेषज्ञों की राय आवश्यक है