उत्तराखंड संबंधित पौराणिक पात्रों की कहानियां श्रृंखला
296 से बिंडी गढ़वळि कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
( मनाली हिमाचल , अर जौनसार क्षेत्र वळ बुल्दन बल हिडिंबा ये क्षेत्र की छे। तो यीं श्रृंखला कुण हिडिंबा कथा प्रासंगिक च। )
एक दैं व्यासी (टिहरी गढ़वाल ) का व्यास हरिद्वार म दक्ष भवन म ऋषियों तैं पौराणिक कथा सुणाना छा। ऋषियों न भीमहिडिंबाब्यौ कथा सुणनो इच्छा बताई। व्यास श्री न कथा इन सुणाइ। –
विदुर की गुप्त भाषा अनुसरण से लक्षागृह से पांडव बच गे छा। अब पांडवों कुण सीधा हस्तिनापुर जाण भयप्रद छौ। लक्षागृह से सि माता कुंती सह घनघोर बौण पुटुक चल गेन अर पांडव देवभूमि म पौछ गेन। चलदा चलदा भीम छोड़ि सब थक गे छा अर एक बौड़ डाळ तौळ पोड़ गेन कि थोड़ा पळेक बिसाये जाय। इथगा म मां कुंती तैं भारी तीस लग़ गे। भीम ही छौ जो दूर से पाणी शोध कौरी ल्है सकुद छौ। भीमसेन तालाव क शोध म गे अर तालाव मिलण पर भीम न पैल स्वयं पाणी पे अर ब्वे -भाईयों कुण तुमड़ी पर पाणी लीगे। बौड़ डाळ तौळ आयी तो क्या दिखुद कि सौब थकान से से गे छा , मां कुंती बि। भीम प्रहरी बणी प्रहरा दीण बिसे गे। रात ह्वे गे छे।
तै वन म रागस हिडम्बअर वैक बैणी हिडिंबा रौंद छा। सि मानव भक्षी रागस छा। हिडंब न अपर बैणि तैं मानव शोध हेतु भेज। हिडिंबा मानव गंध क शोध करद करद बौड़ निकट आयी। तख परहरा दींद हृष्ट पुष्ट , आकर्षक युवा भीम तैं देखि वैपर मोहित ह्वे गे, कामातुर ह्वे गे ।
हिडिंबान माया से एक सुंदर , आकर्षक अप्सरा रूप धारण कार अर भीम क निकट गे। भीम न पूछ , “हे सुंदरी ! तू कुछ छे ?अदा रात म तू कख भटकणि छे। “
हिडिंबान उत्तर दे , ” मि एक रागस परिवारौ छौं। मि तैं म्यार भुला न मनिख शोध हेतु भ्याज कि हम तैं भोजन मिल जावो। मि तुम पर आकर्षक ह्वे ग्यों अर मेरी इच्छा तुम तैं पति रूप म चांदो। मांगलिक मिलन की च। “
भीम बि हिडिंबा प्रति आकर्षक ही नि ह्वे बल्कण कामातुर भि ह्वे गे। अर द्वी आँगन बद्ध ह्वे गे।
उना दुसर ओर हिडंब हिडिंबा क बिलम्ब से विचलित हूणु छौ। वो मनिख गंध सुंगध सक शोध करदो करदो बौड़ डाळ निकट ऐ। तख हिडिंबाअर एक अनजान मनिख आलिंगन बद्ध देखि चकित ह्वे गे। तब हिडंब अस्त्र लेक दौड़न लग गे। हिडिंबा कामातुर छे तो हिडिंबा भै पर क्रोधित ह्वे गे।
कामातुर हिडिंबान भीम तैं हिडंब तै मारणो उत्तेजित कर,” हे प्रिय ! यु मेरो भुला च। यी तै मार द्यावो तब हम कम्यक वन म रमण करला। “
भीम हिडंब दगड़ मल्ल युद्ध करण लग गे। दुयुं युद्ध ध्वनि सूणी कुंती सहित सब पांडव बिज गेन।
अर्जुन न धनुष उठायी किन्तु भीम न तीर मरण तैं ना बोल दे। कुंती न एक आकर्षक नौनी देखि तैं पूछ कि वा को च ? हिडिंबान परिचय दे।
मल्ल युद्ध म भीम न हिडंब मार दे।
हिडंब क मरणो पर हिडिंबा कुंती क चरणों म पोड़। हिडिंबान कुंती से भीम दगड़ ब्यौ क प्रार्थना कार। कुंती न शर्त रख कि भीम हिडिंबा दगड़ तबि तक रालो जब तक संतान नि ह्वे जा।
युधिष्ठिर की शर्त छे कि भीम को ब्यौ हिडिंबा दगड़ रालो किंतु भीम केवल दिन म ही दगड़ रालो किन्तु रात म भीम पांडवों दगड़ सुरक्षा हेतु रालो।
द्वी झण काम्यक वन म वास करण लग़ गेन। एक वर्ष उपरान्त तौंक पुत्र न जन्म ले। पुत्र क मुंड केशविहीन छौ। इलै वैक नाम घटोत्कोच रखे गे। घटोत्कच मायावी छौ जो शीघ्रता से बढ़।
हिडिंबा अर भीम घटत्कोच तैं लेकि पांडवों म गेन। हिडिंबान पुत्र कुंती तैं सौंप अर दूर कखि चल गे। कुंती न घटोत्क्च से ब्वाल , ” तू मेरो सबसे बड़ पौत्र छे। जतेरी सेवा आवश्यक च “
घटोत्कच न ब्वाल , ” ददि जब बि तुम तैं मेरी आवश्यकता हो मि तैं स्मरण करिन तो मि उपस्थित ह्वे जौल “
सबका आशीर्वाद लेक घटोत्कच उत्तराखंड की ओर निकळ गे।