(वियतनामी लोक कथा )
अनुवाद: 250 से बिंडी कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
एक गौँत्या डंग भौत दूर जात्रा कौरि अपर गांव आयी अर अपर गाँव वळों तै एक ‘सत्य कथा ‘ सुणान लग , ” जात्रा म मीन समोदर म एक इथगा लम्बो जल पोत द्याख कि जैकी कल्पना अर व्यख्या अति कठिन च। एक युवा न जल पोत क धनुष (पोत क सबसे अगनै क किनारो ) से जात्रा शुरू कार अर मस्तूल तक पौंछद पौंछद वैक बाळ अर दाढ़ी झम्म सफेद ह्वे गे छे अर मस्तूल तक पौंछण से पैल इ सीओ भगवान तै प्यारो ह्वे गे। “
गांवक एक युवा काडियो न डंग की या कथा सूण तो बुलण लग़ गे , काका जु मीन देख छौ वैक समिण तुमर दिख्युं कुछ बि नी। “
युवा काडियो न कथा सुणाइ , ” मि कुछ दिवस पैलि इन घनघोर जंगळ म ग्यों कि जांक कल्पना मनिख मनिख तो मनिख दिबतौंन बि नि कोरी ह्वेलि। मीन जंगळ म इथगा बड़ा बड़ा डाळ देखिन जौंक ऊंचाई पता लगाण कैक बीएस की बात नी। एक वीर चखुलन पेड़ों क ऊंचाई पता लगाणों प्रयास कार अर वा चिड़िया दस वर्षों तक पेड़ पर चढ़दी गे कि डाळौ चुप्पा म पौंछ साक। बिचारि वीर चखुली बीच म ही मोर गे। “
डंग तै झूठी कथा से रुषे गे अर बिन रोष दिखायुं डंग न ब्वाल , ” सरासर मिथ्या कथा च या। “
डंग की बात सूणी काडिया तैं क्रोध नि आयी , भितर इ भितर हौंस आयी। काडिया न डंग तै समझायी , ” काका! इखम मिथ्या क्या च ? जथगा लम्बो तुमर जलपोत च वै जलपोत तै निर्माणौ कुण इथगा ऊंचा ऊंचा डाळ बि तो प्रयोग ह्वेन जो तुमन नि बतै । अर इथ्गा बिंडी काष्ठ उखन इ ऐन जै जंगळ की छ्वीं मि लगाणु छौं।