प्रेरक वैज्ञानिक जीवन व वैज्ञानिक शोध कहानियां श्रृंखला
270 से बिंडी गढ़वळि कथा रचंदेर : भीष्म कुकरेती
बहुलक्षणी डाक्टर विक्रम साराभाई तैं भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान को जनक ही ना पितामह बि बुले जांद। डाक्टर विक्रम साराभाई वैज्ञानिक ही न अन्य विषयों म बि प्रवर्तक छा जन आइआइएम की स्थापना म योगदान।
विक्रम साराभाई क जन्म 12 अगस्त 1919 कुण अहमदाबाद म अम्बालाल साराभाई क घर ह्वे। अम्बालाल साराभाई व्यापारी व स्वतन्त्रता सेनानियों क सहयोगी छा व यूंक घर रबीन्द्र टैगोर ,मोतीलाल नेहरू , सरोजनी नायडू , श्रीनिवास शास्त्री , जवाहर लाल नेहरू , ऐंड्र्यूज , कृष्णमूर्ति जन मूर्धन्य लोग ठैरदा छा। बालक विक्रम भाई पर यूं भद्र जनों को प्रभाव पोड़।
डाक्टर विक्रम साराभाई क आधारिक विद्यालय शिक्षा प्राइवेट स्कूल म ह्वे।
विक्रम साराभाई मैट्रिक करणों उपरान्त कैम्ब्रिज चल गेन जख तौन 1940 म प्राकृतिक विज्ञानं म ट्राइपोस कार। द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हूंदी सि भारत बौड़ी ऐ गेन अर सर सी वी रमण क तौळ इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बंगलोर म अनुसंधान छात्र रूप म कार्यरत ह्वे गेन।
साराभाई क सौर व भौतिक शास्त्र म रूचि छे तो तौन भारत म कति प्रश्न स्टेशनों क स्थापना कार व आवश्यक उपकरणों क निर्माण बि कार। पुनः कैम्ब्रिक गेन व 1947 म पीएचडी डिग्री प्राप्त कार।
कैम्ब्रिज ब्रिटेन आणों उपरान्त नवंबर 1947 कुण अहमदाबाद एजुकेसन सोसाइटी म एम् जी विज्ञानं संस्थान म भौतिकी अनुसंधान प्रयोगशाला की स्थापना कार। तदनन्तर सीएसआईआर की स्थापना कार व यूं संतानों तै परमाणु विभाग से समर्थन मील।
डाक्टर विक्रम साराभाई क अध्यक्षता म अंतरिक्ष अनुसंधान हेतु एक संगठन रचे गे।
थुम्बा क विशेष चुंबकीय स्थिति हूणो कारण तिरुअनंतपुरम क निकट थुम्बा म प्रथम रॉकेट प्रमोचन स्टेशन (TERLS ) की स्थापना करे गे। परमाणु ऊर्जा क भाभा भी समर्थन मील
नवंबर 1963 कुण सोडियम वास्प नीतभार क सहायता से प्रथम रॉकेट क प्रमोचन ह्वे। जो एक ऐतिहासिक कदम सिद्ध ह्वे। 1965 म संयुक्त राष्ट्र से TERLS तेन मान्यता भी मील।
डाक्टर होमी भाभा क आकस्मिक निधन क उपरान्त डाक्टर विक्रम साराभाई तै परमाणु ऊर्जा आयोग को अध्यक्ष चुने गे , इसरो क जन्मदाता बि डाक्टर साराभाई छा।
डाक्टर साराभाई न इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजेमेंट अकादमी , नेहरू फाउंडेसन क स्थापना बि कार।
विक्रम साराभाई न इसरो क बागडोर डाक्टर अब्दुल कलाम तै दे छे।
1971 म 52 वर्ष की उम्र म तौंक देहावसान हार्ट अटैक से ह्वे। सरा विज्ञान संसार दुःखमयी ह्वे।
डाक्टर साराभाई तै कति पुरुष्कार मिलेन। पदम् विभूषण की परुष्कार मरणोपरांत मील।
डाक्टर साराभाई क अथक प्रयत्न से ही आज भारत स्पेस अनुशंधान म अग्रणी देशों क श्रेणी म आंद।