(वियतनामी लोक कथा )
अनुवाद: 250 से बिंडी कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
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भौत समय पैलाकि छ्वीं छन जब हंग राज्य छौ। एक छौ अनाथ माई एन टाइन (Mai An Tiem ) जु एक बुड्या -बुडड़ी सेवा कोरी निर्धनता म जीवन यापन करणु छौ।
एक रुड्युं दिन राजा हंग अर वैक सभासद , सैनिक उना ऐन। माई एन टाइन न बड़ो आदर सत्कार व लगन से राजा क सेवा कार। राजा अनाथ माई एन टाइन क अनुरागयुक्त सेवा से प्रभावित ह्वे अर निर्णय ले कि माई एन टाइन तैं राजधानी लिए जाय व राज्य सेवक बणाये जाय। राजा अनाथ माई एन टाइन (Mai An Tiem ) तैं राजधानी ल्ही गे अर माई एन टाइन (Mai An Tiem ) तैं अपर व्यक्तिगत सेवा म कार्य दे दे।
समय क संग संग माई एन टाइन बड़ो शक्तिशाली मनिख बणदो गे। अर अपर नैतिक व मूल्य वान संबंधी कार्यों से राजा तै वैन प्रभावित बि कार। राजा बि माई एन टाइन तै प्यार, संबल, दुलार व रक्षा दींदो छौ। इख तक कि राजा न अपर बेटी क हाथ अनाथ माई एन टाइन म दे अर भौत सी अमूल्य भेंट बि दे।
एक दिन माई एन टाइन न सब राजकुमारों तै भोजनार्थ अपर ड्यार बुलाई। सब आनंद लीणा छा। छ्वीं बथ हूणा छा तो सबसे बड़ राजकुमार न बोलि , “
मि सबसे शक्तिशाली व भाग्यशाली छौं किलैकि मि सबसे बड़ राजकुमार छौं। मीन हि राजा बणन। “
इनम दुसर राजकुमार न बोलि , ” राजा तैं शक्तिशाली राजा चयेंद अर मि हि शक्तिशाली राजकुमार छौं। ” इनि छ्वीं पर छ्वीं चलदी गेन।
सब तै ज्ञान छौ बल राजा माई एन टाइन से कथगा प्रेम करदन तो सब्युंन माई एन टाइन से बि राय मांग।
माई एन टाइन न विनय पूर्वक ब्वाल , ” मि सिखणु रौंद कि जु मीम च वे से हि कन आनंद लीण अर सुखी सफल रौण , मि भगवान अर राजा क आभारी छौं कि मीम पद च , धन च अर राजा क प्रेम च पर मि प्रभावित नि हूंद बाह्य चकाचौंध से। “
सबसे कणसो राजकुमार राजा क माई एन टाइन को प्रति प्रेम व समर्थन से ईर्ष्या खांदो छौ। स्यु राजधानी आयी अर ईर्ष्यायुक्त ह्वेक तैन मिथ्या प्रचार कार कि माई एन टाइन घमंडी , राजा क प्रति अनादारी , असहिष्णु च, विश्वासघाती च व राजा तैं गद्दी से उतार बि सकुद।
यूं मिथ्या बथों से राजा क्रोधित ह्वे गे अर राजा न आदेश दे कि माई एन टाइन तैं देश निर्वासन दिए जाय व सैनिकों तैं आदेश दे कि माई एन टाइन तै परिवार सहित वैकि जंग लगीं दाथी अर कुछ बीजों दगड़ एक रेगिस्तानी द्वीप म भिजे जाय व दगड़ म ब्वाल , ” अब दिखुद कि मेरी सहायता बिन माई एन टाइन कन ज़िंदा रौंद धौं। “
दुसर दिन सैनिक माई एन टाइन व वैक पत्नी तैं रेगिस्तानी द्वीप को ओर चलण शुरू ह्वे अर तीन दिन म म छोड़ि ऐ गेन। माई एन टाइन म पुराणी दाथी अर कुछ बीज छा। जब माई एन टाइन पत्नी सहित द्वीप म पौंछिन तो अंद्यर ह्वे गे छौ। रात हूण से पैल तौंन एक उड़्यार ढूंढ अर तख रात काट।
सुबेर द्वी बिजेन। माई एन टाइन न समुद्री भोजन कट्ठा कार अर तब दाथी लेक पहाड़ी ओर गे तख तैन दाथी से भोजनार्थ बांस क बंसकिल काट अर शेष बांस घर निर्माण हेतु बांस काट।
घर बि बण गे। जो छौ तैक समुचित उपयोग से दुयुं क जीवन भल ढंग से चलणु छौ. ये समय म बच्चा ह्वे गे छा। बच्चों क उम्र बि बढ़ गे छौ अर सि बीज अर हौर कंद मूल कट्ठा करदा छा। अर तौं तै सग्वड़ म उगांद छा। माई एन टाइन क मुख्य समय माछ मरण अर पथरीली भूमि तै कृषि लैक बणान म व्यतीत हूंद छौ। माई एन टाइन की पत्नी भोजन पकाण म व्यस्त रौंदि छे। जीवन स्थिर ह्वे गे छौ। जो बि छौ उख पर संतोष करदा छा।
एक इन माई एन टाइन पहाड़ी म छौ कि कुछ कव्वा किवारौळी करणा छा कि तौंक चूंच न कुछ बीज भ्यूं पोड़ि गेन। माई एन टाइन न तौं काळ बीजों तै कट्ठा कार अर पहाड़ी पर भली उपजाऊ भूमि पर ब्वे देन।
कुछ दिन म पूरी पहाड़ी म हरा पौधा , पीलो फूल अर हरा बड़ा फल खिलण लग गेन।
फल देखिक माई एन टाइन की पत्नी न ब्वाल , ” मि तै नि पता यु फल खाण लैक छौ कि ना ?”
माई एन टाइन न फल फाड़िक ब्वाल , ” भैर हरा अर भितर लाल व काळा बीज। चूँकि कव्वौन चुलै तो खाण लैक छा। ” माई एन टाइन न चाख अर ब्वाल , ” रसदार व मिठु च । एक नाम दुआ हाउ धरे जाय “
वूंन बीजों तै ब्वे अर नई फसल उगाई। माई एन टाइन न तै फल क भितर अपर पता लेखि धार अर समोदर म बगै दे। अर इन म भौत बार भौत सा फल समोदर म बगाये गेन। कुछ समय म द्वी तीन व्यापारियों क नाव ऐन। अर तै फल मोल लेकि गेन। फिर हौर बि व्यापरियों क नाव ऐन अर फल मोल लेक चल गेन। इन म माई एन टाइन क जीवन व्यस्त ह्वे गे अर तरबूज क व्यापार चलण लग गे।
एक दिन यु खरबूजा फल राजा क भोजन म पौंछ अर राजा न फल को सोत्र पूछ तो पता चल कि फल को सोत्र माई एन टाइन च।
राजा तै ज्ञान ह्वे अर दुखी ह्वे कि गलत निर्णय लिए गे। राजा न द्वीप से सपरिवार बुलाई अर पुनर्सम्मान दे। देस का लोगुंन माई एन टाइन का प्रति सम्मान दीणो बान पूरो देस म तरबूज की खेती शुरू कार।