पगरियाना (टिहरी ) के नौ खम्बिया तिबारी व भवन में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ कला, अलकंरण, उत्कीर्णन, अंकन
Traditional House Wood Carving Art of, Pagriyana , Ghansali Tehri
गढ़वाल, भवनों (तिबारी, जंगलेदार निमदारी, बाखली, खोली, मोरी, कोटिबनाल ) में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ कला, अलकंरण, उत्कीर्णन, अंकन-660
संकलन – भीष्म कुकरेती
टिहरी के प्रत्येक तिबारियों की सूचना लगातार मिलती रहती हैं। इसी क्रम में आज पगरियाना (घनसाली , टिहरी गढ़वाल ) के नौ ख़मिया तिबारी भवन में काष्ठ कला पर चर्चा होगी।
पगरियाना का नौ ख़मिया / खम्बिया भवन दुपुर व दुखंड है। काष्ठ कला अंकन दृष्टि से खोली व तिबारी (बरामदा ) में काष्ठ कार्य चर्चा हेतु महत्वपूर्ण हैं।
खोली वास्तव में कला दृष्टि से उच्च श्रेणी की है व कुछ कुछ विशेष भी है।
पगरियाना का नौ ख़मिया / खम्बिया भवन के खोली में दो प्रकार के स्तम्भ विशेष हैं। एक प्रकार खोली के द्वारों के हैं व दूसरे प्रकार के स्तम्भ खोली आधार से चलकर ऊपर छपरिका के भी स्तम्भ बन जाते हैं। स्तम्भों के आधार में अधोगामी पद्म पुष्प दल , ऊपर ड्यूल व ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल का अंकन से घुंडियां /घट निर्मित हुए हैं। यहां से खोली के आंतरिक स्तम्भ में ज्यामितीय कटान की कला दृष्टिगोचर होतीहै जबकि बाह्य स्तम्भ में यही पद्म पुष्प दल की पुनरावृति पुनः हुयी है। यहां से बाह्य स्तम्भ ऊपर छपरिका को संभालता है। खोली का मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष में काष्ठ कड़ियाँ हैं जिनमे ज्यामितीय अलंकरण के चिन्ह हैं। शीर्ष कड़ियों के मध्य में देव चिन्ह लगा है।
खोली के शीर्ष /मुरिन्ड के ऊपर छपरिका के नीचे भी काष्ठ आकृति अपने आप में स्मरणीय है। खोली के मुरिन्ड के थोड़ा ऊपर दीवालगीर (bracket ) हैं व ये दीवालगिरि घोड़े या बतख या हंस जैसे आकृति के हैं। व इनके पहलू के ऊपर शंकु आकर की आकृतियां भी लटकती अनुभव होता है। खोली के मुरिन्ड /शीर्ष के ऊपर छपरिका के नीचे एक चौखट आकृति है जिसमें तोरणम दृष्टिगोचर हो रहा है। मध्य में अवश्य ही कोई देव मूर्ति स्थापित है। (छायचित्र में अनुभव ही हो रहा है )
छपरिका के छत के नीचे आधार से काष्ठ शंकु आकर दृष्टिगोचर हो रहे है जो अंकन में आकर्षक होंगे ही।
पहले तल में नौ स्तम्भों की तिबारी (नौ खम्या तिबारी ) स्थापित है। तिबारी का प्रत्येक स्तम्भ खोली के बाह्य स्तम्भ जैसे ही है ( आधार पर कमल दल की आकृतियां व सबसे ऊपर भी कमल दलों की पुनरावृति हुआ है। ऊपर स्तम्भ में एक ओर स्तम्भ थांत (क्रिकेट बैट जैसे ) आकृति लेता है व दुसरे पहलु में तोरणम (arch , मेहराब ) शुरू होता है।तोरणम पर उत्कीर्णन हुआ है किन्तु छायाचित्र में स्वच्छ स्वच्छ नहीं दृष्टिगोचर हो रहा है।
भवन व काष्ठ कला उच्च श्रेणी का है। सभी आकर्षक आकृतियां हैं व अंकन में महीनता दृष्टिगोचर होती है। भवन में काष्ठ पर प्राकृतिक , ज्यामितीय व मानवीय अलंकरण के लक्षण मिलते हैं।
सूचना व फोटो आभार:नत्थी सिंह बर्त्वाल
यह आलेख कला संबंधित है , मिलकियत संबंधी नही है I भौगोलिक स्तिथि और व भागीदारों के नामों में त्रुटि संभव है I
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गढ़वाल, भवनों (तिबारी, जंगलेदार निमदारी, बाखली, खोली, मोरी, कोटिबनाल ) में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ कला, अलकंरण, उत्कीर्णन, अंकन निरंतर चलती रहेगी