
300 से बिंडी मौलिक गढ़वळी कहानी रचयिता : भीष्म कुकरेती
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मनिख निर्माण कौरि भगवान आनंद भवन म आनंद से से गेन। भगवान पुळेणा छा कि मीन मनिख म वो जोड़ दे जो सामान्य पशुओं म नी उतना। भगवान न अपर कृति मनिख म मन अर बुद्धि इथगा जोड़ दे कि जो सामान्य क्या बांदरों म बि भौत हीन छे।
भगवान आनंद भवन म विचारणा छा कि अब मनिख वो कार्य कारल वो सभ्यता उतपन्न कारल जांक कल्पना भगवान न कौर छे। कई मैना ह्वे गे छा भगवान आनंद की नींद म लग्न छा।
एक दिन सुबेर ना अदा रात म महर्षि नारद न जोर जोर से खड़ताल अर वीणा बजैक सरा आनंद लोक म हल्ला मचै दे। शेष क्वी हूंदो तो भगवान श्राप दे दींदा कि इथगा आनंद माय नींद म विघ्न डाळ दे। किन्तु नारद तै श्राप नि दे सकद छा। एक नारद ही च जो भगवान विरुद्ध की पूरी सूचना भगवान तेन दींद छा निथर दिबता तो चमचागिरी क या अपर स्वार्थ हित की ही सूचना दींद छा। भौत दै इंद्र न भगवान की गद्दी छिनणो हेतु कुटिल रणनीति रची तो दिबतौं न क्वी सूचना नि दे पर नारद न समय पर इन्द्र क करतूत की जानकारी देक भगवान तै भगवान रण लैक राख।
भगवान चिर आनंद क दिसाण -खंतुड़ छोड़ि भैर उख ऐन जखम आंदोलन कारी या विरोधी धरना दींदन।
भगवान चतुरता से नारद तैं धरना स्थल से लेकि अपर गुप्त कक्ष म लीगेन जख की सूचना कबि बि कै बि दिबता तैं नि मील सकद छे।
भगवान न पूछ , “यीं रात म ? ‘
नारद जीन उत्तर दे , ” बस बात ही उन च “
भगवान न पूछ < ,” क्या ?
उत्तर दीणों स्थान पर नारद जीन पूछ , ” जब मनिखों न पशिवत ही व्यवहार करण छौ तो मनिख निर्माण की क्या आवश्यकता पोड़ प्रभु ?”
भगवान न उत्तर म ब्वाल , ” इन कन बुलणू छे तू ?”
नारद जीन ब्वाल , ” हां मनिख तो बिलकुल पशुवत व्यवहार करणा छन। “
” इन कन ह्वे सकद ? मन अर बुद्धि अतिरिक्त गुण मनिखों तैं दिए गेन कि वो एक रचित सभ्यता निर्माण कार साकन जो गोरिल्ला, बांदर बि निर्माण नि कौर सकदन। ” भगवान न तर्क म खीजीक ब्वाल।
नारद न बोलि , ” जब निर्माता अपर निर्माण कौरि फकोरि से जा तो यू ही हूंद। “
भगवान न वास्तव म भगवान न मनिख निर्माण उपरान्त पृथ्वी जिना झांक बि नि छौ तो अफ़ु पर क्रोधित ह्वेक भगवान न नर्ड जी से पूछ, ” कनो मनुष्य नई नई सुविधा निर्माण नी करणु। क्या मनिख घर, भोजन , निवास गृह अर औषधि निर्माण नी करणु च ?”
नारद जीन बताई कि मनुष्य बिलकुल थोड़ा सब्य बांदर जन व्यवहार करणु च बस। उनी खुले म रौंद। वन भोजन पर ही निर्भर च। वैन क्वी बि उपकरण नि निर्माण कार जो सुविधा को निर्माण कार साक। भोजन मिल गे तो ठीक निथर भुकि मोर जांदन। “
” क्या पुरुष नारी प्राप्ति हेतु युद्ध नि करदो ? ” भगवान को प्रश्न छौ।
नारद को उत्तर छौ , ” केक युद्ध। यदि क्वी दुसर पुरुष कै पुरुष से स्त्री ल्ही बि गे तो पुरुष पर क्वी प्रभाव नि पोड़द। “
“क्या एक स्त्री दुसर स्त्री सुंदर दिखेणो हेतु श्रृंगार नि करदी ?” भगवान को प्रश्न छौ।
” ना ना ” नॉर्ड को उत्तर छौ।
“क्या मनिखों म अपर क्षेत्र , अपर भूमि हेतु युद्ध , द्वन्द नि हूंद ?’ भगवान को हैक प्रश्न छौ।
नारद जीन ना म मुंड हलायी।
” अर्थात मनुष्य आपस म ईर्ष्या , जलन , प्रतियोगिता , मीम अधिक हो , दुसर हीन हो की भावना से कार्य नि करदन ? भगवान न पुनः प्रश्न कार।
नारद जीक उत्तर छौ , बिलकुल ना मनिख तो प्रतियोगिता हीन च। इन अभिलाषा हीन तो मी बि नि छौं। “
भगवान न पुनः पूछ , ” अर्थात दुसर तैं जळाणो बान कुछ बि नई रचना नि करदो ?”
नारद न ब्वाल , ” हां प्रभो। मनिख तो अति उदासीन च भौतिक सुखों , भौतिक सुविधाओं क प्रति। “
भगवान न कुछ समय आँख बंद कौरि विचार कार। कुछ समय उपरान्त भगवान चिलैन , ” ये मेरी ब्वे ! मीन मनुष्य म मन अर बुद्धि तो डाळ दे किंतु अहम, अभिमान , घमंड , गरूर या अंहकार डळण बिसर ग्यों।
भगवान न कुछ मंत्र बुलेन। अर नारद से ब्वाल , ” एक माह उपरान्त मि तै भूमि क सूचना दे। “
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नारद जी एक माह म भगवान क अंतर्कोठरी म छा अर भगवान जी तै सूचना /प्रतिवेदन करणा छा , ” प्रभु अब तो मनिख ईर्ष्या , जलन, घमंड से भरपूर च भाई भाई क अधिकार छिनणु च , भाई भाई तै जळाणो हेतु नया , नया अस्त्र शास्त्र , नया मकान निर्माण करणु च , दुसर तै दिखाणो अर जळाणो हेतु नया नया भोजन पकांदु अर नई नई औषधि , नई नई कला-तकनीक खोज व निर्माण म व्यस्त ह्वे गे. प्रतियोगिता अब सब स्थलों म घुस गे। “
अब भगवान प्रसन्न ह्वेन अर पुनः आनंद कोठी म निद्रामय ह्वे गेन कि अब मनुष्य स्वयं ही भगवान बणनो प्रयत्न्न म सभ्यता को विकास कारल।