वृक्ष आयुर्वेद रचयिता सुरपाल
(भारतौ प्राचीन वैज्ञानिक -२७ )
संकलन – भीष्म कुकरेती ६ पंक्ति छन।
वृक्षायुर्वेद अर्थात प्लांट पैथोलॉजी क पवाण त सिंधु घाटी सभ्यता व वेद युग म पोड़ी गे छे। पराशर मुनि व बराह मिहिर क ग्रंथों म बि वृक्ष आयुर्वेद क वृत्तांत पूरो मिल्दो , इनि शालिहोत्र क ग्रंथ म बि पेड़ पौधों रक्षा पर वर्णन मिल्दो।
किन्तु पूरो ग्रंथ वृक्ष आयुर्वेद अर्थात वृक्ष रोग व रक्षा पर समर्पित ‘वृक्ष आयुर्वेद’ महान वनस्पति वैज्ञानिक सुरपाल की इ च।
सुरपाल ग्रंथ की खोज वैज्ञानिक नेने न दे छे।
वृक्ष आयुर्वेद का रचयिता १००० AD म दक्षिण म भीमपाल राजक दरबारी छा व कुशल वैद्य व् कवि था। सुरपाल क मनण थौ बल युवावस्था , बिगरैली महिला मित्र , बुद्धिमान मित्र , सुरेलो संगीत एक राजा कुण बेकार च यदि वाइको सुंदर बग्वान नि हो। वृक्ष आयुर्वेद क अन्वेषण व अनुवाद एसियन एग्री -हिस्ट्री फॉउंडेशन अध्यक्ष वाई ेल नेने न करवाई। सुरपाल कृत वृक्षायुर्वेद क पाण्डुलिप ब्रिटेन म ोक्षफोर्ड क बोडलियन लाइब्रेरी म छे।
साथ पृष्ठों क पांडुलिपि म ६० पृष्ठ छन। एक पृष्ठ म ३० अक्षर वळ ६ पंक्ति छन।
महान वनस्पतिशास्त्री ग्रंथ म उपजाऊ मिटटी , कन बड़ा फल फूल उगाये जावन पर। लेखी
ग्रंथ म १७० वनस्पति पर उल्लेख च व ग्रंथ व्यवस्थित ढंग से लिख्युं च।
ग्रंथ म बीज , बीजों दगड़ क्या क्या व्यवहार करण ठीक हूंद , खड़ा खुदण , दवाई उपचार सब पर उल्लेख हुयुं च। वृक्षारोपण , मिट्टी चुनाव, खाद उर्बरक , पोषक तत्व प्रवर्धन , रोग -उपचार आदि सब मुख्य विषय छन ग्रंथ म
ऑर्गेनिक कृषि वास्ता ग्रंथ आज बि प्रासंगिक च।
महान कृषि वैज्ञानिक सुरपाल तै नमन।