(वियतनामी लोक कथा )
अनुवाद: 250 से बिंडी कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
दूर वियतनाम क एक बौद्ध मंदिर बिटेन सोना क फूलदान बलि पूजा उपरान्त उड़न छू ह्वे गे। खुज्याण पर बि नि मील। बलि पूजा समय तखम रूसाळ खड़ो छौ तो तै पर संदेह ह्वे। तब खूब मार पोड़ तो रुसाळ न स्वीकार कौर कि तैन सोना क फूलदान चुराई अर चौक म गाढ़ दे। बतायुं स्थल म खुदाई ह्वे किन्तु फूलदान नि मील। रुसाळ तैं मृत्यु दंड क दंड मील। जब तक तै तैं लटकाये जांदू रुसाळ तेन कोठड़ी म बंद रखे गे।
कुछ हि दिन उपरान्त मंदिर कर्मचारी एक सुनार क दूकान म सोना क जंजीर बिचणो गे। सुनार तै संदेह ह्वे अर सुनार न मंदिर प्रशासन तैं सूचित कार। प्रशासक न कर्मचारी तैं कैद कार अर जंजीर सोना क फूलदान क ही छे। कर्मचारी न स्वीकार कार कि जंजीर सोना क फूलदान क ही च अर फूलदान चौक म गब्याण से पैल वैन निकाळ याल छे। कर्मचारी क सुचना अनुसार सही जगह म सोना क फूलदान मिल गे। रुसाळ अर कर्मचारी क बतायुं स्थान ेकी छौ किन्तु पैल दैं खुदाई कम करे गे छे।
कथा म भौत सा संदेह अज्युं बि छन।