(चबोड़ाचार्य की हास्य व्यंग्य श्रृंखला )
गढ़वळिम सर्वाधिक व्यंग्य रचयिता – भीष्म कुकरेती चबोड़ाचार्य’
वसंत अर्थात पुष्प, मतिहारी सुगंध अर वसंत को अर्थ हूंद बल प्रेम म उमग , प्यार म उलार अर प्रेमिका द्वारा पुनर्मिलन को शत प्रतिशत भरवस दीण । अर भरवस बि इन कि ब्वे बाबुं तैं क्या भाई बैणयूँ तैं बि धोका देकी मिलणो वास्ता आली । मेरी तबै प्रेमिका न मिलन से पैलि संकेत दे दे छा कि वा सरा परिवार दगड़ छल कौरी मिलणो आणि च। तब मोबाइल , ईमेल कुछ नि हूंदा छा किन्तु स्वयंमक रच्यां हस्त संकेत हूंदा छा कि प्रेमी बींग जांद छौ कि प्रेमिका तै कख म कति बजी मिलण।
मेरी प्रेमिका अपर ददि -ददा -भोज का मध्य बैठीं छे अर हथ हि ह्थुं म संकेत दे किमधु मॉस वसंत च तो पटेल नगर कू बगीचा ना ऍफ़ आर आई क कृत्रिम बौण वसंत म अधिक आनन्ददायी होलू अर हमर प्रेम नियम अनुसार वा इति बजि एफारआई क गेट निकट पौंछ जाली अर नियमानुसार मी तै आधा घंटा पैल पौंचण पोड़ल। प्रत्येक प्रेमी प्रेमी का मिल्न नियम अपर अपर सुवधा अनुसार हूंदन।
हम द्वी सही समय पर तत्परता से मिलां। वसंत ऋतु अपर ऊंचाई या चुप्पा म छई। वंसत की रंगत से , निकट का बनि बनि लाल , पीला , नीला , बैंगनी फूलों की मदहोश करदार सुगंध से हम द्वी प्रेमी अलमस्त हूँणा छा अर मस्ती म हम द्वी एक हैंक तै अव्यवहारिक , असंभव प्रोमीस करण लग गे छा। प्रेमिका अगला जनम म बि मेरी प्रेमिका हूणों भरवस दिलाणी छे तो मि सात जन्मों क सौं घटणु छौ। फूलों की सुगंध व मदमस्त करण वळ बयार हवा से बहकी बहकी प्रोमिस तो गिच से अफि झूठा प्रलाप आणा छा । इन नी कि मी इ झूठा सौं घटणु छौ वा बि फूलों सुगंध व वसंत प्रभाव से मदमस्त हूणी छे अर में अधिक अव्यवहारिक प्रोमिसेज करणी छे । मस्ती म मी बि अर वा बि एक पुष्प सूंगी भ्युं चुलणा छ।
आज प्रेम मिलन अर्थात बनि बनि पुष्प सूंगो व तौळ चुलै द्यावो। कुछ देर मतवाला ह्वेक हम दुयुंन कुजाण कथगा पुष्प तोड़िन अर कुचल दिनी। वसंत जनित उन्मत अवस्था म हम पुष्प तुड़न , पुष्प सुंगण अर इन वादा, इन इन प्रतिज्ञा करणा छा कि रति -कामदेव बि शरमै गे होला। हमर हृदय , मष्तिस्क व आँखों म वसंत का प्रभाव शीर्ष पर पौंचदो कि मि तैं छींकणो दौरा पड़ गे। ले छींक , दे छेंक , पतका छींक ह्वे गे। मि पछतावा म छौ कि मीन असंभव प्रॉमिस /प्रतिज्ञा जि कौर तो भगवान न अति छेंक दे दे। म्यार नाक वा आंख लाल च्चकार ह्वे गेन। नाक म्यार बार बार पुंछण से अर आँख कासु से।
छींक पैथर कासु म परिवर्तित ह्वे गे अर अंत म कासौ हुलरी पर हुलरी। प्रेमिका पर रंग से वसंती क रंग उतर गे अर अब वा मेरी छींकाछींक से बेहोश हूण वळ छे। वी तै लग में पर छींकों मिर्गी ऐ धौं। अर कुछ देर उपरान्त वीं प्रेमिका पर बि छींकाछींक शुरू ह्वे गे। जब दुयुं पर अथा छींका छूंकी शुरू ह्वे गे तो कामदेव व रति देव भाजी गेन अर करुण रस क ब्वे बाब ऐ गेन तो हम तै डेर जाणा पोड़ गे। हम ड्यार आणो तयारी म लग गेवां। वा पैल बस म घर गे मि कुछ समय उपरान्त घर औं। मुहल्ला म मि तैं उदासी दिखे, जबकि पड़ोसी खूब हंसणा छा , बाटम छोरा ‘ फील द लव इन द एयर ‘, आर यू माय लव’ जन प्रेम गीत गाणा छा किंतु मेरी जिकुड़ी म तो रंगुड़ पोड्युं छौ।
रात भर छींका छोंकी म बीत। दादी नानी या बोडी काकी क जो बि उपाय बतायां छया मीन अपनाइन किन्तु छेींक हीन नि ह्वेन। सुबेर डा मित्रानंद म ग्यों तो भेद खुल बल मे पर फ्लावर एलर्जी च जो जब बि म्यार नाक म कुछ विशेष पुष्पों परागगण घुस तो मे पर एलर्जी अटैक आयी जाल। अर्थात मैं तैं पुष्पों से दूर ही रौण चयेंद व डाक्टर न चेतावनी दे कि कुछ माटो व सीमेंट से बि एलर्जी ह्वे सकद। डाक्टर न तत्काल लाभार्थ कुछ औषधि दे अर जब बि एलर्जी क अटैक आवो तो क्या क्या औषधि खाणै औषधि बि देन।
मुहल्ला म सूचना प्रसारित ह्वे गे में पर एलर्जी से छींका छुंका ह्वे किन्तु मेरी प्रेमिका पर भी छींका छूंकी ह्वे, डा मित्रानंद न बोल बल हूंद च छींका छूंकी एक हैंक पर सौरद च । प्रेमिका क ब्वे बाब चतुर छा ऊंन अपर बेटी दुसर शहर ममा क इख भेज दे। बस तब बिटेन म्यार ये प्रेम को एलर्जी को कारण अंत ह्वे। भौत वर्षों उपरान्त एक ब्यौ म प्रेमिका मील तो अपर बच्चों तेन वींन म्यार परिचय इन दे , ” यी तुमर ममा जी लगदन अर यूं से दूर ही रौण यूं पर फ्लावर अर डस्ट एलर्जी च। ‘