( कालिदास साहित्य में उत्तराखंड मेडिकल टूरिज्म इतिहास )
उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म विकास विपणन (पर्यटन इतिहास ) -26
लेखक : भीष्म कुकरेती (विपणन व विक्री प्रबंधन विशेषज्ञ )
ऐसा लगता है कुमारसम्भव महाकाव्य अधूरा छूट गया था । कुमारसम्भव वास्तव में कुमार (कार्तिकेय ) जन्म कथा होनी चाहिए किन्तु शिव पार्वती विवाह तक सीमित रह गया है (अमितेश कुमार ) .यद्यपि 17 सर्गों में कुमार सम्भव मिलता है किन्तु विद्वानों का मत है कालिदास 8 सर्ग तक ही रच सके थे।
कुमारसम्भव के प्रथम सर्ग के 14 श्लोकों में हिमालय प्रकृति वर्णन व हिमालय संबंधी कई पौराणिक वर्णन मिलते हैं।
कुमारसम्भव के प्रथम सर्ग के 15 वें सर्ग से भगीरथी -गंगा स्थलों व देवदारु वाले क्षेत्रों का वर्णन है।
कुमारसम्भव के तीसरे सर्ग में गंधमादन के निकटस्त क्षेत्र का वर्णन मिलता है। इस सर्ग में प्राकृतिक छटा का कम वर्णन मिलता है।
कुमारसम्भव के छटे सर्ग में हिमालय का जंगम महामानव रूप में सुंदर वर्णन है। प्रकृति का जैसे देवदारु , गेरू शिलायें, पटाळ , शिलायें , अदि मानवीकृत रूप में वर्णन है।
कुमारसम्भव के सातवें , आठवें सर्ग में घटनाएँ औषधिप्रस्थ और निकट के स्थान मन्दराचल , गन्धमादन में घटित होती हैं। हिमालय प्रकृति छटा वर्णन यदा कदा मिलता है।
वाचस्पति मैठाणी (गढवाल हिमालय की देव संस्कृति , 2004) ने कुमारसम्भव में उत्तराखंड वर्णन का विश्लेषण किया है। कुंवर सिंह नेगी ने (महाकवि कालिदास की जन्मस्थली की खोज) में कालिदास जन्म गढ़वाल में सिद्ध करने हेतु कुमारसम्भव के इन सर्गों का भी संदर्भ दिया है जो कालिदास ने रचे ही नहीं।
औषधिप्रस्थ वास्तव में एक सर्वथा काल्पनिक नगर है जहां जड़ी बूटियों की चमक से रात्रि जगमगाया करती थीं। इस नगर की पहचान आज के संदर्भ में अनिश्चित है।