दख्यट (टिहरी गढ़वाल ) के एक भवन में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ कला, अलकंरण, उत्कीर्णन, अंकन
Traditional House Wood Carving Art of, Dakhyat Ganv , Tehri
गढ़वाल, भवनों (तिबारी, जंगलेदार निमदारी, बाखली, खोली, मोरी, कोटिबनाल ) में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ कला, अलकंरण, उत्कीर्णन, अंकन– 642
संकलन – भीष्म कुकरेती
आज दख्यट के एक विशेष भवन की काष्ठ कला पर चर्चा होगी। प्रस्तुत भवन विशेष इसलिए है कि भवन तिपुर व दुखंड है। भवन के तल तल में काष्ठ संबंधी विशेष संरचना नहीं है। पहले व दूसरे तल (मंजिल ) में जंगले बंधे हैं। प्रत्येक जंगले में आठ आठ बड़े स्तम्भ हैं। स्तम्भ के आधार स्तम्भ मोटे हैं। व आधार में रेलिंग के मध्य लघु स्तम्भ भी हैं।
पहले तल के जंगले ऊपर चपटी लम्बी काष्ठ संरचना लगीं हैं जिसके नीचे वाले भाग में आरी के आरे जैसे आरे हैं।
भवन वास्तव में काष्ठ उत्कीर्णन हेतु महत्वपूर्ण नहीं अपितु जंगलों के निर्माण शैली के कारण महत्वपूर्ण व विशेष है।
काष्ठ कला दृष्टि से दख्यट के भवन में ज्यामितीय कटान से ही लकड़ी पर कार्य हुआ है कोई उत्कीर्णन या अंकन नहीं हुआ है।
सूचना व फोटो आभार: जगमोहन सिंह जयाड़ा
यह आलेख कला संबंधित है , मिलकियत संबंधी नही है I भौगोलिक स्तिथि और व भागीदारों के नामों में त्रुटि संभव है I
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