भोजन पर्यटन विकास -1
Food /Culinary Tourism Development -1
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना – 387
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management -387
आलेख – विपणन आचार्य भीष्म कुकरेती
भोजन का पर्यटन में कई प्रकार के उपयोग
भोजन को पर्यटन दृष्टि से निम्न प्रकारों में विभक्त किया जा सकता है
१- पर्यटन में भोजन सहायक भूमिका में – सभी प्रकार के पर्यटन में पर्यटक स्थल में कई प्रकार के भोज्य पदार्थ आवश्यक है और इस पर पिछले अध्यायों में चर्चा भी हो चुकी है।
२- भोजन से चिकित्सा पर्यटन – आयुर्वेद सिद्धांत का आधार है कि सारी बीमारियों का जड़ भोजन ही है। जलवायु या पृथ्वी के भौतिक परिवर्तन के साथ भी भोजन परिवर्तन आवश्यक है जैसे पहाड़ी गढ़वाल व कुमाऊं में ग्रीष्म ऋतू में मर्सू की रोटी नहीं खायी जाती या रात को दही , उड़द की दाल व दही , छाछ उपयोग नहीं होता था। या बर्फ पड़ी हो तो भट्ट (सोयाबीन ) भुजकर चबाने की रीति थी , बने गरम ग्रामं भट्ट से जुकाम आदि नहीं होता है।
३- केवल भोजन से पर्यटन व्यापार करना – मुंबई के निकट मीरा रोड , वसई , थाने , रायगढ़ जिलों में कई ढाबे या भोजनालय मुंबई के पर्यटकों को आकर्षित कर पर्यटन अवसर पैदा करते हैं। ऋषिकेश या हरिद्वार के लोग शराब व मांश मच्छी भोजन हेतु रायवाला भ्रमण पर निकलते हैं या ढांगू के माळा बिजनी की यात्रा करते है।
अगले कुछ अध्याओं में केवल भोजन से पर्यटन विकास पर चर्चा होगी।
भोजन पर्यटन की परिभाषाएं
भोजन पर्यटन की कई तरह से व्यख्या की गयी है।
अपने निकटवर्ती स्थल छोड़ अपनी रूचि अनुसार भोजन पाने हेतु पर्यटन करना भोजन पर्यटन कहलाया जाता है। जब कोई मानव देहरादून से केवल भोजन या पेय हेतु मसूरी भ्रमण हेतु जाय तो वह भोजन पर्यटन कहलाया जाता है।