जानिये गढ़वाली नाटककार श्री उमेश चमोला के बारे में उनकी जवानी ( श्री से भीष्म कुकरेती की वार्ता )
(अधिकतर समीक्षक किसी नाटककार के नाटकों के बारे में अपनी प्रतिक्रिया देते हैं। कुछ समीक्षक नाटककार को जानते हैं तो नाटककार के बारे में विषय दे देते हैं। एक समीक्षक स्वयं नाटककार भी होता है। तो यह भी आवश्यक है कि नाटककार अपने विषय में स्वयं भी बताये। इस श्रृंखला में मैं गढ़वाली के प्रसिद्ध नाटककारों के बारे में उन्ही की जवानी जान्ने का प्रयत्न करूंगा -भीष्म कुकरेती )
भीष्म कुकरेती – जी नमस्कार। अपने बारे में संक्षिप्त में जानकारी देकर अनुग्रहित कीजिये
उत्तर – जी मैं उमेश चमोला,
जन्म तिथि – 14 जून 1973
जन्म स्थान – ग्राम कौशल पुर, पोस्ट बसुकेदार, रूद्र प्रयाग
आधारिक शिक्षा – प्राथमिक विद्यालय वीरों और बसुकेदार से.
उच्च शिक्षा – एम. एस -सी (वनस्पति विज्ञान ), एम. एड, पत्रकारिता स्नातक, डी. फिल बिड़ला संघटक महाविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल से.
व्यवसाय व आजीविका साधन – शिक्षक
वर्तमान में – जीव विज्ञान शिक्षक
बचपन में सबसे पहला नाटक (रामलीला, कृष्णा लीला या अन्य ) – राम लीला
क्या अपने बादी -बदेण के लोक नाटक देखे हैं ? हाँ, रामी बौराण
कौन कौन से नाटक शिक्षा लेते समय देखे – भस्मासुर, पन्ना धाय का त्याग, अंधा युग, अमर सिंह राठौर, अषाड़ का एक दिन. भक्त प्रहलाद में कक्षा 5 में प्रहलाद की मां कयाधु और बी एड के दौरान बेरोजगार युवक की भूमिका निभाई.
किस नाटककार ने सर्वाधिक प्रेरित किया – भारतेन्दु हरीशचंद्र, धर्मवीर भारती.
भीष्म कुकरेती -अब तक आपने कितने नाटक लिख ?
उत्तर – लगभग 40.
भीष्म कुकरेती – पहला नाटक कौन सा लिखा ?
उत्तर – बेरोजगार की पीड़ा
भीष्म कुकरेती – कितने नाटक प्रकाशित हुए ?नाम दीजिये प्लीज
उत्तर – 1-बंद करो पॉलीथिन 2- मुझे बचाओ 3- गाड़ छाला भूत 4- सामाजिक दूरी, बड़ी जरूरी 5- बणद्यो कि चिट्ठि 6-देव बण 7- शिक्षा पौनों हक 8-रागस अर मंखि 9-सब्बि पिलौला पोलियो ड्राप 10- मंखि, प्रकृति अर आपदा 11- बणाग 12-आपदा अर हमारि आदत 13- डाला नि काटला 14- आओ बचाएँ वर्षा जल 15- मद्य नहीं जीवन अपनाएं 16- प्रदूषण
भीष्म कुकरेती – कौन कौन से नाटक मंचन हुआ –
उत्तर – गाड़ छाला भूत, बणद्यो कि चिट्ठि, बंद करो पॉलीथिन, डाला नि काटला, शिक्षा पौनों हक, नहीं रहेगा जल तो नहीं बचेगा कल,रागस अर मंखि आदि.
भीष्म कुकरेती – किन किन नाटकों का यूट्यूबीकरण हो गया है ? नहीं हुआ
भीष्म कुकरेती – आपके नाटक किस किस वर्ग में आते है –
उत्तर –
विषय- ——————————-नाटक नाम
राजनीति भ्रस्ट तंत्र आदि –
प्रेरक राजनैतिक नाटक
सामजिक बुराई दिखते व समाधान
पलायन दर्शाते नाटक
आजीविकाहीनता व समाधान –
स्वास्थ्य संबंधी
प्रशासनिक भ्रस्ट तंत्र –
वर्ग या वर्ण भेद –
धार्मिक व सांस्कृतिक –
बाल नाटक – बाल नाटक -अधिकांश
शुद्ध व्यंग्य –
शुद्ध मनोरंजन –
स्किट्स या अति लघु नाटक
गीत नाटक – गीत नाटक – डाला नि काटला.
भीष्म कुकरेती – नाटक लिखने से पहले विषय मन में कैसे आते हैं ?
उत्तर – समाज में कोई समस्या दिखाई देती है तो मन में पीड़ा पैदा होती है. बाद में यही नाटक के विषय का रूप ले लेती है.
भीष्म कुकरेती -साधारणतया कितने दिन मन ही मन में नाटक बुनते हो ?
उत्तर – चार पाँच दिन कम से कम,
भीष्म कुकरेती – कितने दिन में नाटक पूरा हो जाता है
उत्तर – दो से तीन दिन
भीष्म कुकरेती – चरित्र चित्रण हेतु क्या तकनीक अपनाते हो ?
उत्तर – अपने आस पास देखे हुए लोगो को ही नाटक के पात्र के रूप में चुनता हूँ. कभी कभी नाटक को रोचक बनाने में वास्तविक समाज के पात्रों में कल्पना का समावेश भी करता हूँ तब ये हाइब्रिड करेक्टर बन जाते हैं.
भीष्म कुकरेती – आपके नाटकों में संवादों के बारे में सयम की राय ?
उत्तर – प्रयास करता हूँ कि संवाद अधिक लम्बे न हों. संवाद लिखते समय मंच पर अभिनेयता का भी ध्यान रखता हूँ.
भीष्म कुकरेती – उद्देश्य को कैसे दर्शकों के सामने लाते हो ?
उत्तर – उद्देश्य नाटक में मर्म के रूप में अप्रत्यक्ष रूप से प्रकट होता है.
भीष्म कुकरेती – वार्तालाप के कुछ उदाहरण दीजिये
उत्तर – राक्षस – हा.. हा.. हा..मैं इस दुनिया में सब जगह फैल गया हूँ। हे मनुष्य!मैं तेरा और तेरी दुनिया का सर्वनाश कर दूंगा.
भीष्म कुकरेती – भाषा कौन सी प्रयोग करते हो
उत्तर
भीष्म कुकरेती – इतर भाषाओं उर्दू , अंग्रेजी , हिंदी का प्रयोग कैसे करते हो ?
उत्तर – हिन्दी में पात्रों के स्तर के अनुरूप
भीष्म कुकरेती – दर्शक भिन्न भिन्न क्षेत्रों के होते हैं तो भाषायी कठिनाई को सुलझाने के लिए क्या करते हो ?
उत्तर – नाटक का माध्यम तो हिन्दी ही रखा जाता है परन्तु क्षेत्र विशेष में प्रचलित कोई शब्द ज्यों का त्यों प्रयोग करता हूँ.
भीष्म कुकरेती – मंचन हेतु क्या क्या कार्य करते हो ?
उत्तर – मंचन से पहले पात्रों की वेशभूषा की पूर्व व्यवस्था आवश्यक है.
भीष्म कुकरेती – निदेशक को ढूँढना या प्रदर्शक को ढूंढा कौन अधिक कारगर साबित हुए हैं ?
उत्तर – दोनों का अपना अपना महत्व है.
भीष्म कुकरेती – गढ़वाली नाटक प्रकाशन की क्या क्या समस्याएं हैं ?
उत्तर – बजट का अभाव, दर्शकों में अपेक्षित रुचि की कमी.
भीष्म कुकरेती – गढ़वाली नाटकों के मंचन की समस्याएं क्या हैं व समाधान (विस्तार से ) –
उत्तर – प्रायोजकों की कमी, लोगों के पास समय का अभाव, बजट की अनुपलब्धता. मेले या विशेष अवसरों पर नाटक के मंचन और प्रदर्शन की व्यवस्था की जा सकती है क्योंकि वहाँ जन समुदाय उपस्थित रहता है. सरकार द्वारा संस्कृति के संरक्षण के अंतर्गत बजट निर्धारित किया जा सकता है. किसी महा पुरुष की जयंती या पुण्य तिथि के अवसर पर उसके जीवन पर आधारित नाटक का मंचन किया जा सकता है.
भीष्म कुकरेती – अपने नाटकों के बारे में में क्या कहेंगे ?
उत्तर – अभी शुरुआती प्रयास किए हैं. अभी बाल नाटकों तक ही अपने को केंद्रित किया है. सामाजिक विदरूपता और व्यंग्य नाटकों पर सृजन किए जाने की आवश्यकता है.
भीष्म कुकरेती -अपने को गढ़वाली नाट्य संसार में कहाँ रखना चाहोगे ?
उत्तर – प्रारम्भिक स्तर पर.
भीष्म कुकरेती – गढ़वाली नाट्य संसार में आपको कैसे याद किया जाएगा ?
उत्तर – बच्चों को प्रेरणा देने का प्रयास करता हुआ एक अध्येता.