गढ़वाली नाट्य मंचन में सुशील कुकरेती का योगदान
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नाम – सुशील कुकरेती
माता – श्रीमती दमयंती डबराल कुकरेती
पिता – श्री कलीराम कुकरेती
जन्म दिन – 25 मई 1962
स्वर्गारोहण – 20 अक्टूबर 2025
जन्म स्थल -जसपुर (मल्ला ढांगू , द्वारीखाल , पौड़ी गढ़वाल )
कर्मस्थली – मुंबई
सुशिल कुकरेती का योगदान मुंबई गढ़वाली नाटक मंचन में बहुत कम दिखाई देगा किन्तु जहां नाटकों का ही अकाल हो वहां जो भी है वह महत्वपूर्ण माना जाएगा।
मुंबई में गढ़वाली नाटक उन्ही समस्याओं से ग्रसित है जो छोटी भाषाएँ सामना कर रही हैं यथा – दर्शक कम होने से कलाकारों की कमी , धन की कमी , प्रदर्शन हेतु चौपाल (मंच न मिलना ) , , रिहर्शल का सदा से मंहगा होना कारण कलाकार एक जगह के नहीं होते , स्पॉन्सरों का न मिलना आदि। नाटक लेखन भी समस्या है। मुंबई में सबसे बड़ी समस्या नाटक विषय की है। यदि विषय गढ़वाली गाँव के न हों तो वे रुचिकर नहीं बन पते व यदि विषय मुम्बी के हों तो गढवालीपन नहीं आ पाटा।
मुंबई में सर्वपर्थम नाटक जीत सिंह नेगी का भारी भूल है। भारी भूल दामोदर हाल में गढ़वाल भ्रातृ मंडल के तत्वाधान में मंचित किया गया। नाटक हिट था और सांस्कृतिक कार्यकर्मों में नाटक हों की पँवाण भी लगी।
किन्तु फिर जब जब नेगी आते कोई नाटक मंचित कर चले जाते जैसे मलेथा की कूल।
बहुत वर्षों तक गढ़वाली नाट्य मंचन में शून्यता ही रही।
जब स्वर्गीय दिन दयाल बलोदी ने ‘ सामाजिक नाटक ‘जागरण ‘ (1962 -63 ) लिखा व दिनेश भारद्वाज व उम्मीद सिंह बिष्ट आदि के सहयोग से यह मंचित हुआ।
दिनेश भारद्वाज ने रामलीलाओं में निर्देशन व स्किट /लघु नाटकों का रिवाज भी डाला। उनके रचित स्किट हसिरस वाले ही होते थे।
उन्होंने मुंबई में ललित मोहन थपलियाल के नाटक भी निर्देशित किये।
दिनेश भारद्वाज के गुरुपद के नीचे ही सुशील कुकरेती ने गढ़वाली नाटकों में भूमिका अदा करनी शुरू की। दिनेश भारद्वाज के मार्ग दर्शन में रामलीलाओं में भी स्किट मंचन करते थे। सदा ही सुशील कुकरेती का झुकाव हास्य व पॉपुलर हास्य की ही ओर रहा। खाडू लापत , बुड्या लापता , मुर्खलया बुड्या नाटकों में भूमिका निभायी .
गढ़वाल भ्रातृ मंडल व चारकोप भ्रातृ मंडल के प्रत्येक कार्यकर्म में सुशील कुकरेती के स्किट्स आवश्यक थे।
गाँव में भी सुशील कुकरेती त्वरित हास्य लोक नाटक रचते थे व मंचित करते थे।
चारकोप में गढ़वाली कार्यकर्मों व गढ़वाल भ्रातृ मंडल मुंबई कार्यकर्मों के दर्शक सुशील की हास्य अदाकारी को सदा स्मरण करेंग।