(वियतनामी लोक कथा )
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270 से बिंडी गढ़वळि कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
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एक समय थी राजपरिवार परिवार का तीन पुत्र छा। तौंक पाप क दंड हेतु स्वर्गक दिबता न सि तलगृह म बंद कर दे छा। जनम को दिबता ‘नाम ताओ ‘तै ज्ञान ह्वे कि सम्राट तैं . उत्तराधिकारिक आवश्यकता च तो तैन स्वर्ग राजा से प्रार्थना कार कि सम्राट तैं यि पुत्र दिये जावन किन्तु पुत्री क रूप म।
कुछ समय उपरान्त रानी गर्भवती ह्वे। तेन तीन पुत्रियों तैं जन्म दे – दिइयू थान्ह , दिइयू आम अर दिइयू थिएन। राजा अप्रसन्न छौ कि नॉन नि ह्वेन।
राजकुमारी दिन दुगनी रत चौगुनी अनुसार बड़ हूंद गेन। तिसरी राजकुमारी भैर अर मानसिक रूप से सुंदर छे. वींक माई /साध्वी बणनै इच्छा छे।
राजा क इच्छा छे कि वैक जंवाई भल , शक्तिशाली होवन कि वो उत्तराधिकारी बण साकन। किन्तु दुर्भाग्य से द्वी जंवाई (त्रिएयू अर मा परिवार ) लालची व राजगद्दी लैक नि छा। राजा नबलपूर्वक तिसर बेटिक ब्यौ करण चाहि कि उचित उत्तराधिकारी मिल जालो। किंतु तिसर तो साध्वी बणन चाणी छे तो वींन ना बोल दे। राजा न स्या कैद कर बगीचा पैथर इकुलास दे दे। दिइयू थिएन तै यो दंड भल लग अर व ध्यान करण मगन रौण लग गे।
राजा न वीं तै पगोड़ा म भ्याज अर पुजारी तै आदेश दे कि थिएन तैं कठोर से कठोर कार्य दिए जाय कि वींक साध्वी बणनै इच्छा समाप्त ह्वे जा।
उल्टां कठिन परिश्रम तै थिएन न परमानंद प्राप्ति क सर्वोत्तम माध्यम समज अर कठिन परिश्रम करण म संलग्न ह्वे गे।
क्रोधित राजा न सेना भ्याज अर पगोड़ा पर आग लगै दे व पुजारी की निर्मम हत्या करवै दे। ये देखिक थिएन न नस काट अर हथ भैर कर दे। स्वर्ग को राजा न थिएन तैं बचै दे। राजा न कैक नि सूणि अर थिएन तेन बीच मैदान म फांसी क आदेश दे दे।
स्ववर्ग क राजा तै जब सूचना मील तो तुरंत तैन एक दिब ता भेज अरवो बाग़ क भेष म राजकुमारी तैं बचैक वो जंगळ म ल्है गे। तब नरक को राजा तैं तै नरक को अठारह श्रेणी म ली गे जख वींन पापियों पर असंख्य अत्त्याचार द्याख । वा करुणा से भर गेहितैसी क्वी ना वैकि तिसर । वींन सर्व हेतु क्षमा मांग।
स्वर्ग को सम्राट न नरक को राजा तैं सब पापियों तै क्षमा करणों आदेश दे। यांक उपरान्त बाग़ दिबता राजकुमारी तैं पृथ्वी पर लै गे।
राजकुमारी थिएन गियाई ओन पगोडा म ध्यान हेतु आयी। भगवन बुद्ध न तैंकी प्रशंसा कार। भगवन बुद्ध न बाग़ दिबता तैं आदेश दे कि राजकुमारी तैं तिच उड़्यार म लिजाणो बोल। उड़्यार म घुसण से पैल भगवान बुद्ध न राजकुमारी तै विमोचन हेतु विमोचन छोया म नयाणो ब्वाल कि वींक सब चिंता समाप्त ह्वे जावन अर वा ठीक से ध्यान कौर साक।
नौ वर्ष ध्यान करण से राजकुमारी म कति इन्द्रजालीय शक्ति ऐ गेन , भगवान बुद्ध न तैंकी प्रशंसा कार अर बोधित्स्व दे दे। कुछ समय म वा तिसर महिला नाम से प्रसिद्द ह्वे गे। व बुध धर्म क प्रसार व सरा जग म शान्ति हेतु कार्यरत ह्वे गे।
जब वींक पिता अति अस्वस्थ ह्वे। कारण वींक द्वी जीजा राजगद्दी हेतु लड़नम व्यस्त छा। राजा तैं बचाणो हेतु कुछ आवश्यकता आवश्यक छे। तिसर महिला न अपर द्वी हथ काटिन अर आँख निकाळ दें किलैकि यी आवश्यक छौ। वा वापस हॉन्ग तिच उड़्यार ऐ गे।
राजा स्वस्थ ह्वे तो वो सपरिवार अपर हितैसी दिखणो हॉन्ग तिच उड़्यार आयी तख वै ज्ञान ह्वे कि हितैसी क्वी ना अपितु वैकि तिसर बेटी च। परिवार न द्याख कि राजकुमारी हथ काट देन अर आँख गाड देन तो सब अति दुखी ह्वेन। तिसर महिला न सांत्वना दे कि चिंता नि कारो , दुखी नि ह्वाओ कारण व बौद्ध सेवा म आनंद लीणी च।
राजा अति दुखी ह्वे कि वैन अपर बेटी दगड़ अत्याचार कार अर क्षमा मांग। . स्वर्ग क सम्राट न तिसर महिला तै सामान्य कार । स्वर्ग क सम्राट न सब तेन निम्न आश्रीवाद दे
तिसर राजकुमारी – करुणा क बोधित्सव
पैली राजकुमारी – बुद्धि क बोधित्सव
दुसर राजकुमारी – नैतिक गुणों क बोधित्सव
राजा – सही धारणा क बोधित्सव
रानी – सही प्रोत्साहन को बोधित्सव
हॉन्ग पगोडा तिसर महिला अर्थात करुणा क वास च।
प्रत्येक वस्तं म इख हॉन्ग पगोडा म सामूहिक त्यौहार हूंद जैमा दूर डोर से लोग सम्मलित हूंदन ।