(वियतनामी सिंड्रेला कथा )
(वियतनामी लोक कथा )
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272 से बिंडी गढ़वळि कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
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एक समौ की छ्वीं छन। द्वी सौत्या बैणी छे टैम अर कैम। टैम क पिता क मृत्यु ह्वे तो सया अपर सौत्या ब्वे अर सौत्या बैणी दगड़ रौण मिसे गे। सौत्या ब्वे दुष्ट महिला छे। टैम म घरक सब कार्य करांदी छे तो कैम आनंद म खेल कूद म हि व्यस्त रौंद छे।
एक दिन टैम अर कैम तैं गिगुड़ अर माछ पकड़नों सट्युं खेत म भिजे गे। परिश्रमी टैम न कार्य शुरू कार अर लगन से माछ -गिगुड़न कंडी भर दे।
बाट म कैम तैं टैम से छल करणो अवसर मिल गे। तैन टैम से ब्वाल , “त्यार बाळ कीच से भर्यां छन। जा तू तालाब म बाळ ध्वेक ऐ जा। ” सरल हृदय की टैम न कैम की सलाह मान अर तालाब म नयाणो चल गे। कैम टैम की माछ -गिगुड़ भरीं कंडी लेक भाजि गे. जब टैम नयेक आयी तो वींक कंडी अर बैणि नि छे वा बींगी गे अर रूण लग गे। वींक रूण सूणी एक जिन्न प्रकट ह्वे। वैन टैम कुण ब्वाल कि वो बचीं कार्प माछ तै परिवारौ कुंवा म डाळ दे अर प्रतिदिन कार्प तै भात खलाण पर ध्यान दे। टैम न कार्प माछ तै कुंवा म डाळ अर प्रतिदिन कार्प तैं अपर भाग क भात खलाण लग गे। टैम कार्प कुण भात खलाणो उद्देश्य से अपर बांठक भात अलग रखदी छे।
एक दिन कैम टैम क पैथर पैथर गे अर वीं तैं प्यारो कार्प क बारा म ज्ञान ह्वे। कैम न सरा बात ब्वे तैं बतै दे।
दुसर दिन सौत्या ब्वेन टैम तै भैंस चराणो दूर भेज दे। अफु सौत्या ब्वे अर कैम कुंवा म गेन , तख तौन कार्प उनी भट्याई जन टैम भट्यांदी छे। अर जाळ से तौन कार्प पकड़ अर भात म मिलैक खै गेन।
स्याम दैं टैम घर आयी अर कुंवा म कार्प तै दिखण लग गे किन्तु कार्प तो कखि नि दिखे तो रूण मिसे गे कि थोड़ा देर म जिन्न दिख्याई। जिन्न न ब्वाल कि माछों हड्डी ले अर पैल भांड म धौर अर तब खटला क क चारों कूण्यों क तौळ दबै दे।
टैम न हड्डी खुजेन पर नि मिलेन। तो वींन मुर्गी भट्याइ अर चौंळ बदल हड्डी खोज अर हड्डी उनी खड्यार दे जन जिन्न न बोली छौ।
शीघ्र हि राजा न लोगों वास्ता एक त्यौहार उरयाई। सरा गाँव क नौनी त्यौहार म जाणो उत्साहित छा किन्तु टैमा सौत्या ब्वे न चौंळ म बोस मिलै दे अर ब्वाल कि चौंळ अर बूस बिंवरिक त्यौहार म ऐ। अर सौत्या ब्वे व् कैम त्युएहर चल गेन। टैम को समज म नि आयी कि क्या करें जाय। इथगा म देवविलाई पक्षियों झुण्ड आयी अर तौन टैम की सहायता कार व चौंळ अर बूस अलग अलगजिन्न कर दे।
इथगा म टैम तैं याद आइ कि तैम तो झुल्ला बि नि छन। इन म पुनः जिन्न परगट ह्ववे। जिन्न न सलाह दे कि खटला तौळ बिटेन चार भांड खोद दे। अर चेतावनी दे कि सुबेर मुर्गा क बांग दीण से पैल घर ऐ जै।
बर्तन खुदद दैं टैम तैं पता चौल कि एक बर्तन म एक लड़की क आधुनिक ड्रेस , स्कार्फ अर टोपी छे , दुसर बर्तन म कढ़ाई कर्यां चप्पलों क जोड़ा छौ , तिसर बर्तन म चार छुट घ्वाड़ा छा जो भैर ऐक बड़ घ्वाड़ा बण गेन अर चौथो म गाड़ी।
त्यौहार म टैम तैं सादा भेस म राजकुमार मील। देर रात तक तौंक छ्वीं लगणा रैन। रत म टैम तैं जिन्न की चेतावनी याद आयी अर वा शीघ्रता म एक चप्पल छोड़ी भागि घर ऐ गे। वै चप्पल तै राजकुमार क नौकर न राजकुमार तैं दे।
दुसर दिन राजकुमार न चप्पल लेक अपर सेवक गांव म भेजिन कि जैं नौनी क खुट पर इ चप्पल ऐ जावन वीं तै लाओ।
राजकुमार क सेवक टैम का घर ऐन तो कैम न चप्पल पैरिक पर्यटन कार किन्तु खुट नि ऐ। टैम का खूट पर चप्पल ऐ गे। टैम तैं सेवक डोला म बिठैक महल ली गेन। तख राजकुमार क ब्यौ टैम से ह्वे।
सौत्या ब्वे अर कैम जळि भुने गेन।
जब टैम क पिताजी बरषि आयी तो सौत्या मां न टैम तै सुपारी क पेड़ म चढ़णो ब्वाल अर जनि टैम सुपारी पेड़ म चौढ़ कि सौत्या ब्वेन पेड़ काट दे। टैम तालाब म डूबि मोर गे। अर कनि कै बि कैम टैम क स्थान पर राजकुमार की पत्नी बण गे।
टैम मोरी तो वा बुलबुल बण गे छे। एक दिन कैम जब कपड़ा धूणी छे तो व महल म उड़ी गे। बुलबुल न गायी , ” जब तू पति क कपड़ा ध्वे तो स्वच्छ ध्वे , जब टांगी तो सावधानी से कि फट नि जावन। ” कैम एकदम हीनता अनुभव करण मिसे गे अर वीं तै विश्वास ह्वे कि बुलबुल टैम की आत्मा च।
अब वा महल क न्याड़ ही रौंद छे। जख बि राजकुमार जांद छौ वा गाना गांदी छे। एक दिन राजकुमार न अनुभव कार अर ब्वाल , ” यदि तू मेरी पत्नी की आत्मा छे मेरो शाही वस्त्र क आस्तीन पुटुक बैठि जा ” टैम न उनि कार अर तब बिटेन द्वी अविभाज्य ह्वे गेन। राजकुमार न कैम की उपेक्षा शरू कर दे।
कैम न अपर ब्वे तैं पूछ कि क्या करण। तो मां की आज्ञानुसार कैम न बुलबुल पकड़ी खाणो व्यवस्था कार। बुलबुल क पंखर बगीचा म पोड़ गेन।
बुलबुल का पंख खुबानी पेड़ बण गेन। राजकुमार जब बि बगीचा म जावो तो खुबानी क क फौंटी राजकुमार म छाँव दीणो झुकाई लींद छै। कैम समज गे कि खुबानी ही टैम च। कैम न सेवकों से खुबानी कटवाई, जळवाई अर रंगुड़ दूर पुंगड़ म फिंकवै दे। तै खेत म राख एक सुनहरा सेव क पेड़ म परिवर्तित ह्वे गे। सेव न एकि फल दे। फल अति आकर्षक छौ। एक बुडड़ी न फल लींद ब्वाल , ” तू म्यार हथ म गिर मि त्वै तै सजैक रखुल , कबि नि खौंलु ” फल बुढ़िया क हथ म गिर , बुडड़ी क फल कक्ष म लिजांद इ सुगंध से भर गे।
बुडड़ी जनि भैर जा टैम जो फल क अंदर छे भैर आओ अर बुडड़ी क घर की तै स्वच्छ कर दींदी छे अर भोजन पकै दींदी छे । एक दिन बुडड़ी अपर सहायक तै पता लगाणो हेतु नकली रूप म भैर गे अर लुक गे। फल से टैम आयी अर झाड़ू -पोछा करण मिसे गे अर वींन भोजन पकाई। बुडड़ी दौड़ कैक गे अर टैम पर भींटे गे। बुडड़ी न फल क छुक्यल उतार दे कि वा सदा वींक दगड़ रै साक।
टैम की सायता से बुड ड़ी न शराब खाना ख्वाल अर टैम तख सुपारी बणाण म बुडड़ी सायता करदी छे।
एक दिन तख राजकुमार शराब क दुकान क पास से गुजर अर तैंन तख फ्रेनिकष क पत्तियों तरां सजी सुपारी देख अर तै तैं टैम की याद आयी। राजकुमारन बुड ड़ी पूछ कि सुपारी कैन सजाई तो बुडड़ी न बताइ कि वींक बेटिन। राजकुमारन बेटी बुलाई अर वो टैम तैं पछ्याण गे। वो टैम तैं राजमहल लीग। अब राजकुमार राजा छौ अर टैम रानी। राजा कैम अर कैम की ब्वे तैं मौत क दंड दीण चाणु छौ किंतु टैम न बोलि कि यूं तैं क्षमा कारो अर दूर देहात म भेज द्यावो।
कैम न टैम तैं पूछ कि तू इतना कार्य क उपरान्त बि बिगरैल कन रौंदी। टैम न ब्वाल कि मि प्रतिदिन तातो पाणी से नयांद। तब टैम तातो पाणि से नयायी अर वींन तातो पाणी कैम पर फेंक दे , कैम जळी मर गे।
टैम न कैम क मॉस को अचार बणवाई अर एक जार म कैम की बवेम भेज दे। तख अज्ञानता म कैम की ब्वे चाव से मांस क अचार खाण लग गे तो मोरी म बैठयूं कवा न ब्वाल , ” वह क्या बात मांस इतना स्वादिष्ट च कि ब्वे बेटिक मांस खाणी च। “
कैम क ब्वे न झूठ समझ किन्तु जब जार क तौळ मानव खोपड़ी मील तो कैम की ब्वे भौत दुखी ह्वे अर भारी दुःख म मोर गे।