मजदूर
सुबेर उठी जांदू काम पर
काम करदू तड़तड़ा घाम पर
दिन भर कर्दु मजुरि
या च तेकि मजबूरी।।
पैसा ह्वेक हम कना
अपडा-अपडा शौक पूरा
पर जथ्या तौका शौक छिन
सब छिन अधूरा।।
हाथ बण्यां लत-पत
नि करदा कै चीजे खत
अपडु घर च टूट्यूं
होरु बणौंदा फसक्लास
कबार होलु काम पूरु लगोंदा यनि आस।
.हमारा घर बणौंदा मजबूत
अपड़ा कच्चा
कतरि बार भूखा भी रंदन
तौंका बच्चा।
खांणा बर्तन पड्यां खाली
खुटी नी साफ पड़ी तौपर छाळी
छवट्टा से लेकर बडा तक लगयां छिन काम पर
नि खुजोंदा छैल काम करदा घाम पर।।
———-@रतन राणा, (छात्र कक्षा-9)
राउमावि पालाकुराली रूद्रप्रयाग ।