250 से बिंडी खानी रचंदेर : भीष्म कुकरेती
सुरजी तैं पूरो विश्वास छौ कि यु तो ना नि ब्वालल। भल परिवार सभ्य परिवार क छन तो कुरूपता क विरुद्ध तो नि हला। पर सभ्य , भद्र लोक व भल परिवार दिखाणो हूंद। सब भद्र लोक बि रूप कुरूपता क पुजारी छन।
सुरजी क बुबा जी तैं पूरो विश्वास छौ कि यु तो सुरजी कुण ना नि ब्वालल। कृपण घर को छौ अर सुरजी क बुबा न वर दक्षिणा म अपर दस नाळी पणचर भूमि दीणो प्रस्ताव जि दे छौ। पर रैबार आइ कि मरीं मक्खी देखिक चाय तो नि पिए जांदी। कुरूपता दस नाळी भूमि से हार गे।
सुरजी क ब्वे तैं पूरो भरवस छौ कि यु सुरजी कुण ना नि ब्वालल। नौनु वींक दूरौ सगा सबंधी ही छौ अर एक खुट से डूंडो छौ। पर संबंधी क रैबार आयी बल रुपया डोला तो सोळआ वर्षैक गोरी नि मिल जाली ?
अबै दैं सुरजी तैं , सुरजीक ब्वे बाब तैं बि विश्वास छौ स्यु तो ना नि ब्वालल। स्यु बि कुरूपता म सुरजी से पैथर ही छौ। सुहाग रात क समय तैन चिमनी क उज्यळ म सुरजी तैं हरकैक फरकैक द्याख अर सुरजी तैं खटला से लमडैक चल गे अर बोलि गे मि साधू बणनो हरिद्वार जाणु छौं।
सुरजी क ब्वे जोर से किराई , : ले आज पुनः सुरजी न ब्यावक क्वी सुपिन देख होलु. जब बि निंदम सुरजी ब्यावक सुपिन दिखदी खटला मंगन भ्यूं लमड जांदी “