273 से बिंडी कहानी रचयिता : भीष्म कुकरेती
गढ़पुर म तीन वार्षिक ग्राम देवता पूजन को महोत्स्व चलणु छौ। देस -विदेश , निकट से प्रवासी सपरिवार घर अयां छा। जो बच्चा पैल -दुसर बार गाँव अयां छा वो गाँव क विषय म सब जानकारी पांजिक लिजाण चाणा छा। बच्चा प्रत्येक वरिष्ठ से कत्या प्रश्न करदा छा। सबसे बिंडी मांग गुबरा भाईजी क छे बच्चों मध्य। गाँव क इतिहास , भूगोल, भूगर्भ को ज्ञान को भंडार गुबरा भैजी . सबसे भली म भली बात या छे कि गुबरा भैजी बच्चों तैं ऊंक समझण वळ भाषा व शैली म सब प्रश्नों क संतोषपूर्वक उत्तर दींदा छा। गुबरा दा कै बि प्रश्न क उत्तर दीण म चिरड़ेंद नि छा। शांति से समझांदा छा सब तैं। इलै प्रत्येक समय बच्चा गुबरा दाक न्याड़ -ध्वार हि रौंदा छा चाहे सामूहिक पूजन समय हो , सामूहिक भोजन हो या हौर समय गुबरा भेजी बच्चों से घिर्या रौंद छा।
एक युवा न कुंजा खोळी क विषय उठायी कि नाम तो कुंजा खोळी च किन्तु कुंजा देवी क मंदिर नी च। तब गुबरा दान बताई कि भौत समय पैली गोरखा काल म कुंजा खोळी म कुंजा देवी क मंदिर छौ। किन्तु एक रात दूर एक गांव वळ कुंजा देवी क त्रिशूल , लोकरा क नाग ल्ही गेन। वो लोग कबि ये गांवक ही प्रवासे छा। वै इ वर्ष बड़ो भूस्खलन ऐ अर कुंजा खोळी का सब खेत बगै क ल्ही गे। अब केवल कुंजा खोळी क सोखो गदन ही शेष च।
एक युवती न पूछ , दादा जी ! मि तैं अमेरिका म ददि बुल्दी छे कि जख बि महादेव क मंदिर होला तो तख अवश्य नदी या गदन होलु अर्थात गदन या नदी क किनारा म ही महादेव क मंदिर हूंदन। “
भौत सा बच्चों न हां म हां मिलाई कि हमर ददिन बि यी बताई छौ। कूड़
तब वीं युवती न पूछ , ” पर धामेश्वर मादेव मंदिर तो पहाड़ी म च क्वी गदन क्या पाणी नाम तक नी च तख। “
गुबरा दा न बताई कि पैल हमर गां से धामेश्वर मंदिर तक गदन बगद छौ किन्तु क्षेत्र म महा भूस्खलन क समय भळक आयी अर हमर व धामेश्वर पाख मध्य बड़ी खायी बण गे। तो वो गदन अब धामेश्वर तौळ च।
यूएसए म रौण वळ युवा गोल्डी न पूछ , दादा जी ! अर कुंती धार कुण कुंती धार किलै बुल्दन ?”
भौत समय पैल गुरख्याणी समय उउल्ली डांड क खेतों से पार करण सरल नि छौ। उल्ली डांड अर पल्ली डांड क खेतों मध्य एक सपाट पथरीले पाख छौ। तो उल्ली डांड से पल्ली डांड जाणो कुण द्व्वी तीन मील को चक्क्र कटण पोड़द छौ। उल्ली डांड म कुंती बूड़ दादी क पुंग ड़ छा उना पल्ली डांड म बि। कुंती दादि न गांव वळों से ब्वाल कि यदि हमर उल्ली डांड क पुंगड़ ब्रिटेन पख्यड़ खुदे जाय तो पल्ली डांड तक बाट बण सकद अर एक मील चढ़ाई अर डेढ़ मील की उतराई नि चड़न -उतरण पोड़ल। लोक तो लोक कुंती ददि क कजे बि हंसण लग गेन कि बड़ी आयी माधो सिंह भंडारी क नातण। कुंती ददि अपर सि मुख लेक बैठ गे तब।
कुंती ददि होरु पंदरा बीस लम्बा लम्बा पुंगड़ छा उल्ली डांड जो पाख पर ही छा। तो भौत सा उपकरण तख एक द्वी फुट कूड़ पुटुक लगभग सरा समय पड्यां रौंद छा। बड़ी कूटी अर सब्बळ बि रौंद छा। कृषि क भौत सा कार्य उल्ली डांड क पुंगड़ों म हूंद छौ तो जब बि कुंती ददि उल्ली डांड जावो तो कूटी से पाख कुर्याणी रौंद छे। एक हथ पाख कटण म लगभग चार मैना लग गेन। जब कुंती ददि क गोशी घंतु ददा न देख कि एक हाथ पत्थर को पाख खुदे गे तो घंतु ददा तै बि विश्वास ह्वे गे कि आधा मील लम्बो पाख क खुदाई से गुरबट बण जालो। अब घंतु ददा सब्बळ लेक खुदाई पर लग गे। लोगुं तै विश्वास नि हूंद छौ कि तै पथरीला पाख पर बाट बण सकद तो कैन बि ध्यान नि दे। दूसर पुंगड़ किनरां छा तो कैक आण जाण बि नि छौ। अब कुंती ददि अर घंतु ददा बाट खुदाई पर लग गेन। एक वर्ष म ढाई तीन हथ चौड़ अर बीस हथ लम्बो बाट बण गे। अब लोगों तै दिखाई कि बाट बण सकद च तो सरा गाँव सहकारिता म बाट खुदाई म लग गेन लगभग एक वर्ष म उल्ली डांड क पुंगड़ों से पल्ली डांडक पुंगड़ों तक ढाई हाथ चौड़ो बाट बण गे। लोग प्रसन्न छ कि दुस्सहाय ही ना अविचारणीय कार्य पूर ह्वे गे तो तैं धार क नाम इ कुंती धार पोड़ गे। बाद म तो ब्रिटिश सरकार न डिस्ट्रिक बोर्ड क मार्ग बणाइ तो यू बाट अब पांच फुटा चौड़ाई क ह्वे गे।
धन्य हो कुंती ददि।