भीष्म कुकरेती
मुख्य समस्याएं
१- पढ़े लिखों का गढ़वाली पढ़ने में अरुचि /बहुत ही कम पाठक
२- जिन्हें गढ़वाली साहित्य पढ़ने में रूचि है उन तक साहित्य /पब्लिसिटी /जानकारी की सहूलियत ना होना
३-गाँवों /कस्बों /शहरों में वितरण की कोई नीति /रीति नही होना
४- साहित्य का ग्रामीण वितरण की मूल बहुत समस्याएं
५- किताबों की बढ़ी कीमत
६- डिस्पैच की बढ़ी कीमत कि साहित्यकार चाहकर भी साहित्य मुफ्त में भेजने में असहाय
७- गढ़वाली साहित्य का वितरण पद्धति/ साहित्य बाजार की कोई संस्कृति ही नही है
८- गढ़वाली -कुमाऊँनियों का छितरा हुआ निवास
९- सरकारी उदासीनता
–निम्न विधियों द्वारा साहित्य वितरण होता है-
मेल ऑर्डर – मेल ऑर्डर के लिए पाठकों को साहित्य व साहित्य प्रकाशक की जानकारी आवश्यक है
पुस्तक व्होल्सेलर व पुस्तक खुरदरा व्यापारियों द्वार पुस्तक प्रदर्शन – इसके लिए भी पुस्तक व्होल्सेलर व पुस्तक खुरदरा व्यापारियों की जानकारी आवश्यक है
पत्र -पत्रिका विक्रेता – पत्र -पत्रिका विक्रेताओं की जानकारी आवश्यक है
बुक क्लब – बड़े शहरों में बुक क्लब होते हैं किन्तु गढ़वाली साहित्य को कोई क्लब स्पॉन्सर नही करेगा हाँ पौड़ी आदि में यह हो सकता है
सहकारी संस्थान – इन संस्थानों द्वारा वितरण व्यवस्था सुलभ हो सकती है
सामाजिक संस्थाओं द्वारा पुस्तक वितरण – मुम्बई , दिल्ली में एक आवश्यकता है। देहरादून की गढ़वाल सभा यह कार्य कर रही है
पुस्तक प्रदर्शनियां – आजकल किसी भी उत्तराखण्डी सांस्कृतिक कार्यक्रम में कैसेट बिक्रेता होते हैं किन्तु पुस्तक विक्रेता नही हैं। हर बड़े शहर में गढ़वाली -कुमाउँनी कैसेट विक्रेताओं को पुस्तक वितरण हेतु उत्साहित करना
सरकारी संस्थान – उत्तराखण्ड सरकार प्राइमरी /हायर सेकंडरी स्कूलों /कॉलेजों आदि हेतु अनुदान देती है तो क्यों नही गढ़वाली -कुमाउनी साहित्य विक्री / वितरण के लिए अनुदान देती है ?
सरकारी संस्थानों के पुस्तकालयों द्वारा पुस्तकों का क्रय
लेखक द्वारा पुस्तकालयों /विद्यालयों में अपनी पुस्तकें भेजना
उत्तराखण्ड के अस्पतालों।/डॉक्टरों /होटलों तक मुफ्त में ही सही साहित्य पंहुचाना
Catch Them Young याने स्कूलों में पुस्तकें पँहुचाने हेतु साहित्यकारों द्वारा आंदोलन
कवि सम्मेलनों में साहित्य विक्री
प्रदर्शनियां – कौथिग /गणपति पूजन जैसे प्रग्रैम में प्रदर्शनियां जैसे श्री बी मोहन जी ने कौथिग मुम्बई में प्रदर्शनी लगाई थीं
पुस्तक मेलों में सहकारिता के तहत प्रदर्शनियां