( कुणिंद काल में उत्तराखंड मेडिकल टूरिज्म )
उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म विकास विपणन (पर्यटन इतिहास ) -23
लेखक : भीष्म कुकरेती (विपणन व विक्री प्रबंधन विशेषज्ञ )
शैव्य पंथ आने से शिव , पार्वती , दक्ष , हिमालय , गणेश , कार्तिकेय , गण , नंदी आदि भारतीयों के आराध्य बने। शिव उत्तराखंड हिमालय वासी थे और विभिन्न पुराणों व मान्यताओं अनुसार गणेश व कार्तिकेय का जन्म उत्तराखंड में हुआ। ज्यों ज्यों ये सभी मान्यताएं प्रसारित होती गयीं त्यों त्यों भारतीयों के मन में धार्मिक उत्ताराखंड छवि गहराती गयी । ज्यों ज्यों शिव संबंधी मंदिर बनते गए त्यों त्यों धार्मिक उत्तराखंड की छवि वर्धन होता गया। शिव पूजा वास्तव में उत्तराखंड छविकरण का ब्रैंड अम्बैसेडर बनता गया। आज भी शिव उत्तराखंड हिमालय निवासी ही माने जाते हैं।
कार्तिकेय मंदिर
पिछले अध्याय में बताया गया कि किस तरह स्कन्द पुराण की शुरवाती विचार ने कार्तिकेय को आराध्य बनाया और राज मुद्राओं में कार्तिकेय मुख्य देव बने व कार्तिकेय दक्षिण में आराध्य बन गए। कार्तिकेय (मुरुगन , सुब्रमणियम ) के दक्षिण में आराध्य बनने से मंदिर बनने लगे और उत्तराखंड धार्मिक पर्यटन को एक नया ब्रैंड अम्बैसेडर मिल गया।
आधुनिक काल में प्रवासियों द्वारा बद्रीनाथ मंदिर निर्माण
आधुनिक युग में भी यह रिलिजियस टूरिज्म ब्रैंडिंग कार्य हो ही रहा है। उत्तराखंड प्रवासी अपनी मातृभूमि को भूल नहीं सकते और मातृभूमि ऋण चुकाने कई अभिनव कार्य करते जाते हैं। प्रवासियों द्वारा बिभिन्न श्रोण में बद्रीनाथ मंदिर बनना भी एक अभिनव व प्रशंसनीय कार्य है।
भारत राजधानी दिल्ली में बद्रीनाथ मंदिर है जो दिल्ली वासियों को उत्तराखंड की याद दिलाता रहता है और दिल्ली वासियों को उत्तराखंड पर्यटन हेतु प्रेरित करता रहता है।
महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी पुणे /पूना में श्री जगदीश प्रसाद बहगुणा आदि प्रवासियों के अथक प्रयत्न से बद्रीनाथ मंदिर स्थापित किया गया है। पुणे का बदरनाथ मंदिर में महाराष्ट्र से यात्री दर्शन करने जाते हैं और पुणे का बद्रीनाथ मंदिर धार्मिक उत्तराखंड का ब्रैंड अम्बैसेडर कार्य बखूबी निभा रहा है।
मुंबई के उपनगर वसई में बद्रीनाथ मंदिर निर्माण कार्य जोरों पर है। उत्तराखंड वसई मित्र मंडल के सदस्यों की जितनी प्रशसा की जाय कम है। निर्माण कार्य में ही कुछ सालों से मित्र मंडल प्रति वर्ष भागवत पूजा व भंडारा करते हैं और धार्मिक उत्तराखंड नाम को प्रसारित करते रहते हैं। गैर उत्तराखंडी भी बद्रीनाथ मंदिर निर्माण में बड़े जोर शोर से भाग ले रहे हैं। बद्रीनाथ मंदिर वसई बिभिन्न समुदायों को उत्तराखंड जाने के लिए प्रेरणा स्रोत्र बनता जा रहा है। lekhak ke मित्र दसौनी जी , नैलवाल जी , नेगी जी , जखवाल जी , बिष्ट जी , रावत जी आदि का कार्य प्रसंसनीय है।
उत्तराखंड से बाहर बद्रीनाथ मंदिरों का महत्व
उत्तराखंड से बाहर बद्रीनाथ मंदिरों के कई महत्व हैं।
प्रवास में जन्मे पीला प्रवासी यवाओं को उत्तराखंड से जोड़े रखने का सबसे कठिन कार्य ये मंदिर करते हैं।
बद्रीनाथ जैसे मंदिर उत्तराखंड के धार्मिक व सांस्कृतिक विरासत के जीते जागते उदाहरण रूप में गैर उत्तराखंडियों के मन में उत्तराखंड की छवि बरकरार रखते हैं।
बद्रीनाथ मंदिर सभी को उत्तराखंड भ्रमण की प्रेरणा देते रहते हैं।
हर मंदिर में उत्तराखंड प्रदर्शनी केंद्र हों
मेरी राय में प्रत्येक ऐसे मंदिर में उत्तराखंड साहित्य व् अन्य वस्तुओं का सग्रहालय समय की मांग है।