245 से बिंडी कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
आज जू बयौवार फिरोज नरीमन न कार स्यु फिरोज नरीमन को चरित्र से मेल नि खांदो। . कख फिरोज नरीमन दयाक मूर्ति , सहिष्णु, , करुणावतार मैनेजर अर कख आज को फिरोज द्वारा एक लंगड़ा पर निर्दयी ब्यवार। अर लंगड़ा बि कु ? फिरोज नरीमन को सर्वप्रिय अधीनस्त कर्मचारी संतोष। संतोष अर फिरोज की जोड़ी रेडिओ व्यापारिक , निर्माण क्षेत्र म भारत इ ना रैंक ऑर्गेनाइज़ेशन लंदन , फिलिप्स नीदरलैंड, सैंगीन सिंगापोर तक प्रसिद्ध छे।
आर ऐंड डी डिपार्टमेंट को ब्रैकेट इंजीनियर राजिंदर बेदीन अपर अधीनस्थ ऑल्विन डिसिल्वा कुण ब्वाल , ” आज फिरोज सर तै क्या हवाई ? जु माख मरण पर कळकळै (करुणामय हूण ) जांद छा सि आज इन अमानुष , निर्दयी अर राग्स जन व्यवहार करणा छन। “
तो थोड़ा दूर पीसीबी इंचार्ज मिलिंद तुरवे न अपर दगड्या संदीप सिवलकर से ब्वाल , ” वेरी बैड ! फिरोज सर इन निर्दयी होला मै पता हूंद तो मि कबि बि सेल्को ज्वाइन इ नि करदो। मर्फी इ भल छौ इन निर्दयी मैनेजर क तौळ कार्य करण से “
डिपार्टमेंट म ड्राफ्ट्समैन सुकान्त बर्मन न अपर बंगाली भौण म रूशेक ब्वाल , ” यु नरीमन सर तो ओइ बाबा बड़ा क्रुयल च। एक लंगड़ा दगड़ इन दुर्व्यवहार तो नास्टी बिग बॉस (मधु कृष्ण जो जल्लाद का नाम से प्रसिद्ध छौ ) बि क्या कारल !
डिपार्टमेंट म सब फिरोज नरीमन क काट करणा छा कि इन निर्दयी काज ? इन व्यवहार तो लोक अपर शत्रु से बि नि करदन जन फिरोज को व्यवहार संतोष हेगड़े क प्रति च।
जनि वाल्व क स्थान पर ट्रांजिस्टर डिवाइस क प्रवेश ह्वे तनि सेल्को रेडिओ कम्पनी म संतोष क प्रवेश ह्वे। संतोष डिप्लोमा इन रेडिओ टेक्नोलॉजी छौ। फिरोज सेल्को म रिसर्च ऐंड डेवलपमेंट (टेक्निकल ) को सर्वेसर्वा क्या अधिनायक छौ। फ़िरोजक निर्णय तै कम्पनी क स्वामी अजयपाल बि परिवर्तित नि कौर सकुद छौ तो सीईओ मधुकृष्ण की क्या औकात जो फिरोज नरीमन को निर्णय परिवर्तित कौर द्यावो। जब से कम्पनी म फिरोज रिसर्च ऐंड डेवलपमेंट म आयी तब से फिरोज की ईमानदारी , कठिन परिश्रम व सेवा हेतु पूरी कम्पनी ही ना भारत म फिलिप्स, मर्फी , बुश जन कम्पनी म बि प्रसिद्ध छौ , नेल्को क रत्न टाटा , सिंगापोर , रैंक आदि न फिरोज तै लालच देक अपर कम्पनी म आणों निमंत्रण बि दे पर फिरोज तै सेल्को से अति प्रेम छौ। तब क युग डिवोशन को छौ वर्तमान जन पैसा फेंको तमाशा देखो जन नि छौ।
इना वाल्व रेडिओ क स्थान पर ट्रांजिस्टर तकनीक को पदार्पण ह्वे अर उना सेल्को म संतोष हेगड़े को प्रवेश ह्वे। संतोष हेगड़े क नना जीन संतोष तैं महाजनी गुर इन रतायी छा कि लाखों इकाई क गुणा भाग संतोष अपरि मन इ मन म कौर लींदो छौ अर उत्तर लगभग सही हि हूंद छौ। फिरोज नरीमन की बुद्धि बि उन्नी छे। आठ मैना पैल एम डी मधुकृष्ण न एक बैठक बुलै छे जखमरेडिओ डिजायनर आनंद देसाई , प्रोडक्शन मैनेजर , प्रदीप ओक , परचेज मैनेजर बालकृष्ण कपूर , मार्केटिंग हेड राजिव बंसल , रिसर्च ऐंड डेवलपमेंट हेड फिरोज नरीमन छा। चर्चा या ह्वे विदेशों म तो वाल्व रेडिओ क स्थान पर ट्रांजिस्टर रेडिओ न स्थान ले आल तो भारत म बि। फिलिप्स, मर्फी , बुश वळ बि ट्रांजिस्टर मॉडल पर कार्य करणा छन तो सेल्को तैं बि ट्रांजिस्टर शीघ्र लाण पोड़ल। मधुकरिहं न छै मैना समय दे। किन्तु टीम वर्क न द्वी मैना म मौक अप दे दे। आंतरिक डिजायन म फिरोज नरीमन , संतोष हेगड़े, पीसीवी विशेषज्ञ रघु रेगे क हाथ छौ तो बाह्य डिजायन म आनंद देसाई। डाई मेकर से प्रार्थना करे गे तो सेल्को क पैलो ट्रांजिस्टर सिम्फोनी’ छै मैना म मार्केट म ऐ गे अर िनी फिलिप्स को फिलेटा , मर्फी क मिनी मास्टर , बुश क बैरन मॉडल बि ऐ गेन। रेडिओ दुकानों म ट्रांजिस्टर दिखणो अर सुणनो भीड़ लग गे। यूं सब मॉडलों म सिम्फोनी की हव्वा बिंडी छे कारण स्टील को हैंडल। जबकि कॉस्टिंग विभाग स्टील हैंडल क स्थान पर प्लास्टिक हैंडल की छ्वीं लगाणु छौ पर आनंद देसाई व फिरोज नरीमन अड़ गेन कि भारतीय जन मांस टल्ली तै रुचिकर मणद अर्थात ड्यूरेबिलिटी भारतीय ग्राहकों मन म मुख्य चिंता क विषय हूंद। तो स्टील को हैंडलन ट्रांजिस्टर की दुन्या म धमाल मचै दे। इनम फिरोज नरीमन व संतोष हेगड़े की मित्रता बढ़ व दुयुंक नाम लंदन , हॉलैंड व सिंगापोर तक पॉंच गे। रेडिओ टाइम्स म दुयुंन बड़ो ट्रांसफॉर्मर क स्थान पर ट्रांजिस्टर कैपिसिटर्स क जोड़ से कुछ सर्किट की बात छाप। चूँकि यिन प्रोजेक्ट म अरबों रुपया क आवश्यकता पड़न छे तो यु लेख काल्पनिक ही मने गे। दुयुं न रेडिओ पर भौत सा लेख रेडिओ टाइम्स म छपवैन।
फिरोज नरीमन सीनियर छौ अर संतोष हेगड़े जूनियर किन्तु रिसर्च क विषय पर द्वी आपस म मित्र जन व्यवहार करण लग गे छा।
संतोष हेगड़े फिरोज नरीमन को काख क बाळ बण गे छौ। किन्तु आज तो फिरोज न इन व्यवहार कार जन बुल्यां संतोष हेगड़े फिरोज को शत्रु हो।
तीन , साढ़े तीन मैना पैल संतोष हेगड़े एक दुर्घंता क शिकार ह्वे गे छौ अर एक खुट पर गैंग्रीन को इथगा प्रभाव बढ़णु छौ कि संतोष क बैं खुट घुंड तौळ कटण पोड़। जीवन क नियम च निजीवन से बढ़िया अर्द्धांग हूंद। संतोष क आत्मबल कड़क छौ तो शीघ्र स्वस्थ बि ह्वे गे। डाक्टरों क परामर्श छौ कि कुछ समय उपरान्त संतोष एक बैशाखी से चल फिर ल्याल किन्तु आज तो द्वी बैशाखी क आवश्यकता होली इ। फिरोज नरीमन न कम्पनी से चिकत्सा वयवय दिलवाई तब प्राइवेट इंस्युरेन्स प्रथा नि छे जन वर्तमान म च।
हॉस्पिटल म तो संतोष क विलल्पावर दिखण लैक छे। किन्तु घौर आण उपरान्त पर जब क्वी नि हो तो संतोष पर अवसाद छा जावो , निराशा छा जा अर चिंता व तनाव छा जावो। संतोष तै लगद छौ कि जीवन अनर्थक ह्वे गे। सबसे बड़ डौर यी लगद छे कि जब वो लोगों मध्य जाल तो लोक वैक लंगड़ापन पर क्या स्वाचल , क्या क्या तून द्याला। कबि बैशाख्युं सहयता से चलदा चलदा भ्यूं पड़ गे तो लोक कखि हंसण लग जालो तो ? भविष्य म इन अपमान , लोक तिरष्कार सोचिक संतोष क ब्लड प्रेसर बढ़न लग जांद छौ। विचलित ह्वेक संतोष चैन , व्याकुल ह्वे जांद छौ। तब संतोष डाक्टर क दियीं औषधि बुस्पारिओंन की गोळी खै लीन्दो छौ तो कुछ व्याकुलता हीन ह्वे जांद छे। सबसे बिंडी अचैनी लोक क्या ब्वालल क सोच से हूण लग गे छे। संतोष को सरा सोच केंद्र ‘लोक क्या ब्वालल ‘ पर चल गे छौ।
एक सप्ताह तक जब संतोष कार्यालय नि आयी तो फिरोज नरीमन स्वयं संतोष क ड्यार गे , संतोष क दगड़ छ्वीं लगैक आयी।
ऑफिस की कार से संतोष हेगड़े ऑफिस आयी।
रिसर्च ऐंड डेवलपमेंट विभाग एक खुलो हॉल छौ। सब अपर अपर टेबल कुर्सी म बैठद अर्थात टेक्निकल कार्य करदा छ। केबिन केवल द्वी एक फिरोज नरीमन हेतु व दुसर कैबिन भैर छे जख मीटिंग हूंदी छे भैर का लोगों दगड़। भितर भैरक लोक कतै नि ऐ सकदा छा। क्लोज डुवर ओफिस जन।
आज जनि संतोष हेगड़े ओफिस विभाग म द्वार खुलवैक आयी। स्टाफ न स्वागत है ! स्वागत है बोलिक ढाढ़स बढ़ाई।
द्वार से संतोष बैशाखी क सहायता से खट खट भितर अपर टेबल जीना बढ़णो जाण लग कि ऐथर बटि फिरोज न अपर खुटोंन संतोष तै लमडै दे। संतोष असहायक ह्वेक भ्यूं पोड़ गे। इना उना दृष्टि मरणु कि विभाग क दगड्या हंसणा तो नीन। दगड्या क्या हैंसद मौन , स्तब्ध छा कि फिरोज सर न यु निर्दयी , निर्लज्ज करतब क्या कौर ! कुछ लोक संतोष की सहायता कुण अगनै ऐन कि संतोष तै उठौला किन्तु फिरोज नरीमन न सब तै रोकिक आदेश दे , ” नो नो ! नो बडी विल हेल्प लंगड़ा संतोष ” लंगड़े पर इथगा जोर छौ कि कैम बि साहस नि ह्वे कि संतोष की सहायता कारो।
संतोष तै उठद उठद आधा घंटा लग। वैक ज्यू बुल्याणु छौ कि आत्म हत्त्या कौर द्यावो। इन जिंदगी !
दिन कट गे। फिरोज नरीमन न पुनः निर्दयता दिखाई संतोष क टेबल म भोजन दीणो ना बोल दे तो संतोष तैं टक टक कैंटीन तक जाण पौड़। संतोष तै लगणु छौ जन बुल्यां वो मृत्युदंड क कारवासी हो। वै तै लगणु छौ जन लोक वैपर हंसणा छन जबकि क्वी नि हंसणु छौ सबकी आंख्युं म सहानुभूति या भीख छे।
दुसर दिन जनि संतोष न द्वार से भितर प्रवेश कार तो फिरोज नरीमन न ब्वाल , ” लगनदे को धक्का दो उसे गिराओ। ” क्वी संतोष तै धक्का दीणो उद्यत नि ह्वे तो फिरोज न राजेन्दर बेदी कुण आदेश दे कि धक्का दे। कनि कोरी बेदी न धक्का क नाटक कार। अंतम पुनः फिरोज न ही धक्का दे। जब संतोष भ्यूं पोड़ तो फिरोज न सब तै हंसणो आदेश दे।
स्टाफ उद्यत नि हवाई तो फिरोज नरीमन फड्याी कि संतोष लंगड़े पर हंसो। बड़ी कठिनाई म स्टाफ हौंस।
या बात ओक अर कपूर न एमडी तक पौंछे दे। दुयुं तै मधु कृष्ण की बड़ी ताड़ना पड़दी छे स्टाफ क समिण हि किन्तु मधु कृष्ण न आज तक फिरोज नरीमन व आनंद देसाई तै कबि स्टाफ क मध्य तो छोडो इखुलि बि नि डांट। तो अवसर देखि ओक अर कपूर न शिकायत एमडी म कार।
एमडी जल्लाद क नाम से प्रसिद्ध छौ। मधुकृष्ण न न फिरोज तै नि भट्याी अपितु आरएंडडी विभाग म फिरोज क कैबिन म चल गे। सब तै आसा छे कि जल्लाद क डाँटणै ध्वनि भैर आली। कैबिन बिटेन जब एमडी भैर आयी तो एमडी उर्फ़ जल्लाद क आँख नम छा। वो संतोष म गे कुशल क्षेम पूछ अर चल गे।
सरा फैक्ट्री म बात प्रसारित ह्वे गे कि इथगा हूण पर बि जल्लाद न फिरोज नरीमन तै नि डांट। बिचारा कपूर व ओक निरास ह्वे गेन। एक्जीक्यूटिव डाह हूंदी इन च।
यूनियन म इनफॉर्मल बात गे। यूनियन लीडरों तै विश्वास इ नि ह्वे कि भल मनिख फिरोज नरीमन इन निष्ठुर , निर्दयी , पाशविक कार्य बि कौर सकद। लीडरों न अफु शोध करणों स्वाच कि करुण हृदय वळ इन मनिख तै त्रास दीण वळ कार्य करणु च तो थोक बजैक साक्ष्य हूण आवश्यक च।
तिसर दिन बि विभाग म बिलकुल वी दृश्य दोहराये गे। संतोष तैं गिराए गे। स्टफ कनि कौरि बि हौंस। आज संतोष तै आत्म हत्त्या क सोच नि आयी ना ही स्टाफ क हौंस व फिरोज सर द्वारा अपमान पर अफु पर दया /करुणा आयी। जो निराशा पैल दिन फिरोज क धक्का से ऐ छे वा निराशा बिलुकल अंतर्धान हूईं छे अपितु एक नयो भाव आयी कि वो इन रेडिओ सर्कट निर्माण कारल कि सरा जगम म संतोष को नाम होलु। आश्चर्य आज संतोष तै उठण क्वी बिंडी समय बि नि लग।
संतोष न निर्णय ले ले छौ। कुछ समय उपरान्त स्टाफ न चा पिए छे अर कैबिन से चाय कप ल्हेक चपड़ासी बि भैर ऐ गे छौ। वो वैशाखियों सहारा से टक टक करदो सीधा फिरोज नरीमन क कैबिन म चल गे।
संतोष हेगड़े तैं देखि फिरोज तै कुछ आश्चर्य तो ह्वे च। संतोष तैं चेयर म बैठणो संकेत दे। संतोष जब बैठ गे तो फिरोज नरीमनन पूछ, यस डियर संतोष १ टेल मी ?”
संतोष न स्वाभिमान , बिछोह भौणम ब्वाल , ” सर मि त्यागपत्र दीणू छौं ”
“कखि भली आजीविका लग गे क्या ? ” फिरोज कु प्रश्न छौ।
संतोष न ब्वाल , ” ना “
अब फ़िरों न पितृतुल्य रोष म ब्वाल ,” देन व्हाई द हेल यू आर डिजाइनिंग ?”
” जै देस म मनुष्य तै सम्मान नि मीलो , अपमान मीलो तो तै देस तुरंत छोड़ दीण चयेंद। ” संतोष हेगड़े क उत्तर छौ।
फिरोज नरीमन क प्रश्न छौ , ” अच्छा ? जरा याद कर जब तू ओफिस ऐ अर मीन त्वै लमडै तो तेरी मानसिकता क्या छे ? बिलकुल सत्य बोल हाँ। “
संतोष न कुछ समय स्वाच अर तब उत्तर दे , ” तब मीन स्टाफ क सहानुभूति व आपक व्यवहार से आत्महत्त्या की स्वाच। कि एक इंजीनियर की या दशा ! आत्महत्या ही … “
फिरोज न पुनः पूछ , ” दुसर दिन जब त्वै लमडये गे ? तो क्या मनोदशा छे। “
” तब आत्महत्त्या क विचार तो नि आयी किन्तु म्यार दगड़्या क्या ब्वालल, क्या स्वाचल कि मि लंगड़ा छौं। ” संतोष क उत्तर छौ।
फिरोज को प्रश्न छौ , ” आज सुबेर जब त्वै धकये गे अर त्वै पर हँसे गे ?”
” आज आत्मग्लानि , अफु पर दया , लोक क्या ब्वालल , लोक क्या स्वाचल की चिंता नि ह्वे विशेष किन्तु एक दृढ विचार आयी कि मि इन इन्वेन्सन करुल जो मेरो डूंडापन क सब हीनता मिटै दयालो। ” संतोष न उत्तर दे।
फिरोज क उत्तर छौ , ” यी तो मि चांदो छौ कि अपर हीन शरीर कारण तू हीन भावन क दास /अनुचर नि बण जै। टंगुड़ जाण से संतोष हेगड़े समाप्त थोड़ा ह्वे। साभिमान क संग रैलू यी तो … “
संतोषन पूछ , तो यु सब नाटक छौ ?”
” हाँ किन्तु ये नाटक म मि अर डाक्टर शिरोडकर सम्मलित छा। ” फिरोज क उत्तर छौ।
संतोष न आश्चर्य से पूछ, ” डाक्टर शिरोडकर ?”
फिरोज क उत्तर छौ , ” हां। जब मि त्वै हॉस्पिटल मिलणों ग्यों तो तू लोक क्या ब्वालल , लोक क्या स्वाचल , लोक हौंसल , लोक पीठ पैथर क्या क्या ब्वालल ही बुलणु अर सुचणु छौ नाकि शरीर कन स्वस्थ रखे जाय। तेरी सब चिंता लोग क्या स्वाचल , लोक क्या ब्वालल पर केंद्रित छे जो हीन भावना व निराशा वृद्धि हेतु हूंद। तो मि त्यार डाक्टर डाक्टर शिरोडकर से मील अर ये निर्दयी नाटक करणों भूमिका बंधे गे हॉस्पिटल म ” फिरोज क उत्तर छौ।
संतोष अब पुळेणु छौ अर अपर पितृतुल्य बॉस तैं धन्यवाद देक भैर आयी तो वो लंगड़ा संतोष नि छौ अपितु इलेक्ट्रनिक संसार म झंडा गड़णो उद्यत संतोष हेगड़े छौ। स्टाफ न इन चमक कबि संतोष क मुख पर नि देखि छौ।