विशिष्ट रौकेट
मूल- ऑस्कर वाइल्ड
अनुवाद: सरोज शर्मा-जनप्रिय लेखिका
राजकुमार क ब्यो हूणवल छाय। उत्सव जन वातावरण छा। पूर एक साल वेन अपणि ब्योलि क बाट देखि छै। और आखिरकार वु टैम ऐ ग्या। वा एक रूसी राजकुमारी छै, और वींन फिनलैंड से सरया बाट छै रेंडियरों (हिरण कि प्रजाति) से खिंचीं जाणवली स्लेज से तै करि। स्लेज एक सुनैरी राजहंस क आकार सि छै, राजहंस क पांखों क बीच बैठीं छै खुद राजकुमारी। वींक कीमती फर वल लबादा वींक खुटों तक झुलणू छाय।वींका मुंड मा चांदी क रंग कि कपडा कि एक छवटि सि टुपलि अपण वै बर्फीला महल जन सफेद छै। जै मा वा सदनि रैंदि छै, वा इतगा सफेद छै कि जब वा गलियों से गुजर त लोग हैरान रै गैं। वा सफेद गुलाब जन च लोग चिल्लाण लगिन और अपणा अपणा घौर कि बालकनि बटिक फूल बरसाण लगिन।राजमहल क दरव्जा मा वींक प्रतीक्षा कन लगयूं छा। वैका आंखा सुपनीला और नील-पुष्प जन छा और लटला खरू सोना जना, वीं देखिक वु घुंडौ क बल बैठिक झुकिक वींक हथ म भुक्कि प्या।
तेरी फोटू सुंदर छै राजकुमार न बोली पर तु अपणि फोटू से भि भंडी सुंदर छै, राजकुमारि शर्मै ग्या।
राजकुमारि पैल सफेद गुलाब जन छै पर अब लाल गुलाब जन च,एक न बोलि, सरया दरबार प्रसन्न ह्वै गे।
अगला तीन दिन तक हरेक ब्वलण लगयूं छा सफेद गुलाब, लाल गुलाब, लाल गुलाब, सफेद गुलाब, और राजा न आदेश द्या कि नौकर कि तनख्वाह दुगणि कैर द्या। और किलैकि नौकर थैं वेतन मिलदु हि नि छा, ऐ बढ़ोतरी क वैखुण क्वी मतलब ही नि छा, फिर भि बढ़ोतरी थैं एक बड़ सम्मान मने ग्या, और ये थैं राजपत्र म भि छपये ग्या।
तीन दिन बाद ब्यो क जश्न मनयै ग्या।
ई एक भव्य समारोह छाय और ब्योला ब्योलि मोतियों कि कढ़ै से भ्वरयूं बैंगनी मखमल क चंदवा (एक प्रकार क छतरू)ताल हथ मा हथ डालिक घुमणा छाया।फिर यख दावत भि छै,दावत पांच घंटा चलि। राजकुमारि और राजकुमार बड़ा कक्ष मा सबसे ऊंचि जगा मा बैठयां छा, और ऊंन कांच क गिलास (जाम) मा शराब प्या, सच्चा प्रेमी हि ऐ थैं पी सकदा छा किलैकि झूठा होंठ न छुये जांण से ऐकु रंग फीकु, बादलों जन पोड़ जांद छा।स्पष्ट छा कि द्विया एक दुसर से प्रेम करदा छा, छवट परिचर (नौकर)न बोलि कि बिल्कुल कांच जनि स्पष्ट!और राजा न दुसर दा वेकु वेतन दुगण कैर द्या, कतगा सम्मान च ई दरबारी लोग न बोलि।
दावत क बाद नृत्य भि हूण छा। ब्योला ब्योलि थैं गुलाब नृत्य भि कन छा, और राजा न बंसरी बजाण कु वचन भि दे छा। वैन भौत बेकार बंसरी बजै, पर कैल भि वै ई बताण कु साहस कभि नि करि,किलैकि वु राजा छाय। वै थैं द्वी धुन ही बजाण आंद छै पर वु कभि नि बतै सक कि वु कु धुन बजाणु च, पर दरबारी वाह वाह! वाह वाह !कना रैं।
कार्यक्रम कि अंतिम कड़ी छै, पटागों कि भव्य प्रदर्शनी जु कि ठीक अधा रात मा हूणवलि छै।
छवटि राजकुमारि न अपण जीवन मा कभि पटगा नि दयाखा छा इलै राजा कु आदेश छा कि शाही आतिशबाज राजकुमारि क ब्यो क दिन जरूर हाजिर ह्वा।
पटागा कन हुंदिन? एक सुबेर जब वु खुलि छत मा सैर कना छा,राजकुमारि न राजकुमार से पूछि। पटाखा उत्तर धुर्वी ज्योति जन हुंदिन। उत्तर राजा न दे जु सदनि लोगों से पुछै जांणवल प्रश्नो क उत्तर स्वयं दींद छा, केवल पटगा हि ज्यादा प्राकृतिक हुंदिन मि गैंणो से ज्यादा महत्व पटगो थैं दिंदु किलैकि हमथैं पता हूंद कि पटगा कब प्रगट हूणा छन, मेरी बंसरी जन आनंददायक भि हुंदिन। तुमथैं पटखा जरूर द्यखण चंदिन।इलै राजा क बाग क किनरा मा एक मंच लगवये ग्या, और जनि शाही आतिशबाज न हर चीज अपण जगा रखि कि पटखों न आपस मा बतियाण शुरू कैर द्या।
निश्चित रूप से दुनिया भौत सुंदर च, एक छवटि फुलझडी न बोलि, द्याखा त वु पीला ट्यूलिप!किलै!अगर वु पटगा हूंदा त इतगा सुंदर नि हूंदा, मी भौत खुशी च कि मि भौत घुमयूं छौं, यात्रा दिमाग थैं बेहतर बणांद, और सब्या पूर्वाग्रह से भि मुक्त करद।
मूर्ख फुलझडी!राजा क बग्यचा हि त संसार नि च!एक बड़ रोमन बत्ती बोलि संसार त भौत बड़ि जगा च जै द्यखण मा त्वै तीन दिन लग जाला।
वु क्वी भि स्थान जै आप प्यार करदा छा आपखुण संसार च।एक उदास चकरी न बोलि, जु अपण शुरूआती दिनो मा एक पुरण डब्बा से दिल लगै बैठ छै अपण टुटयां दिल से हि गर्वित रैंद छै, ; अजगाल प्रेम फैशन मा नि, कवियों न प्रेम कि हत्या कैर द्या। ऊंन प्रेम क बारा मा इतगा लिख द्या कि कै थैं भि ऊं पर विश्वास हि नि रै ग्या। सच्चू प्रेम मा यंत्रणा झेलण पव्ड़दि छन, और वु फिर भि मौन रैंद। मी याद च एक दा….पर अब ऐकु क्वी अर्थ नि। रोमांस अब अतीत कि बात च। बकवास! रोमन बत्ती न बोलि, प्रेम कभि नि म्वरदु। ई चांद जन हूंद, उदाहरण खुण ब्योला ब्योलि एक दुसरा थैं भौत प्रेम करदिन। मिन आज हि एक भूरा कागज वला कारतूस से ऊंका बारा मा सब सुणि ।कारतूस म्यांर हि दराज मा ढैरयूं छा, और वै दरबार कि सरया ताजा खबर पता छै। पर चकरि न असहमति म मुंड हिलै। प्रेम मोर ग्या, प्रेम मोर ग्या वा बरड़ाण लगि, वा वूं लोगो मा छै जु सोचदा छन कि एक बात बार बार दोहरै कि अंतत:सच ह्वै जांद।तभि एक तीखि और सूखि खंसणा कि अवाज ऐ, सब्या ऊनै द्यखण लगिन। या खांसि छै एक लम्बु और दंभि राकेट कि जु एक लम्बि छड़ि न बंधयूं छा, अपणि राय प्रकट कनमा वु सदनि खंसदु छा, ध्यान आकर्षित कना कु, अहम!अहम!वैन बोलि सब्यों का कंदूड खड़ ह्वै गिन, बिचरी चकरि क अलावा, वा अभि भि असहमति मा मुंड हिलाणी छै और बरड़ाणी छै कि प्रेम मोर ग्या।
ऑडर!ऑडर!एक पटखा चिल्लै वु राजनेता जन छा और चुनाव मा सदनि अपणि भूमिका निभांद छा, इलै वै सब्या संसदीय भंगिमाओं क ज्ञान छा।
बिल्कुल मोर ग्या चकरि बुदबुदै और से ग्या।
शांति हूंद हि राकेट तिसर बार खांस। वु भौत धीरे अस्पष्ट अवाज मा बुनू छा जनकि अपणि जीवनी लिखवाणु ह्वा, राजकुमार क कतगा बड़ सौभाग्य च, वैक ब्यो वै दिन हि हूणू च जै दिन मी छोड़ें जाण। सच अगर ब्यो क आयोजन पैल किए जांद त ई वैकु शुभ सिद्ध नि हूंद;पर राजकुमार हमेशा भाग्यवान हुंदिन।
प्यारे!छवटि फुलझडी न बोलि, मि त बिल्कुल उलट सोचणु छा कि राजकुमार क सम्मान म हमथैं चलये जाल।इन तुमर दगड़ ह्वै सकद, वैन बोलि मी क्वी संदेह भि नी पर मेरी बात कुछ और च,मि त विशिष्ट राकेट छौं और विशिष्ट ब्वै बबा कि संतान छौं, मेरी ब्वै अपण टैम कि विशेष चकरी छै, और अपणा भव्य नृत्य खुण प्रसिद्ध छै।अपणि महान सार्वजनिक प्रदर्शनि मा जल बुझण से पैल ऊन उन्नीस चक्कर लगाया छा, और हरेक चक्कर मा सात गुलबी सितारा ऊन हव मा छोड़िन, वा अपण व्यास म साढ़े तीन फुट कि छै ,और बड़िया बारूद न बणयीं छै।म्यांर पितजी भि मी जन एक राकेट छा, और फ्रांसिसी वंश क छाय। वु इतगा ऊंचा उड़िन कि लोग डैर गिन कि वु कभि लौटिक नि आला।पर वु लौटिक ऐं किलैकि वु भौत दयालु छा ,सुनैरी बसगाल कि फुहार दगड़ ई ऊंक भव्यतम अवरोहण छा। समाचारपत्रो न ऊंक प्रदर्शन क बारा मा लच्छेदार भाषा क प्रयोग करि छा ।वास्तव मा दरबारी राजपत्र न ऊंथै आतिशबाज़ी कला क विजय मान छा।आतिशबाजी, आतिशबाजी, आपक मतलब च बंगालि चिराग न बोलि मि जंणदु छौं ई शब्द आतिशबाजी च किलैकि ई शब्द मिन कनस्तर म लिखयूं देखि। मिन बोलि ‘आशिकबाजी ,राकेट न कठोर ह्वैकि बोलि, और बंगालि चिराग न अपथै छवट अनुभव करि और वु छोटा पटगों थै धमकाण लगि। ई दिखाण कु कि वैक अभि भि महत्व च।
हां त मि क्या बुनू छा?राकेट न अपणि बात जारी रखि, आप अपण बारा मा बथा कना छा, रोमन बत्ती बोलि, बेशक मि जंणदु छौं कि मि कै रूचिकर विषय मा बथा कनू छा, जब मी इतगा अभद्रता से बीच म टोके ग्या ।मी घृणा च इन अशिष्टता से। किलैकि मि भौत संवेदनशील छौं। संसार मा मी जन संवेदनशील क्वी नि मी विश्वास च।संवेदनशील क्या हूंद?एक फुलझड़ी न रोमन बत्ती से पूछ। वु इंसान जैका घट्ठा त अपण खुटों कि उंगलियो मा हुंदिन पर वु दुसरों क खुटों कि उंगलियो थैं कुचलद,,रोमन बत्ती न आहिस्ता से फुसफुसै क उत्तर दे ।और फुलझड़ी हैंसिक खिल ग्या।
कतगा संवेदनशील इंसान हूंद वु!फुलझड़ी न रोमन बत्ती से बोलि। कृपा कैरिक बताओ कि तुमथैं के बात मा हैंसि आणि च?मि त बिल्कुल नि हैंसणु छौं।
मि हैंसणु छौं किलैकि मि खुश छौं, फुलझड़ी न बोलि।
ई त भौत स्वार्थी उत्तर च, राकेट न गुस्सा ह्वैकि बोलि,त्वै खुश हूंणक अधिकार हि क्या च?त्वै औरों का बारा म सोचण चैंद। वास्तव मा त्वै म्यांर बारा म स्वचण चैंद। मि सदनि अपण बारा मा हि सोचदु छौं और, औरों से भि ई अपेक्षा करदु कि वूं भि म्यांर बारा मा हि सोचण चैंद। ऐ थैं सहानुभूति बोलदिन। ई भौत सुंदर सद्गुण च, और मि सद्गुणो कि खान छौं। उदाहरण खुण मान ल्या आज राति मी कुछ ह्वै जा त ई औरों खुण कतगा बड़ दुर्भाग्य च!राजकुमार और राजकुमारि कभि खुश नि रै पाला, वूंक सरया वैवाहिक जीवन ह्वै जाल;जखतक राजा कि बात च मि जंणदु छौं कि वु सदमा से भैर हि नि ऐ सकद। सच मा जब मि अपणि स्थिति कि महत्ता थैं सोचदु त म्यांर आंसु ऐ जंदिन।
अगर तुम दुसरों थैं खुशी दीण चंदौ “रोमन बत्ती चिल्लै ,बेहतर च कि आप अपथैं सूखू राखो,।निश्चित रूप न!बंगालि चिराग जु अब भल मूड म छा विस्मित ह्वैकि बोलि, एकमात्र सहज बुद्धि त ई च,।राकेट क्रोधित ह्वैकि बोलि तुम भुलणा छा मि असाधारण छौं। और विशिष्ट भि। किलै कि साधारण बुद्धी त कै का पास भि ह्वै सकद अगर वूंकि कल्पना शक्ति वूंक साथ न दे त।पर मि भौत कल्पनाशील छौं किलैकि मि चिजों थैं वूंकि वास्तविकता म नि देखदु;मि वूंकि भिन्नता क बारा म सोचदु छौं, जखतक अपथैं सूखु रखणकि बात च यख क्वी भावुक प्रकृति थैं समझण वल क्वी छैं ही नी च,और मी अपणि क्वी चिंता नी। एक ही चीज च जु जु जीवन बणै रखद, वा च हरेक अन्य व्यक्ति कि अत्यधिक हीनता क प्रति चेतना ई भावना ही च जै मिन सदनि अपण हृदय मा पोषित करि। लेकिन तुम मध्ये कै मा भि हृदय नी, यख तुम हैंसणा छा और मजा कना छा जनकि राजकुमार और राजकुमारि क ब्यो ह्वै ही नि ह्वा।अच्छा सचि!एक आगि क गुबरा न विस्मय प्रकट करि, क्या नि?ई त भौत खुशी क अवसर च और मि चांदु कि जब हवा म मि ऊंचि उडान भ्वरू त गैंणो थैं भि समाचार दयूं। आपलोग गैंणो थैं टिमटिमाता देखिला जब मि ऊंथैं ई सुंदर समाचार बतौंलु।
कतगा तुच्छ जीवन दर्शन च!राकेट न बोलि;पर मेरी आशा क अनुरूप ही च।त्वै मा छैं हि क्या च? तु खोखलु और खाली छै। ह्वै सकद कि राजकुमार और राजकुमारि कै इन देश चल जा जख भौत गैरि नदि ह्वा और ह्वै सकद वूंक यख राजकुमार क जन हि सुंदर लटलों वल और नील-पुष्पी आंखो वल एकमात्र नौन जन्म ल्या और ह्वै सकद कि वु अपणि आया थैं भि दगड़ मा सैर खुण लि जैं;और इन भि ह्वै सकद कि आया कै पुरण डाल क ताल से जा;और इन भि ह्वै सकद कि नौन नदि मा डूबिक मोर जा। कतगा भयानक दुर्भाग्य होलु बिचरा अपण इकलौतु नौन ख्वै दीण कु!ई सच मा भयानक च, मी त इन सदमा झेलिक उबर भि नि सकदु।
पर वूंन अपण इकलौतु नौनु नि खोई, रोमन बत्ती बोलि;वूंका साथ क्वी अनर्थ ह्वै ही नी।मिन कभि नि बोलि कि वूंक दगड़ क्वी अनर्थ ह्वाई, राकेट न बोलि मिन बोलि ह्वै सकद। अगर वूंन अपण नौन ख्वै हूंद त ऐ बारा म बोलण ही व्यर्थ छाई। बीति बात पर रूणवलों से मी घृणा च। पर जब मि सोचदु कि वु अपण इकलौतु नौनु ख्वै सकदा छन त मि भौत दुखी ह्वै जंदु।आप सचमा भौत द्रवित छा!बंगालि चिराग न बोलि, सच मा मिन आजतक तुम जन द्रवित मनिख कबि नि देखि।
और मिन त्वै से उजड्ड मनिख नि देखि, राकेट न बोलि, और तु राजा दगड़ मेरी मित्रता कभि नि समझ सकदि। आप त राजा थैं जंणदा भि छा। रोमन बत्ती न बोलि, मिन कभि नि बोलि कि मि राजा थैं जंणदु छौं “राकेट न उत्तर देई मी मा ई बोलण कु साहस च कि अगर मि वै जंणदु त मि वैकु मित्र ह्वै हि नि सकदू छा। अपणा मित्रों थैं जनण भौत खतरनाक बात च।बेहतर च कि आप अपथैं सूख राखो, ई सबसे महत्वपूर्ण च,आग क गुबरा न बोलि।
तुमखुण महत्वपूर्ण च मी क्वी संदेह नी, राकेट न उत्तर देई, पर मि अपणि मर्जी से रूंदु और सचमा वैका आंसू ऐ गिन जु वैकि छड़ी तलक बगै गीं ,और वूं आंसुओ न द्वी भृंगो थैं लगभग डुबै द्या जु इकठ्ठा अपण घौर बसाणा कि सोचणा छा,और रैणा खुण कै सूखि जगा कि तलाश मा छा। ई त सचमा रूमानी प्रकृति क होलु, चकरी न बोलि ई त तब भि रवै लींद जब रूणकि बात भि नि ह्वा;वैन गैरी उच्छ्वास भोरि और अपणा डब्बा थैं भौत याद करि।पर रोमन बत्ती और बंगालि चिराग भौत गुस्सा मा छाया अपणि तेज अवाज मा छल कपट! छल कपट! बोलण लगयां छा वु भौत हि व्यवहारिक छा और जैं बात मा एतराज हूंद छा वै ई छल कपट बोलदा छा।
तबि जून निकल ग्या, गैंणा चमकण लगिन और राजमहल मा संगीत बजण लगि। राजकुमार और राजकुमारि नचणा मा सबसे अगनै छाय। वु इतगा सुंदर नचणा छा कि सफेद कुमुदिनी खिड़कि बटिक झांकिक वूंथै देखणी छै और पोस्त का लाल फूल भि झूम झूमिक अपण टैम बिताणा छा।
फिर दस बज गिन, फिर ग्यारह, फिर बारा, अधी राति मा लोग अपणि अपणि छतों मा ऐ गिन, और राजा न शाही आतिशबाज थै बुलै।
पटाखा शुरू कियै जा, राजा बोलि;और आतिशबाज न राजा थैं झुकिक सलाम करि और बाग क छोर जनै बड़ ग्या वैका दगड़ छै और परिचर भि छा जौंका हथमा मशाल छै।
प्रदर्शन खूब छा।
विज्ज! विज्ज !चकरी चलि गोल गोल घूमिक। बूम! बूम! चल रोमन बत्ती। सरया बाग मा फुलझड़ी नचिन, बंगालि चिराग भि जलि त हर चीज सिंदूरी लाल दिखंण लगि, असमान मा तेजि से उड़िक आग क गुब्बारा न अलविदा बोलि। भड़ाम भड़ाम उत्तर दे मस्त पटखों न। राकेट क अलावा हर पटाखा सफल रै, रोइ रोई क वु इतगा सिले ग्या कि वु चल हि नि पै बारूद वैकि शक्ति छै पर आंसुओ न वै गिलु कैर द्या वु कै कामक नि रै। वैका सबसे गरीब संबंधि, जौं से वु बात कन भि पसंद नि करदु छा, केवल घृणा दिखांदु छा, वू भि आग क फूलों कि मंजरियो जन असमान मा छुटिन। वाह वाह दरबारी चिल्लाण लगिन छवटि राजकुमारि आनन्दित ह्वैकि हैंसण लगि।मी लगद कि वु मी कै भव्य अवसर खुण आरक्षित रखणा छन, राकेट न बोलि, निसंदेह ऐकु ई अभिप्राय च,,और वु पैल से भि ज्यादा उजड्ड दिखेंणु छा।
अगल दिन नौकर सफै खुण ऐं, ई त राजा कु प्रतिनिधि मंडल च, राकेट न बोलि;मि वूंक उचित गरिमा से स्वागत करलु, इलै वैन अपणि नाक हवा मा कैर ल्या और कठोर ढंग न अपणि भौं ताण दिनि जनकि वु कै गंभीर विषय मा मनन कनु ह्वा। पर वूंन वै जनै द्याख भि नि जांद जांद एक नौकर न वै उठै कि बोलि कतगा बेकार राकेट च ई!और वैन दीवार क पिछनै गंदि नालि मा फेंक द्या।
खोटू राकेट?खोटू राकेट?हवा म झुलदा वु बोलि;असंभव!खरू राकेट!ई बोल छा वै आदिम न। खोटू और खरू एक जना हि सुणैदिन, वास्तव मा द्वियो क अर्थ भि एक ही हूंद और वु कीचड़ म जैकि गिरि ग्या।
यख त बिल्कुल भि आराम नि, वैन बोलि पर ई अद्भुत पाणि कि जगा च और वैन मी स्वास्थ्य लाभ खुण यख भेजि। सचमा मेरि नसों मा भौत टूट फूट ह्वै ग्या, मी आराम कि जरूरत च।
तबि हैर चित्तीदार मिंढकु तैरिक वैक जनै बड़। नै, नै अंयू छै?मि द्यखणु छौं!मिंढकु बोलि कीचड़ से शानदार जगा क्वी नी। मी थैं त बरसात क मौसम और एक नाली दे दयावा, और मी से ज्यादा प्रसन्न और क्वी ह्वै ही नि सकद। त्वै लगद दुफरा क बाद बारिश ह्वैलि?पक्का होलि, मी आशा च, पर असमान काफी नीलू और बिना बादलों क च। कतगा बुरी बात च!
हम!हम!राकेट खंसण लगि। कतगा आनंद दायक अवाज च तुमरि!मिंढुक टर्रै। सचमा या त मेरि टर्रहाट जनि च, और बेशक टर्रहाट दुनिया कि सबसे संगीतमयी ध्वनि च। आज शाम दा आप हमरि उल्लास-संगीत सभा कु संगीत सुणला। हम किसान क घौर क पास वल बत्तखों का तलाब मा बैठदा छां और जून निकलदा हि हमर संगीत शुरू ह्वै जांद, ई संगीत इतगा सम्मोहक च कि ऐ सुनणा खुण लोग जगयां रंदिन। ब्यालि त मिन किसान कि कज्याणि थैं बोलदा सुणि कि हमरि वजा से एक पल भि से नि सकि। कतगा सुखद हूंद अपथैं इतगा लोकप्रिय पाणु!हम!हम!राकेट गुस्सा ह्वैकि बोलि, वु भौत क्षुब्ध छा किलैकि वु एक शब्द भि नि समझ पै।भौत हि आनंदमय अवाज निश्चित रूप से “मिंढकु बोलण लगयूं छा, मी आशा च आप बत्तखों का तलाब मा जरूर ऐला। मि अपणि नौनियों कि रखवली कनकु जाणु छौं अब, मेरी छै सुंदर नौनि छन, मी खतरा च वूं कखि क्वी पाइक माछु नि मिल जा, वु त दैत्य जन च, जैथैं वूं कलेवा बणान मा जरा झिझक नि ह्वैलि। अच्छा अलविदा; मि आपलोगो थैं विश्वास दिलांदु कि मिन वार्तालाप क भरपूर आनंद उठै।
वार्तालाप सच!राकेट न बोलि सरया टैम त तु हि बोलणु रै ई क्वी वार्तालाप नि हूंद। क्वी सूण भि त, मिंढक न उत्तर देई, और मी हर बगत बोलणु भलु लगद ऐ से टैम कि बचत हूंद और तर्क वितर्क से भि बचे जा सकद।
पर मी त तर्क वितर्क पसंद च राकेट बोलि। मी आशा च कि इन नी। मिंढक न आत्ममुग्ध भाव से बोलि। तर्क वितर्क त भौत अशोभनीय च, किलैकि सभ्य समाज मा सबकु एकमत हूंद। आपथैं दुसर बार अलविदा;बोलिक मिंढकु भाग ग्या। तुम त भौत चिढ़ा दीण वल छा और अशिष्ट भि। मी घृणा च इन लोगों से जु बस अपण बारा मा हि बात करदिन जनकि तुम करदा,जब कि क्वी अपण बारा म बात कन चांद जनकि मि चांदु। ऐ थैं मि स्वार्थ परकता बोलदु छौं और स्वार्थपरता सबसे घृणित वस्तु च विशेष रूप से मी जन स्वभाव वला खुण, किलैकि मि अपणि सहानुभूतिपरकता प्रकृति खुण प्रख्यात छौं ।वास्तव मा तुमथैं म्यांर उदाहरण स्वीकार कन चैंद मी से बेहतर प्रतिमान संभव च तुमथैं कखि नि मिल ।अब तुमथैं अवसर मिल त येक लाभ उठावा, किलैकि मि जल्दी हि दरबार मा लौट जौंलु ,दरबार मा मि भौत बड़ कृपापात्र छौं, दरअसल राजकुमार और राजकुमारि न म्यांर सम्मान मा हि ब्यो करि। तुमथैं त इन बातों कि भनक भि नि लगि होलि अगर तुम देहाति छा त।वै से बात कना कु क्वी फैदा नि, भूरा नरकुल कि चोटी म बैठयूं चिउरा न बोलि, “क्वी फैदा नि, किलैकि वु त चलि ग्या। ठीक च ई वैकु अपण नुकसान च म्यांर नि, राकेट न बोलि सिर्फ इलै कि वु ध्यान लगैकि नि सुणदु, मि त वैसे बथा कन बंद नि करि सकदु, मी अफथै सुनणु भल लगद ई म्यांर सर्वोत्तम सुखों मा च।मि स्वयं से लम्बी लम्बी वार्तालाप करदु और मि इतगा चालाक छौं कि कै दफा मी अपड़ा हि शब्द समझ नि आंदा।तब त आपथैं दर्शनशास्त्र पर संभाषण दीण चैंद, चिउरा न बोलि और अपणा सुंदर जालीदार फंकड फैलाकि असमान म उड़ ग्या।
कतगा मूर्ख च यख रूकि भि नि!राकेट न बोल, जरूर वै कभि अपण दिमाग सुधरणा कु अवसर नि मिल ह्वा। फिर भि मी परवाह नि। मी जनि प्रतिभा थैं एक दिन त लोग समझला हि;और कीचड़ म जरा और धंसि ग्या। कुछ देर बाद एक सफेद बत्तख तैरिक वैका पास ऐ। वींका टंगड़ पीला छा और जालीदार पंजा छा और वा अपणि चहलकदमी खुण भौत सुंदर मने जांद छै।
क्वैक ,क्वैक वा बोलि कतगा अजीब आकार का छा तुम!क्या मि पूछ सकदु कि तुम इन्नी जनमौ या फिर कै दुर्घटना क परिणाम च?
जाहिर च कि तुम सदनि देहात मा रवा, राकेट न बोलि निथर त तु जरूर जंणदि कि मि कु छौं, फिर भि तेरी अज्ञानता थैं क्षमा करदु। और लोगों से हमर विशिष्ट हूणा कि अपेक्षा करण अन्यायपूर्ण होलू। बेशक तुमथैं त ई सूणिक भि हैरानि नि होलि कि मि असमान मा उड़िक सुनैरी बरखा जन बौछार कैरिक ताल भि ऐ सकदु।
मि ऐका बारा मा ज्यादा नि सोचदु, बत्तख बोलि किलैकि मी ऐमा कैकु क्वी फैदा नि दिखेंणु च।हां अगर तुम बल्द जन खेत मा हैल चलै पांदा, या घ्वाड़ा जन छकड़ा खींच पांदा, या गडरिया क कुकर जन भेड़ो कि जग्वाल करदा त कुछ बात छै।दंभपूर्ण स्वर मा राकेट चिल्लै, जाहिर च कि तु भौत निम्न वर्ग से संबंधित छै। म्यांर स्तर क मनिख कभि भि लाभदायक नि हूंदा। हमर पास कुछ उपलब्धियाँ हुंदिन और हमखुण ई पर्याप्त च, मी क्वी सहानुभूति नी परिश्रम से जैकि तुम इतगा संस्तुति कनी छै,,म्यांर मनण सदनि ई रै कि परिश्रम केवल ऊं लोगों कि शरणस्थली च जौंका पास कनकु कुछ भि नि।
ठीक च ठीक च, शांत स्वभाव कि बत्तख न बोलि हरेक कि अपणि रूची हूंद। मी आशा च कि तुम अपण निवास यखी लेला।
ओह ना राकेट चिल्लै मि त बस एक अतिथि छौं एक विशिष्ट अतिथि। तथ्य त ई च मी या जगा उबाऊ लगणी च यख ना त उच्च वर्ग का लोग छन न यख एकांत च, वास्तव मा ई जगा संकीर्ण सि लगणी च मि संभवत:दरबार कु लौट जौंलु, किलैकि मि जंणदु छौं कि संसार म सनसनी फैलाण हि मेरी नियति च।मि भि कभि सार्वजनिक जीवन मा आण चांद छा, बत्तख न बोलि, भौत सरया चीजों मा सुधार कि जरूरत च। वास्तव मा मिन कुछ टैम पैल एक सभा क पद ग्रहण करि और हमन वा हर चीज जु हमथैं पसंद नी, दंड क प्रस्ताव पारित कैर द्या। पर वैकु क्वी फैदा नजर नि ऐ और अब मि अपणि गृहस्थी मा अपण परिवार कि देखरेख करदु।
म्यांर त जन्म हि सार्वजनिक जीवन खुण ह्वै, राकेट न बोलि, और म्यारा संबंधी भि मी जना हि छन, यख तख कि सबयूं से तुच्छ भि सार्वजनिक जीवन खुण ही च।हम जब भि सार्वजनिक हुंदा त भौत ध्यानाकर्षण और उत्तेजित करदां। मि अभि त सार्वजनिक नि छौं, पर जब हूंलू त दृश्य द्यखण लायक होलु, अद्भुत। रै गृहस्थी कि बात वु त तुमथैं जल्दी बुढ़ै दींद और ऊंची चीजो से वंचित कैर दींद।
अहा जीवन कि उच्चतर चीज कतगा बड़िया हुंदिन!बत्तख न बोलि और ऐ से मी याद ऐ गै कि मी कतगा भूख लगीं च, और वा लहरों दगड़ तैरिक दूर चल ग्या। क्वैक,क्वैक बोलिक।
लौटिक ऐ जा, लौटिक ऐ जा!राकेट चिल्लै, त्वै से बताण कु म्यांर पास भौत कुछ च;पर बत्तख न क्वी ध्यान नि करि। मी खुशी च कि वा चल ग्या ,वैन अफ से बोलि कि, पक्कु वींक पास मध्यमवर्गीय दिमाग च;और वु जरा और कीचड़ मा धंस ग्या, और एक प्रतिभाशाली व्यक्ति क अकेलपन क बारा मा सोचण लगि। तभि कुर्ता पैरयां द्वी छ्वट छवट बच्चा किनरा पर ऐ गैं जौंका हथमा एक कितलु और कुछ लखड़ा छा।
जरूर ई क्वी प्रतिनिधिमंडल ह्वाल, राकेट न बोलि,और वैन भौत गरिमापूर्ण दिखेंण कु प्रयास करि। हैलो!एक नौन चिल्लै द्याखा एक पुरणि छड़ी!मी हैरानि च ई यख कनकै ऐ! और वैन राकेट थैं नालि म बटिक उठै, पुरणि छड़ी!राकेट न बोलि, असम्भव!सुन्दर छड़ी ई बोलि वैन। ई भौत सम्मान सूचक शब्द च, मी थैं दरबार क हस्तियों म से एक समझणु च।आओ ऐ थैं जलौंला!दुसर नौन बोलि, ऐसे कितली उबलणा मा मदत ह्वैलि। ऊंन लाखड़ा इकठ्ठा कनि और ऊंक मथि राकेट थैं धैर द्या, और आग जलै द्या , ई भौत भव्य च राकेट चिल्लै, ई लोग मी दिन मा हि जलाणवला छन दिन क उज्यल मा ताकि सब्या मी देख सका,
अब हम से जौंला जब जगला त कितलि उबलीं ह्वैलि, और वु घास मा पोड़ गनि और आंखा बंद कैर दिनि। राकेट भौत गिल्लू छा वैन आग पकड़ण मा देर लगै ,आखिर आग न वै पकड़ ल्या। अब मि जांणु छौं!वु चिल्लै, और वैन अपथैं अकड़ैकि सीधु कैर द्या। मि जंणदु छौं कि मि गैणों से भी मथि जौंलु जूनि से भि मथि सूरज से भि मथि , वास्तव मा मि इतगा मथि जौंल कि…..
फिज्ज ,फिज्ज ,फिज्ज!और वु सीधा हवा मा भौत मथि चल ग्या । आनन्दप्रद!वु चिल्लै मि हमेशा इन्नी मथि जौंल, कतगा सफल छौं मि!
पर वै कैल नि देखि।
तब वै अफमा जलन भ्वरीं सनसनी महसूस हूण लगि।
मि फुटणवल छौं वु चिल्लै मि सरया दुनिया थैं चकाचौंध कैर दयूंल, और इतगा शोर करलु कि क्वी सालभर और क्वी बात हि नि करलु। और वैमा विस्फोट ह्वै। भड़ाम,भड़ाम, भड़ाम !कैरिक बारूद जल ग्या, नि:संदेह। कैल भि वै फुटदा नि सुणि। द्वी नन्हा नौनो न भि ना ,वु गैरी नीन्द मा छा ,फिर त बस राकेट कि छड़ी ही बच, और या छड़ी गिर नालि क किनरा घुमणवलि बत्तख क कि पीठ मा।हे भगवान बत्तख चिल्लै छड़ियो कि बारिश हूण वलि च;और वा पाणि क भितर चल ग्या। मि जंणदु छा कि मि भौत सनसनी फैलौंलु।उच्छ्वास भोरिक राकेट बुझ ग्या।