(वियतनामी लोक कथा )
बिंडी गढ़वळि कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
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वियतनाम म एक गाँव निकट एक क़ुओइ नामौ लखड्वै (लकड़हारा) रौंद छौ। एक दिन लखड्वै (लकड़हारा ) जंगळ म लखड़ काटणों एक गदनौ छाल छाल जाणु छ्याई कि तै एक उड़्यार दिख्ये। उड़्यार पुटुक चार बाघ बच्चा छा।
भय क मारा लखड्वै न अपर कुलाड़ी न बाघा बच्चा मार देन। तैबरि तख वूंको ब्वे बाघण घुरदी आयी। बाघण लखड्वै न कुलाड़ी भ्यूं छ्वाड़ अर एक उच्चो डाळ म चढ़ गे। डाळ बिटेन तैन द्याख . कि बागण बच्चों की मृत्यु से अति क्रोध म छे।
वैन क्या द्याख कि बाग़ण निकट एक बौड़ डाळ तौळ गे। वींन तख बौड़ पत्ता तोड़िन तौं चबैन अर रस बच्चों क मुखुंद चुंवाइ। बच्चा जीवित ह्वे गेन। बाग़ण अपण बच्चों लेकि चल गे।
लखड्वै डाळ बिटेन उतर , बौड़ डाळ तौळ गे , डाळ उखाड़ अर ड्यार जिना आण लग गे। बाटम तै तैं एक मुर्दा भिखारी दिखे। वैन बौड़ क पत्ता चबेन अर रस भिखारी क मुख म धर दे। भिखारी जीवित ह्वे गे।
भिखारी न ब्वाल , “कनो ह्वे ?. क़ुओइ न सरा वृत्तांत सुणाई।
बुडयान ब्वाल , ” भगवान न त्वे जादुई डाळ दे जो मुर्दों तै भि जीवित कौर सकुद। एक देख रेख सावधानी से कौरि अर कबि बि गंदो पाणि नि चारी , निथर डाळ अकास चल जालो। ” बुड्या लाठी टिकद टिकद चल गे।
क़ुओइ घर आयी। चौक क पूरव बौड़ रोपी दे अर सदा ध्यान दे कि सदा स्वत्छ पाणि चारो।
क़ुओइ बौड़ क पत्तोंन रोगी मनिखों तै स्वस्थ करदो गे। वैकि प्रसिद्धि दूर दूर तक पसर (फ़ैल ) गे छे।
एक दिन वैन पत्तों की सायता से एक अस्वस्थ कुत्ता तै स्वस्थ कार।
कुत्ता वैक बड़ो मित्र बण गे।
एक दिन एक धनी अपर आयी अर तैं तै अपर अस्वस्थ बेटी तैं स्वस्थ करणों प्रार्थना कार। क़ुओइ धनी क दगड़ वैक घर गे अर बौड़ पत्तों रस चुंवैक वैन धनी क पुत्री स्वस्थ कार। बेटी न स्वस्थ ह्वेक क़ुओइ से ब्यौ करणों इच्छा बताई। दुयुंक ब्यौ ह्वे गे।
एक दिन जब क़ुओइ भैर छा तो ठग ऐन अर तौंन तैकी पत्नी क अंदड़ -पिंदड़ काटिन तौं इना उन चुलाई अर शेष शरीर तैं नदी म चुलै दे।
क़ुओइ घर आयी अर नदी छाल म पत्नी क शरीर देखि दुखी ह्वे। वैन पत्नी क मुख म बौड़ क पत्तों रस चुंवाई पर आंत नि हूण से मृतक पर कुछ प्रभाव नि पोड़। मित्रता हेतु अपर आंत क़ुओइ क पत्नी तै दे देन। पत्नी क मुख म रस चुंवाई अर वा जीवित ह्वे गे। क़ुओइ प्रसन्न छौ कि पत्नी बच गे किन्तु अति दुखी छौ कि कुत्ता मृत ह्वे गे।
तब क़ुओइ न रस कुत्ता क मुख म चुंवाई अर कुत्ता बि जीवित ह्वे गे ,
वो तिनि प्रसन्नता से जीवन यापन करणा छा। कुछ समय उपरान्त इन बजर पोड़ कि क़ुओइ क पत्नी पर भूलणों रोग लग गे जु ठीक हि नि ह्वे।
एक दिन क़ुओइ क अनुपस्थिति म भूलमार म क़ुओइ क पत्नी न बौड़ डाळ तौळ मूत दे।
जनि क़ुओइ बौड़ी आयी कि बौड़ डाळ क पत्ता झड़न लग गेन अर डाळ आकाश म उड़न लग गे ,. बड़ी मुश्किल से क़ुओइन बौड़ क डाळ क एक जलड़ पकड़ दे। बौड़ क डाळ उड़द उड़द जून (चन्द्रमा ) म उतर। क़ुओइ बि दगड़म उतर , बौड़ क जलड़ जून म जामि गेन। अर तब बिटेन बौड़ क डाळ अर क़ुओइ जून म ही छन। इख बिटेन बि दिखेंद कि बौड़ तौळ क़ुओइ बैठयूं च।