कथा-आंतोन चेखव
अनुवाद-सरोज शर्मा
जब सब्या लोग फलों क रस ल बणी पूंश नौ कि हल्की दारू पे ल्या त हमरा ब्वै बुबा न आपस मा खुसुर-पुसुर कैरिक हमथैं वे कमरा मा यखुलि छोड़िक भैर चल गैन । म्यांर बबा न जानदा मि से बोलि चल, वीं से बात कैर।
अरे बबाजी मि यीं से प्रेम नि करदु त जबर्दस्ती कन ब्वलण मि त्वै थैं चांदु छौं।
त्वै ऐ से क्या लीण दीण, बेवकूफी नि कैर, जरा दिमाग से काम ले, ।
ई बोलिक बबा न मी आंखा दिखैं और भैर चल गिन।
तबि उक्डयू दरज्वा खुल और कै अधेड़ औरत क हथन कमरा से मोमबत्ती उठै ल्या। कमरा मा अंध्यर छये ग्या, मिन सोच जु भि ह्वाल दयखै जाल। मिन थोड़ा चलाकि दिखै और बोलि-जोया, यी अंध्यर मी भल लगणु, हम अब यखुली छौं मन कि बात बोल सकदां। अंध्यर म्यांर मुखम अयीं शर्म छुपाणु छाई, ई शर्म क अहसास म्यांर मन मा अपणि भावनाओं क कारण पैदा ह्वै म्यांर दिल मा आग भडकीं छै, ई बोलिक मि चुप ह्वै ग्यों। उनै जोया कु दिल इतगा जोर से धडकणुं छा कि वैकि अवाज मि भी सुनणु छाई, घबराट मा जोया दांत किटकिटाणा और बदन कौंपणु छा,ई कॅपकपाहट जै बेंच मा हम बैठया छा वख तक पौंछणी छै।
विचरी नौनि भि मी से प्रेम नि करदि, या त मी से वन्नी नफरत करद जनकि क्वी कुकर वै सटगा से नफरत करद जैसै वै कभि-कभि सजा मिलद।
हालांकि मी भौत पुरस्कार और पदक मिलयां छा पर मि वींक समणि बनमानुष जन बैठयूं छा। जु असभ्य अशिष्ट और गॅवार हूंद ।
मि भारी भारी थ्वबडा वल, बड़ बड़ बालो वल बदसूरत जानवर जन लगणु छाई, हमेशा रैंण वल जुकाम और अक्सर पियै जाणवली दारू कि वजा से मेरी फुलीं और थ्वबडु लाल बणयूं छा। मि इतगा आलसी छाई कि भालु भी म्यांर अगनै फुरतीलु और चलाक दिखै दींद।
और मि कतगा गिरयूं छौं बतयै नि जै सकद। कभि मिन यीं जोया से रिश्वत भि खै छै, वीं से मन कि बात बोलिक मि चुप ह्वै ग्यूं किलै कि मी यीं नौनि पर दया आंण लगि।
चल भैर बग्यचा मा चलदौं यख घुटन च।
हमरा ब्वै बबा वै कमरा का भैर ही खड़ा छन, हमरि बात सुनणकि कोशिश कना छन।
हमथैं भैर निकलदा देखिक वु झट बरामदा क कूंण मा जैकि खड़ ह्वै गिन। हम घौर का भैर ऐ ग्यों और घर क समणि बग्यचा कि पगडण्डी मा चलण लगयों। जोया क मुखम चांद क उज्यल चमकणु छाई, मि बेवकूफ जन वीं घूरणू छा, मिन वींक क मुख मा लावण्य और कोमलता महसूस करिक एक गैरी सांस भोरि और इस वींसे ब्वाल लगणु क्वी नर कोयल गाणु च मादा थैं रिझांणकु,पर मि क्या कै थैं लुभै सकदु?
जोया शर्म से लाल ह्वै गै, अपण आंखा झुकै दिनि।शैद वीं पैलि हि बतयै ग्या ह्वल कि म्यांर समणि कन नाटक कन। हम द्विया नदी वै पार नदी क किनर पौंछ ग्यों ।वख एक बेंच पव्ड़ी छै हम द्विया वैमा बैठ ग्यों। और नदी कि लहरों थैं द्यखण लगौं।
नदी क वै पार सफेद गिरजाघर चमकणु छा, गिरजाघर क पैथर डालों का वै पार जमींदार कुलदारफ कि बड़ि हवेली झलकणि छै यीं हवेली मा हि वु क्लर्क बलनीत्सिन रैंद छा, जै जोया मन से चांदि छै। बेंच मा बैठिक जोया न हवेली पर आंखा टिकै दिनि…।मी जोया पर फिर दया ऐ,मी जोया पर दया ऐ और घबराट म म्यांर दिल बैठण लगि, हे भगवान हमर ब्वै बुबाओं थैं स्वर्ग भेजि…पर कम से कम एक हफ्ता नरक मा जरूर रखि, मेरि जिंदगि सिर्फ एक इंसान कि ताबेदार च। सिर्फ वी इन्सान मेरि जिंदगी कि जिम्मेदारि ले सकद, ।मिन अपणि बात अगनै बड़ै कि बोलि -वीं नौनि खुण म्यांर दिल मा खास जगा च एक खास एहसास, सच ब्वलुं त मि वीं का प्रेम मा छौं, मि वींका प्रेम मा डुबि ग्यों, वींसे भौत प्रेम करदूं।सवाल ई च कि वा भि मितैं पसंद करदि कि नि करदि?अगर वा मी से प्रेम नि करद त समझो मि बर्बाद ह्वै गौ…मिन मोर जांण और जाणदि छै वा कोच्?वु त्वी छै…तु ही छै वा खास इंसान मी खुण।
क्या इन ह्वै सकद कि तू भि मी से प्रेम कैर?बतादि क्या त्वी भि मी पसंद करदि,?
जी तुमथैं ही चांदु मि जोया न बुदबुदै कि बोलि, वींकि बात सूणिक मि ठगे सि गौं,मिन त सोचि कि मेरि बता से वींका आंखियूं मा पाणि ऐ जाल, वा रूण बैठलि। और धीरे से मना कैर देलि किलैकि वा और कै पसंद करदि। मि उम्मीद लगैकि बैठयूं छाई, पर अब मामला खटै मा पोड़ ग्या वा अपण ब्वै बबा कि मुखालफत नि कैर पै।
जी मि तुमथैं हि पसंद करदु, जोया न फिर बोलि फूट-फूटकि रूण लगि।
इन नि ह्वै सकद!मिन घबरै कि बोलि,मि इतगा घबरै ग्यूं कि मेरी समझ मा कुछ नि आणु छा, जोया ई सच च क्या?कखि मेरी बात क यकीन कैरिक त हां नि बोलि तिन!म्यांर बथा मा विश्वास न कैर। हे भगवान ई क्या ह्वै,?
जोया मि यकीन कन लैक नि छौं मी त्वै से जरा भि प्रेम नी…वु त मिन इन्नी बोलि, मी सरया समाज कि बद्दुआ लगयां अगर मिन सच बोलि ह्वा त!
मी यकीन च कि तु भि मीसे प्रेम नि करदी, प्यार व्यार सब बेकार कि बात छन….।
मि बदहवास ह्वैकि बेंच क चरया तरफ रिटण बैठ ग्यूं अरे ई सब मजाक च जोया!प्यार व्यार कुछ नि हूंद!शादी ब्यो सब फालतु चीज छन!जमीन जैजाद का मामला छन ई सब और यूं मामलो कि वजा से हमरू ब्यो हूणूच, त्वै से ब्यौ कनसे त भलु च कि मि एक भारि ढुंग अपण गला मा लटकै दियूं। वूं आखिर क्या हक च, वु हमथैं अपण गुलाम समझदा छन जनकि हम कुकर ह्वा कि जब मर्जी कखि भी बांध द्या, ना हम न ई ब्यो नि करण ….कुछ भि ह्वै जा!हमन अब तलक वूंकि सरया बात मनिन, पर अब ना!अभि जैकि ब्वलदु मि त्वै से ब्यो नि कैर सकदु, बस बात खतम।
अचानक हि जोया न रूण बन्द कैर द्या और एक पल मा हि आंसू भि सूखि गैं!
मि अपण जुनून मा ब्वलण ही लगीयूं छा, मि अभि बतै दयूंल तु भि बतै दे कि तु बलनीत्सिन से प्रेम करदि, बोलि दे कि वै से हि ब्यो करण मिन!
म्यांर दगड़ चलदा चलदा जोया हैंसण लगि, भौ खुश दिखेणी छै!
तुमथैं भि त कैसे प्रेम च एक हथल दुसर हथ सहलाकि बोलि तुम मोहतरमा देबे से प्रेम करदा छां!हां ठीक बुनी मि देबे थैं हि चांदु!वा हमरा धर्म की नी वा भौत पैसावली भि नी पर वा भौत नेक और दयालु च!भौत समझदार बस इलै हि मि वीं पसंद करदु!घौरवला अब गालि दयाव पर मि ब्यो वींसे ही करण!मि वीं अपणि जान से ज़्यादा चांदु वींक बिना जीवन बेकार च!वींका बिन मि जी नि सकदु!अगर म्यांर ब्यो देबे से नि ह्वाल त मि जीता जी मोरि जौंल, चला चलदा छां यूं बाजीगरों थैं बता दीवां कि हमन यी ब्यो नि करण!मि त्यार आभारी छौं कि तिन मेरी बात मानि!हम द्विया खुशी न पागल ह्वै ग्यां!मि बार बार जोया क आभार कनू वा खुशी न म्यांर हथ चुमणी!हम एक दुसरा थैं नेक और ईमानदार बताणां छा!फिर जोया म्यांर माथा और गलव्डो थैं चुमण लगि, मि बार बार वींक हथ चुमणूं छा,मि वींक एहसान ताल इतगा दबि ग्यों कि सरया तमीज भूल ग्यों और वीकि कौलि भ्वरण लगयूं!ब्वलण क मतलब च कि एक दुसर से प्यार न हूणक इजहार इतगा खुशगवार छा कि वु प्रेम क इजहार से ज्यादा जरूरी लगणं लगि!हमरा मुख खुशी से लाल ह्वै गैं और घौर कि तरफ जाण लगयां ब्वै बबा थैं फैसला कि जानकारी दींणकु!
अरे वु हमथैं गालि ही त द्याला हमरि पिटै कारला!मि जोश मा बुनू छा, हद से ज्यादा घौर बटिक निकाल द्याला पर हम त खुश रौंला!
घौर पौछिक दयाख ब्वै बबा वखि दरव्जा क पास हमर बाट देखणा छा हमरा खुशी न चमकदा मुख देखिक तुरंत वून नौकर से शैम्पेन कि बोतल ल्याण क बोलि!
मिन विरोध करण शुरू कैरि!हथ उठैकि खुटा पटकिक अपण बात ब्वलण लगयूं!जोया भि चिल्लाणी छै!और रूणी छै, हंगामा ह्वै ग्या आखिर वै दिन शैम्पेन नि खुलि!
पर आखिर हमर ब्यो करै द्या!
आज हमर ब्यो कि रजत जयंती च!हम पिछल पच्चीस साल से एक दुसर दगड़ छंवा!
शुरू मा भौत मुश्किल ह्वाई मि रोज जोया थैं गालि दींद छा,और डंटुद छा!कभी-कभार हथ भि छवड़दु छा, पर बाद मा दुखी ह्वैकि और तरस खै कि प्यार भि करदु छाई, वूं दुख भरा दिनो मा हि एक एक कैरिक हमरा बच्चा हुनि और फिर हम द्वियो थैं एक दुसरा कि आदत पोड़ गै!ऐ बगत मेरी प्यारी जोया मेरि पीठ क पिछनै खडी च म्यांर कंधो मा हथ धैरिक म्यांर सपाट मुंड चुमणी च।