
उत्तराखंड संबंधित पौराणिक पात्रों की कहानियां श्रृंखला
300 से बिंडी मौलिक गढ़वळि कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
पुराण को अर्थ हूंद पुरण या इतिहास। भूतकाल की कथा रूप म सूचना ही पुराण छन। पुराण हिन्दू -जैन धर्मों क आख्यान छन जखमा ऋषि , राजा, दिवताओं क कर्म विषय कथा से बताये जांद।
300 से बिंडी मौलिक गढ़वळि कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
पुराण को अर्थ हूंद पुरण या इतिहास। भूतकाल की कथा रूप म सूचना ही पुराण छन। पुराण हिन्दू -जैन धर्मों क आख्यान छन जखमा ऋषि , राजा, दिवताओं क कर्म विषय कथा से बताये जांद।
पुराण म चमत्कार अवश्य हूंद। बिन चमत्कार का पुराण नि हूंदन। रचना, उपरछना , राजाओं क वंश , मनुष्यों क शासन , विभिन्न राजवंशों क गतिविधि पुराणों क विशेषता हूंदी।
हिन्दू संबंधी पुराणों क रचयिता, रचनाकाल म सूचना अज्ञात च किन्तु जैन पुराणों क सूचना मिलदी च। पुराणों क रचनाकार भौत ह्वेन अर संस्कृति अनुसार रचनाकार को नाम व्यास दिए गे। यि दिखे गे कि प्रत्येक पुराण क विषय भिन्न छन। इख तक एकी पुराण की भिन्न भिन्न पांडुलिपि बि मिलेन।
प्रत्येक हिन्दू अर जैन धर्मी पुराण को उद्देश्य च लोगों तैं अपर सही पंथ पर लिजाण। लोगों म कर्मकांड व दिवतौं प्रति सम्मान लाण।
पुराण निम्न छन –
संख्या — पुराण नाम , श्लोक संख्याएँ, मुख्य विषय
(1)ब्रह्म-पुराण—10000,आदि पुराण , सृष्टि उतपन्न, मनु उतपति , वंशावली , देव -प्राणियों उतपति इतिहास
(2)पद्म-पुराण—55000,भौत सा विषय छन , विष्णु भक्ति च लगभग पांचवीं सदी म रचना
(3)विष्णुपुराण—23000, विष्णु परम देवता अर विष्णु कथा केंद्र
(4)शिवपुराण—24000, शिव मुख्य देवता
(5)श्रीमद्भागवत पुराण—18000,विष्णु का आस पास कथा चल्दन
(6)नारद पुराण—25000, महापुराण , वैष्णव उत्स्व व कर्मकांड , मोक्ष आदि
(7)मार्कण्डेय पुराण—9000, इंद्र , गृहस्थ आश्रम व देवी माहत्म मुख्य
(8)अग्नि पुराण—10500, विष्णु अवतार वर्णन शास्त्र , विद्या आदि
(9)भविष्य पुराण—14500, भविष्य निर्धारण
(10)ब्रह्मवैवर्त पुराण—18000, वैष्णव पुराण , कृष्ण लीला
(11)लिंग पुराण—11000,शिव उपासना
(12)वराह पुराण—24000, बारह विष्णु अवतार
(13)स्कन्द पुराण—81000, कार्तिकेय संबंधी विषय , गढ़वाल विषय आदि
(14)वामन पुराण—10000,विष्णु वामन अवतार
(15)कूर्म पुराण—17000, विष्णु कूर्म अवतार
(16)मत्स्य पुराण—14000,, जल प्रलय अर कलियुग राजाओं वर्णन
(17)गरुड़ पुराण—19000, वैष्णनव पुराण , मृत्यु कर्मकांड अर धारिक कथा-क्रिया
(18)ब्रह्माण्ड पुराण—12000—
(1)ब्रह्म-पुराण—10000,आदि पुराण , सृष्टि उतपन्न, मनु उतपति , वंशावली , देव -प्राणियों उतपति इतिहास
(2)पद्म-पुराण—55000,भौत सा विषय छन , विष्णु भक्ति च लगभग पांचवीं सदी म रचना
(3)विष्णुपुराण—23000, विष्णु परम देवता अर विष्णु कथा केंद्र
(4)शिवपुराण—24000, शिव मुख्य देवता
(5)श्रीमद्भागवत पुराण—18000,विष्णु का आस पास कथा चल्दन
(6)नारद पुराण—25000, महापुराण , वैष्णव उत्स्व व कर्मकांड , मोक्ष आदि
(7)मार्कण्डेय पुराण—9000, इंद्र , गृहस्थ आश्रम व देवी माहत्म मुख्य
(8)अग्नि पुराण—10500, विष्णु अवतार वर्णन शास्त्र , विद्या आदि
(9)भविष्य पुराण—14500, भविष्य निर्धारण
(10)ब्रह्मवैवर्त पुराण—18000, वैष्णव पुराण , कृष्ण लीला
(11)लिंग पुराण—11000,शिव उपासना
(12)वराह पुराण—24000, बारह विष्णु अवतार
(13)स्कन्द पुराण—81000, कार्तिकेय संबंधी विषय , गढ़वाल विषय आदि
(14)वामन पुराण—10000,विष्णु वामन अवतार
(15)कूर्म पुराण—17000, विष्णु कूर्म अवतार
(16)मत्स्य पुराण—14000,, जल प्रलय अर कलियुग राजाओं वर्णन
(17)गरुड़ पुराण—19000, वैष्णनव पुराण , मृत्यु कर्मकांड अर धारिक कथा-क्रिया
(18)ब्रह्माण्ड पुराण—12000—
कुल योग 3,95,000 छन
महाभारत – महाकाव्य
रामायण – महाकाव्य
महाभारत म सर्वाधिक कथा छन। महाभारत क कथा उत्तराखंड संबंधित बि छन कारण उत्तराखंड सहयोग रूप या अधिकार रूप म हस्तिनापुर से संबंधित छौ। इन लगद पूर्वी गढ़वाल अर कुमाऊं पांडव प्रेमी /सहयोगी छौ तो पश्चिमी गढ़वाल अर हिमाचल दुर्योधन सहयोगी।
नवाड़ी साखी तैं पुराण ज्ञान आवश्यक च
यदि कै बि देश तैं मानवीय अर भौतिक विकास करण तो अपर जड़ों ज्ञान व जड़ों से प्रेम आवश्यक च। जड़ हम तैं मानव सभ्यता विकास क कथा बताण म सहायक हूंद। हमर गर्व तैं प्रज्वलित करदो अर मन म गर्व व आत्मस्वाभिमान उतपन्न करद। जड़ कथा हम तैं तब को विज्ञान , सामाजिक उत्थान -सामजिक हिट क चित्र दर्शांद। पुराणों से हम समाज म सामजिक नियम पालन की महिमा समज सकदा। समाज हिट हेतु सामुदायिक कार्य व व्यक्तिगत योगदान -व्यक्तिगत कृतित्व क महत्व समझदवां जनकि समुद्र मंथन म देवताओं व दानवों क अपर अपर सामजिक हित हेतु सामुदायिक योगदान व राहु केतु द्वारा व्यक्तिगत योगदान को महत्व तो मिलदो ही च , भगवान शिव द्वारा पुरो समाज हेतु बलिदान (विषपान ) क महत्व बि दिखे जांद। पुराण विचार करणो महत्व ही नि बिंगांदन अपितु कर्म (execution ) ही सब कुछ हूंद पर भी जोर दींदन। पुराणों म चमत्कार वास्तव म सिखान्दन कि बिन अभिनव कार्य को अभिनव फल प्राप्ति नि हूंद। भक्ति हम तैं जीवन म ध्यान व समर्पण को महत्व बि बिंगांद। अर यी सब नई साखी तैं सिखण , गुणन अर क्रियावनित करणों उद्यत हूण बि सिखांद।
पुराण आलस, लोभ , कुतर्क , कुसंगति , कुढब , , व्याधि दूर करण को अलख जगांद। , लक्ष्य प्राप्ति म संघर्ष आवश्यक हूंद प्रत्येक पुराण क उद्देश्य च। उद्देश्य प्राप्ति हेतु मानव हिट सर्वोपरि हूंद बि पुराण सिखान्दन। पुराण दिन प्रतिदिन की समस्याओं समाधान हेतु समाधान बि बतांदन।