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नेपाली में भी सर्वनाम संज्ञा या सर्वनाम की जगह प्रयोग होता है
कृष्ण प्रसाद पराजुली व कृष्ण प्रसाद पराजुली ने नेपाली सर्वनामों को छ भागो में विभाजित किया है
१- पुरुष वाचक ;
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१-प्रथम पुरुष —————-म ——————————
मध्यम पु.———————–तं/
अन्य पु. ————————उ ——————————
२-दर्शक वाचक —————-यो ——————————
दर्शक वाचक——————-त्यो ——————————
दर्शक वाचक——————यहाँ /त्यहाँ ——————————
३-सम्बन्धवाचक ————————–केही
४& ५ प्रश्न वाचक —————— ————जो, जस्ले,जे, जुन ——————————
नेपाली मे भी सर्वनाम लिंग भेद क्रिया से होता है
बाल कृष्ण बाल कहते हैं कि यह देखा गया है कि नेपाली में सर्वनाम में कारकों व संख्याओं का प्रयोग अधिकतर अनियमित होते हैं
सर्वनाम में लिंग भेद के उदहारण :
उ ( वह, पुल्लिंग )
तिनी (वह , स्त्रीलिंग)
उस्को (उसका , पुल्लिंग)
तिनको (उसकी , स्त्रीलिंग )
उस्लाई ( उसको पुल्लिंग )
तिनलाई (उसको, पुल्लिंग)
जी.जी. रोजर्स (१९५१) ‘कोलोक्वियल नेपाली ‘ पुस्तक में लिखते हैं कि गढ़वाली व कुमाउंनी भाषाओँ कि तरह ही सर्वनामों को आदरसूचक भी बनया जाता है . यथा
सर्वनाम ———–आदर देने हेतु परिवर्तित
म ————————मऐ
तं————————–तैं
उ ————————-उई
संदर्भ :
१- अबोध बंधु बहुगुणा , १९६० , गढ़वाली व्याकरण की रूप रेखा, गढ़वाल साहित्य मंडल , दिल्ली
२- बाल कृष्ण बाल , स्ट्रक्चर ऑफ़ नेपाली ग्रैमर , मदन पुरूस्कार, पुस्तकालय , नेपाल
३- भवानी दत्त उप्रेती , १९७६, कुमाउंनी भाषा अध्ययन, कुमाउंनी समिति, इलाहाबाद
४- रजनी कुकरेती, २०१०, गढ़वाली भाषा का व्याकरण, विनसर पब्लिशिंग कं. देहरादून
५- कन्हयालाल डंड़रियाल , गढ़वाली शब्दकोश, २०११-२०१२ , शैलवाणी साप्ताहिक, कोटद्वार, में लम्बी लेखमाला
६- अरविन्द पुरोहित , बीना बेंजवाल , २००७, गढ़वाली -हिंदी शब्दकोश , विनसर प्रकाशन, देहरादून
७- श्री एम्’एस. मेहता (मेरा पहाड़ ) से बातचीत
८- श्रीमती हीरा देवी नयाल (पालूड़ी, बेलधार , अल्मोड़ा) , मुंबई से कुमाउंनी शब्दों के बारे में बातचीत
९- श्रीमती शकुंतला देवी , अछ्ब, पन्द्र-बीस क्षेत्र, , नेपाल, नेपाली भाषा सम्बन्धित पूछताछ
१० – भूपति ढकाल , १९८७ , नेपाली व्याकरण को संक्षिप्त दिग्दर्शन , रत्न पुस्तक , भण्डार, नेपाल
११- कृष्ण प्रसाद पराजुली , १९८४, राम्रो रचना , मीठो नेपाली, सहयोगी प्रेस, नेपाल