अबोध बन्धु बहुगुणा ने लिखा है की संज्ञाओं के बदले प्रयुक्त होने वाले शब्दों को सर्वनाम कहा जाता है.
कुमाउंनी भाषा में सर्वनाम में दो लिंग, दो वचन और विकारी (Declinable ) एवम अविकारी (Indeclinable ) कारक (Cases ) प्रत्ययों से युक्त होते हैं . यह देखा गयी है कि सर्वनामों में संबोधन कारक नही होते हैं. चूँकि लिंग, वचन व कारक तत्व अभिभाज्य होते हैं , इसलिए कुमाउंनी व्याकर्णाचार्य डा. भवानी दत्त उप्रेती ने सर्वनाम अध्ययन हेतु लिंग, वचन व कारक का अध्ययन साथ ही होना अनिवार्य माना है
कुमाउंनी भाषा में लिंग भेद दो स्तरों पर किया जाता है
१- लिंग व्युत्पादकों पर लगाया हुआ प्रत्यय
२- वाक्यस्तर में लिंग भेद
कुमाउंनी सर्वनाम- लिंग -वोधक प्रत्यय
सर्वनाम में दो ही लिंग होते हैं
१- पुल्लिंग सर्वनाम पर लगा प्रत्यय
२- स्त्रीलिंग सर्वनाम पर लगा प्रत्यय
अ – -ओकारांत का -ओ –
पुल्लिंग वोधक जहां निजवाचक सर्वनाम में न् और सम्बन्ध वाची सर्वनाम में र् अथवा क् के पश्चात लगता है . इसके दो रूप मिलते हैं -ओ और -आ
क–ओ= ओ प्रत्यय एक वचन पुल्लिंग या सम्बन्ध वाचक सर्वनाम के ओकारांत रूपों में मिलता है .यथा
आपुन् +ओ = आपुनो (अपना )
वीक् + ओ=वीको (उसका)
तेर् + ओ = तेरो (तेरा )
ख – ओकारांत का -आ: ओकारांत सर्वनाम सभी बहुवचन रूप में ही मिलते हैं. यथा
आपुन् = आ =आपुना (अपने )
वीक् = आ = वीका (उसके )
त्यार् + आ= त्यारा (तेरे )
हमोर् + ओ =हमोरो (हमारे )
ब- -इ : सर्वनामों मे इ
सर्वनामों मे इ प्रत्यय स्त्रीवोधक है . इ का प्रयोग एक वचन व बहुवचन में एक समान होता है
आपुन् + इ = आपुनि (अपनी)
वीक् + इ = वीकि (उसकी )
तेर् =इ = तेरि (तेरी )
मेर् + इ = मेरि (मेरी )
हमार् + इ = हमारि (हमारी )
कुमाउंनी भाषा मे विशेषण व क्रिया से सर्वनाम का लिंग बोध
जब भी कोई लिंग विशेषण या क्रिया पर आधारित हो तो कुमाउंनी भाषा मे वाक्य स्तर पर सर्वनाम का लिंग बोध क्रियाएं व विशेषणों के लिंग से होता है
वाक्य स्तर पर विशेषण आधारित लिंग बोध
१- -ओ प्रत्यय से स्त्रीलिंग का बोध होता है – यथा
मैं कालो छूं (मै काला हूं ),
तैं बड़ो निको छै (तू बड़ा अच्छा है )
२- -इ प्रत्यय से स्त्रीलिंग का बोध होता है . जैसे
मैं कालि छूं (मै काली हूं )
तैं बड़ी निकि छै (तू बड़ी अच्छी है )
वाक्य स्तर पर क्रिया आधारित लिंग बोध
क्रिया के अंत में जुड़े हुए पुल्लिंग या त्रिलिंग वोधक पर प्रत्ययों से सर्वनाम की लिंग निर्णय होता है .यथा
तैं खांछै (तू खता है )
तैं खांछि (तू खाती है )
वु खान्छ (वह खता है )
वु खान्छी (वह खाती है )
कुमाउंनी में उत्तम पुरुष सर्वनाम का लिंग बोध केवल विशेषण द्वारा सम्भव है क्योंकि उत्तम पुरुष में क्रिया लिंग समान पाए जाते हैं
सर्वनाम वचन व कारक रूप
उत्तम पुरुष वाचक सर्वनाम
एक वचन—————————
अविकारी————विकारी ————————अविका
मैं—————–मैं ——————————
म —————–मी———–
मध्यम पुरुष वाचक सर्वनाम
———————- एक वचन ——————————
———————– अविकारी ——–विकारी—————-
मध्य पुरुष वाचक ———————– ऐ ——————————
मध्य पुरुष वाचक————————इ ——————————
मध्य पुरुष वाचक————————ए-
मध्य पुरुष वाचक————————या ——————————
मध्य पुरुष वाचक ———————-ऊँ——
मध्य पुरुष आदरसूचक— तैं ———–तैं—————-
मध्य पुरुष आदरसूचक—तु ————-त्वी ——————————
मध्य पुरुष आदरसूचक — ————-ते ——————————
मध्य पुरुष आदरसूचक—————-त्या—
मध्य पुरुष आदरसूचक—————–त्वे ——————————
मध्य पुरुष आदरसूचक- आपूं———आपूं ——————————
अन्य पुरुष निश्चय वाचक सर्वनाम
—————————- एक वचन ——————————
————————- –अविकारी ——–विकारी—————-
१- दूरवर्ती द्योत्तक— – उ —————वी ——————————
२- निकटवर्ती द्योत्तक –वो—————ये———
आदर सूचक ————-आफु ————-आफु ——————————
आदर सूचक ————-आफ ————-आफ—————
निश्चय वाचक सर्वनाम एक वचन में -ई , तथा बहुवचन में ऐ जुड़ता है. योई, (यही ) , उई (वही ) , इनै (ये ही ), उनै (वे ही )
प्रश्न वाचक सर्वनाम
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————————- –अविकारी ——–विकारी—————-
प्राणी वोधक —————को ————–कै ——————————
अप्राणी वोधक————-के —————-के ——————————
अनिश्चय वाचक सर्वनाम
——————————
————————- –अविकारी ——–विकारी—————-
प्राणी वोधक ————-कवी, कोई ——- के ——————————
परिमाण वोधक———–कुछ ————-कुछ ——————————
परिमाण वाचक व
सम्पूर्णता द्योतक ——शब्—————शब् ——————————
—————————-
सम्बन्ध वाचक सर्वनाम
——————————
————————- –अविकारी ——–विकारी—————-
सम्बन्ध वाचक ———-जो—————-जै ——————————
नित्य सम्बन्धी ———शो —————-तै ——————————
नित्य सम्बन्धी———तो ——————————
परस्परता वोधक सर्वनाम
परस्परता वोधक सर्वनाम केवल बहुवचन में होते हैं
————————- –अविकारी ——–विकारी
परस्परता वोधक ——– आपश————आपशून
निजवाचक वोधक सर्वनाम
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————————- –अविकारी ——–विकारी—————-
————————–आपुन ————आपुना————-
अविकारी कारक एकवचन व वहुवचन सर्वनाम
कुमाउंनी में अविकारी कारक एक वचन बहुवचन में परिवर्तित होता है . किन्तु दुसरे के अंतर्गत एक वचन और वहुवचन के रूप समान रहते हैं .
बहुवचन में परिवर्तन होने वाले सर्वनाम
वे जो एकवचन में स्वरांत होते हैं व बहुवचन में ब्यंजनांत हो जाते है – एक वचन क बहुवचन कक में, एकवचन अ बहुवचन अक में बदल जाता है. वैसे हम और हमि भी इसी कोटि में आते हैं जो smay, jati bhed के मुक्त परिवर्तन के उदाहरण
हम -उत्तम पुरुष बहुवचन द्योतक सर्वनाम है
तुम माध्यम पुरुष बहुवचन द्योतक है
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कुछ अन्य नियमों के उदहारण
कुछ, शप, आफु
हम , हमुन
तुम , तुमन
उन , उनुन
इन , इनून
हमूनले (हमने ), हमून (हमको)
हमुंका (हमारा) , हमुश (हमको) , हमुकैं (हमको) , हमुकणि
आपुनान (अपनों को )
शबोका (सबका ) , शबाका (सबके) , शबकि (सबकी)
हमोरो, हमारा , हमरी , तुमोरो, तुमारा , तुमरी , इनोरो , इनारा, उनोरी , उनारा, उर्नार,
हम लोगून, हम शब्, हम शबुन , शब् जन, शब जनून
मेरवे (मेरा ही ) , तेर्वे (तेरा ही) , तुमी ((तुम ही) , मैंइ (मै ही ) , उनि (वे ही ) इनी (ये ही ) , हमई (हम ही ) , , उनीर्वे (उनका ही ) , इनौर्वे (इनका ही )