निर्दयी पत्रकार ( ननि नाटिका )
(ननि -ननि नाटिका श्रृंखला, Short Skits )
प्ररु – भीष्म कुकरेती
एक पुळ
पुळम एक पत्रकार खड़ च अर स्वतः – आज तीन दिन ह्वे गेन अर मैं तैं कथा नि मील कि मि न्यूज पेपरौ कुण कथा न्यूज लि जौं। हे भगवन क्या कौरूं ? पत्रकार तै तीन दिन तक कथा नि मील त शर्म कि बात च। यां से भल त ये पुळ बिटेन फाळ मारि ज्यू दे दींदु।
(पत्रकार जनि फाळ मरणो हूंद एक महिला क पुळ म प्रवेश )
महिला – जीवित रैक क्या करण ? प्रत्येक क्षण लोकुं लांछन खाण से भल च कि मि जान दे द्यूं। आज इखम पुळ बिटेन फाळ मारदु …. (महिला अपण दुःख पत्रकार तैं सुणांदि ) पत्रकार जी दगड़ म फाळ मरला।
(द्वी फाळ मरण इ वाळ छन कि एक मनिख आंदो )
मनिख – जैक धर्मपत्नी स्वामिभक्त नि ह्वावो वै तै जीवित रैक क्या लाभ ? (
मनिख – (पत्रकार अर महिला तै वृतांत सुणांद ) मि बि तुमर दगड़ फाळ मारि ज्यू दीन्दो
जनि तिनि फाळ मरणो हूंदन कि एक नेता आंद।
नेता – सरा प्रदेश की हजार किलो मित्र पद यात्रा कार फिर बि जनता न वोट नि दे। उल्टां जमानत जब्त ह्वे गे। जीवित रैकी क्या करण ?
नेता – (अपण करुणा माय कथा सुणांद ) मि बि तुमर दगड़ फाळ मारि ज्यू द्यूँद।
महिला – ठीक च हम सब चर्री इकदगड़ी पुळ बिटेन फाळ मरला।
सब – हाँ हम सौब एक दगड़ी …
सब फाळ मरदन किंतु पत्रकार फाळ नि मारद। अपितु सब तै फाळ मरदो छायाचित्र लीन्दो।
पत्रकार (पुळेक , नाचद नाचद ) – अंत म तीन दिन प्रतीक्षा उपरांत कथा मीलि गे।