पोखु देबता मंदिर,नैटवाड़
उत्तरकाशी मंदिर श्रिंखला-८
आलेख -लोकप्रिय लेखिका अनिता नैथानी ढौंडियाल
पाखु देबता मंदिर उत्तराखंड क उत्तरकाशी जिला क नैटवाड़ गौंं म यमुना नदी क सहायक टोंस नदी क किनरा स्थित च।पोखु देबता तैं लोग न्याय दिबता क रुप मा भि पूजदन।नैटवाड़ गौंं पौंछणक सैलान्यूं तैं चकराता बटी चकराता शिमला रस्तम बस्यूं ट्यूनी जाण प्वड़दू। ईं घाटी बटी एक संगड़ू रस्ता एक लुआ पुल पर मिलदू,जु यात्र्यूं तैं पोखू देबतक मंदिर म पौंछांदु। यु मंदिर भि न्याय कु तैं परसिद च। भौत पुरणौं बटी इन मनै जांद कि यख हाजिरी लगौंंण वलौं तैं हमेशा भौत जल्दी न्याय मिलद। बिस्वास करण वला भौत लोग रोज अपरी अपरी मनौती लैकी पौंछदन।
जल्दी न्याय क मिन्नक आस वालौं तैं मंदिर क कायदा कानूनौं तैं भि मनण प्वड़दू।वख रौंण वला लोग कोर्ट कचरीक चक्कर लगौंण क बदला यख औंण जादा पसंद करदन। ऊंकु बिशवास च कि यख ऊंतैं जल्दी न्याय मिलद।पोखु देबता मंदिर क विश्वास गौं क अलावा सर्या क्षेत्र क लोगूं कि भौत श्रृद्धा च।इलै यु ये क्षेत्रो क राजा मनै जांद। क्षेत्र क हर गौं म दथड़ी अर चक्कूं क रुप मा देबते पूजा करे जांद। इन मनै जांद कि पोखु देबता कु मुक पाताल लोकम अर कमर से ऐंचो हिस्सा धरती पर च। इ उल्टा अर नग्नावस्था मा छन।
इलै पोखु देबता तैं देखण ठीक नि मनै जांद।इलै ई मंदिरा पुजरी अर भग्त देबतै तरप पीट कैरी पूजा करदन इन मनै जांद कि पोखु देबता कर्ण क प्रतिनिधि अर भगवान शिव का सेवक छन।जौंकु रुप डरावणु अर सोभावु कठोर च। ए वजै से ये क्षेत्र म लोग चोरी चपरी कन्न से डरदा छन। ये क्षेत्र म क्वी बि परेशानी य संकट औणम पोखु देबता गौं क लोगूं कि मदद करदन। ये वास्ता यु मंदिर एक परसिद तीर्थ च। जून अर अगस्त क मैना यख भौत बड़ू मेला लगदन।
एक पुरणी कथम मंदिरा बारम बुलै गी कि भौत पैली ये क्षेत्र म किरिमर नौ क रक्षसन भौत उतपात मचै त लोगूं की रक्षा करणूं दुर्योधन न रक्षस दगड़ी लड़ै कैरी अर वेकु गौलु काटी टौंस नदी मा फेंक दे।किरिमर रक्षसो मुंड उल्टी तरफ बगण लगी अर रुपिन अर सुपिन नदी क संगम म रुक गी।
राजा दुर्योधन न जब राक्षसों मुंड रुक्यूं देखि तवेन वेतैं वखमी स्थापित कर देअर मंदिर बणै दे।जु अब पोखवीर क नौ से जणैं जांद। मंदिरा बारा मा एक कानी या भि च कि राक्षस किरिमर ना वर्भुवाहन छौ। भगवान कृष्ण न माभरतै लड़ै से पैली वेकु मुंड काट्यली छौ । ईं तरफां एक खासियत च कि यख कै जगा कौरवों की पूजा होंदी अर यख दुर्योधन कु मंदिर भि स्थापित च। एक मंदिर म त कर्णें पूजा भि करे जांद।