नरोत्तम दास जी से प्रेरित
स्टेज मा सुदामा अर वूं कि पत्नी सुशीला टूटीं फूटीं झोपड़ि का भितर बैठ्यां छन।
सुशीला कु सुदामा से – (दोहा)
हे स्वामी जी कृष्ण तुमारा, बचपन का छन मीत ।
दीनदयाल छन प्रभु, करिल्या वूं से प्रीत ।।
गाना- लय – कैल बजै मुरूली
दुःख होयुं च अति भारी, हो स्वामी हथ जोड़िक बिनती ।
द्वारिका का नाथ स्वामि, कृष्ण जि भगवान ।
दुःख दरिद्र हरि देंदा दिन दयाल नाम ।
जावा हो स्वामी जी तुम तख, हथ जोड़िक बिनती ।
सुदामा कु सुशीला से – गाना, लय – द्वि हजार आठ भादौं का मास ।
सुण मेरी बामणि प्राण पियारि ।
समझौंदु त्वेकु तैं मेरि बामणि ।।
सुख अर दुःख होंदा जीवन का साथी ।
भगतौं का मुख से या बात नि स्वांदी ।
सुशीला कु गाना –
सूणा बामण प्राण आधार मि लांदू बिनती ,
जावा जावा जावा दुं स्वामी कृष्ण जी का पास
अन्न का कुठार द्यौला धन का भण्डार ।
सुदामा – जब तु लगिं च मेरा पैथर कि जा जा जा जाणक, त मि जौलु कृष्ण जी का पास पर ल्याण क्या च? यख त द्वि दाणि चौंळुं कि बि नि ।
सुशीला – तुम तैयार होवा अर मि पल्या खोळा कि दीदी मुंगे चौंल पैंछा गाड़ी ल्यौंदू ।
सुशीला स्टेज बटि भैर आंदि परदा बंद होंदु अर भितर पल्या खोला कि दीदी कु कमरा फेर तैयार ।
(पल्या खोळा कि दीदी – दोहा -)
बामणि बैंण कख बिटी, आई यख तू आज ।
झटपट बतलै दे भुलि, क्या च तेरु काज ।।
सुशीला – तेरा बामण जी आज कखि जाणा छया । दीदी ! द्वि मुट्ठि चौंल पैंछा दी दे ।
वु दीदी खुशी से द्वी मुठि चौंल देंदि अर सुशीला घौर जैक सुदामा तैं दीक वूं तैं द्वारका भेजदि ।
सुदामा जी द्वारका पौंछदा । लोगों तैं पूछीक पाण्डाल मा कृष्ण दरबार का द्वारपाल से बोलदा – दोहा –
हे चाकर जी भगवान तैं, ली जा यो रैबार ।
दीन सुदामा भैर मूं, करणु तुमारि याद ।।
द्वारपाल भितर जै कि कृष्ण से – महाराज ! भैर मूं यौक गरीब बामण आंयूं च उ अपडु नौ सुदामा बतौणू ।
कृष्ण जी सुदामा कु नाम सुणदि दरबार छोड़िक अपड़ा दगड़्या का पैरूं मा सेवा लगैक गळा मिलदा ।
कृष्ण कु सुदामा से – तर्ज – जौं भयुं कि होणि होलि ऊ कठा राला ।
पैलागु सुदामा तुम कख बे आयां,
कन खुद मिटाई त्वेन हे दगड़्या ।
आज तक यख नि आया कख रंया ?
यूं खुट्युं का हाल यन कख होंया ।
तुमारि हालत देखि औंदि दया ।
कृष्ण जी सुदामा तैं अपणा आसन मा बिठैक पाणि कि परात मंगौंदिन अर रौदा- रौंदा वूं का पैर धौंदा ।
फिर खाणौं खिलैक बैठाल्दा । फिर सुदामा से वैका बदन मा टटोलि कि बोलदा गाना –
कख लुकायो ऐ सुदामा, भाभिन भेजी छो मि कु कलेवा ।
स्कुल मा त्वेन चना चबैन, मिकु नि दीन्या अफ्वी खैन ।
देखा दुं अब त बुड्या ह्वेगेन, पुराणि आदत कखि नि गैंन ।
अर चौंलु कि पोटली मां बटि द्वि मुट्ठी चौंळ खै देंदान, तीसरी मुट्ठि खाण से पैलि रुक्मिणी कृष्ण जी कु हाथ रोकदि अर यु गाना बोलदिं – लय – नीरू घिंघोरा कि दाणि खेजा ।
स्वामि जी जरा तुम रुका दूं ,
सोचि बिचारिकि काम कनू ।
द्वि लोक दिल्या तुम दान यनू ,
अफूक नि चैंदू ठौर जनू ।
अब सुदामा – अच्छू मि अब घौर चलदू मेरी घरवाळ मेरु इन्तजार ह्वलि कनी ।
कृष्ण पाण्डाल का रस्ता तक सुदामा तैं भेजण क आंदा अर यु गाना बोदा – लय – आज चलि जौंलू , भोळ चली जौंलू, परस्यों तैं चली जौंलू.. (कबूतरी देवी)।
जावा मेरा भैजी जावा तुम घौर, नाराज ना होयां ।
भाभी जि तैं द्वि हाथ जोड़िक, परणाम बोलि दियां ।
बाटा घाटा पुन समळीक जाण, ढ्वौळ अर ढुंगु देख्या ।
कुशल रौला फिर भेंट होलि, आशीष देई जाला ।
नि होयी सेवा भक्ति हमूं से, नाराज नि होण ।
कुशल रोला फिर सेवा करला, आशीष देई जैया ।
रौंदा- रौंदि कृष्ण वापिस अपणा दरबार मां आंदा अर सुदामा जी चली जांदा । परदा बंद ।
सुदामा जी कु रास्ता मां गाना –
तरज – “तुम्ही मेरा मंदिर तु ही मेरि पूजा“ वाला गाना कि चार ।
नि जांदू नि जांदू मैं त, तती बोलि मैंन ।
बणीगे पर्वाण स्या त, जिदी करी तीं न ।
निरदयी च कृष्ण तू त नि च त्वैकु दय्या ।
चिफली च घिच्ची तेरि बोद फिर अय्या ।
स्टेज मा अनेक सेविकाओं दगडि सुशीला सजी धजी क बैठीं च ।
पाण्डाल मा भैर बे सुदामा जी आंदा अर गीत गांदा – लय – उडी जा कागा बादलों बीच वाला गाना से मिलती जुलती
कख होली मेरी स्या टूटीं झोपड़ि,
या सुध नि रे मी तैं अपड़ि ।
क्या भूलि गौं मि बाटु वो घर कू,
कख होलि मेरी बामणि प्यारि ।
सुशीला भैर ऐक सुदामा तैं सेवा लांदि अर दोहा बोलदि –
हे स्वामी जी देखा दूं, लीला कृष्ण अपार ।
राज पाट दीले हमु कु, करली हमारु उद्धार ।
संकलक- सच्चिदानंद सेमवाल
साभार- भीष्म कुकरेती