(रूसी कहानी)मूल आंतोन चेखव
अनु- जनप्रिय लेखिका सरोज शर्मा
आम जनता क बीच से एक गुमनाम शिकैती पत्र पाणक बाद जिलाधिकारी प्योतर पसूदीन न ल एक ‘न’ नौ का कस्बा नुमा शहर क दौरा कनक सोचि और ऐ टैम वु तीन घ्वाड़ो वली बग्घी मा अपणि पछयाण छुपै कि बैठयूं छा, गौं का बाटों बटिक तेजी से ‘न’ शहर क जनै जांणु छाई ।पसूदिन न अपण मुख ओवरकोट का बड़ा काॅलर से ढकयूं छाई, मन ही मन इतरै कि सोचणु छाई कि अब मी क्वी नि पछांण सकदु,मि इन्नी गैब ह्वै गौं जन असमान म धुवां, द्याखा त जरा कतगा नीच और कमीना लोग छन…छिछोरी और घटिया हरक़त करदिन और फिर चलाकि से वूंथै लुकै छुपैकि सोचदन कि वूंक बारा मा कै थैं भि क्या पता उमंग म भोरिक अपणि जीत मा एक दुसरा की पीठ ठोकदन, ।हा हा हा वूंकि इन चालाकि पर पसूदिन की हैंसि ऐ गै, वूं पर हंसदा वु अगनै कि स्वचण लगि, हा हा हा अब पता लगलु यूं पाजियों थैं जब वु जांणला कि मी सब पता च,वु कल्पना करण लगि कन डैर न वूंक पिशाब निकलि जालु, जब मि गोगल क इंस्पेक्टर जन वख पौंछिक सरया जांच पड़ताल करलु और वै इंस्पेक्टर जन हि वूं से बव्ललु-जरा त्यापकिन-ल्यापकिन थैं बुलावा….तब वूंकि सरया हेकड़ी निकल जैलि और घबराट पैदा ह्वै जाल,अपणि चतुरै मा खुश ह्वैकि कोचवान से बात करण लगि, पसूदिन क मन मा हर बड़ अफसर क जन इच्छा बणी कि जनता वै थैं पसंद कार, और वु जनता क बीच लोकप्रिय ह्वै जा, इलै वैन कोचवान से हि सबसे पैल अपण बारा म बात कनि शुरू कैर, ।
पसूदिन न कोचवान से पूछि-बड़ मियां क्या तुम पसूदिन थैं जंणदा छा?
अरे वूंथैं कु नि जंणदु साब!सबि जंणदन…।
त फिर तु हैंसणु किलै छै?
आपन सवाल ही इन करि, हर कारकून, हर छ्वट म्वट मुंशी भी वूंथै अच्छा से जंणद, वु यां खुण ही त यख बैठयां छन कि कि सब्या लोगों थैं पता ह्वा कि वु यख छन।
हां ई बात ता ठीक ब्वनु छै, ई बता कि वु कन आदिम छन तेरी नजर मा?अच्छु च क्या?
ठीक ही च..कोचवान न बोलि..खराब आदिम नी च सबसे बड़ बात वु अपण काम भल से करद वु अभि द्वी साल पैल ही त ऐ,और इतगा काम कैर दीं!कमाल क आदिम च!
अरे इन क्या कैर वैन!जरा मी भि बताव!वूंन कै बड़िया काम कीं भगवान वूंक भल कारो। वूंक आण से हमर शहर भि रेलगाड़ी से जुड़ ग्या, वूंन खखयूर्कफ जन बदमाश थैं जिला बदर कैर वु भौत खराब आदिम छाई, वैन सभि जगा कब्जा करीयूं छाई,!चरया तरफ वैका आदिम बैठयां रैंदा छाई, वैक मरजी बिना जिला मा पत्ता भि नि हिलदु छा,सब्या सरकारी महकमा वैकि हि बात सुणदा छा ,पर जब बटिक पसूदिन साब ऐं खखयूर्कफ जन टुच्चा और नीच शहर से गैब ह्वै गिन जन कि वु कभि नि छा, कोचवान न अगने बोलि सबसे बड़ बात त याच हमर यख रिश्वतखोरी बिल्कुल बंद ह्वै गै, अब क्वी भि काम कराण कु कैकि जेब गरम नि करणि पव्ड़द, पसूदिन साब खुद भि कुछ नि लींदा और ना कै घूस लीण दींदा, सौ द्वी सौ कि त बात हि छ्वाड़ा वूथैं त हजार दस हजार मा भि नि खरीद सकदा, घूस लीण दीण वु बदकारी समझदन,।
भगवान क शुकर च कि लोग मी घूसखोर नि समझदन पसूदिन न मन ही मन मा सोचि, ई अच्छी बात च।
पसूदिन काफि पढयां लिखयां छन, कोचवान न फिर बोलि जरा भि घमण्डी नि छन।
आम जनता दगड़ वूंक बर्ताव भल च, पिछला दिनों हमरी बग्घी यूनियन का कुछ लोग वूंसे मिलण कु गैं, वूंन सबसे पैल हथ मिलै और सब्यूं थैं अपण पास बिठै, और बड़ ध्यान से वूंकि शिकैत सुणि। सबसे बड़ बात त याच कि पसूदिन साब भौत समझदार छन हर बात समझ जंदिन, गिच बटिक निकलि ना कि झट बात पर गैरै से वै मसला पर बात करदिन। वु जनता कि हर दिक्कत हर परेशानि जंणदा छन, और वै दूर कनकि कोशिश करदिन। हमरी यूनियन का लोगों कि शिकैत सुणिक वूंन तुरंत घोड़ागाड़ी मंगै और कुछ देर मा हि हमर बग्घी अड्डा मा पौंछ गैं,अड्डा मा पौंछिक वूंन सरया परेशानी देखि और आनन फानन मा दूर कैर द्या, वूंकि फुर्ती देखिक हमन दांत मा उंगल दबै द्या, सबसे बड़ बात त या कि काम कनका एक भि पैसा नि ल्या, जबकि पैल अफसर क जमन मा इन निछा, पसूदिन साब वूंसे भौत बेहतर छन, हालांकि पुरण अफसर भि बुरा नि छा। ठाठ-बाट से रैंद छा और वूंक गरज सुणिक लोग सहम जांद छा, दस किलोमीटर से हि पता चल जांद छा साब आणा छन, पर असल मा पसूदिन साब हि असली अफसर छन, पसूदिन साब क दिमाग भौत तेज च, वुन त छवटि मवटि कमजोरी त सब मा हि हुंदिन, जनकि सुणयूं च कि पसूदिन साब पींदा भौत छन, पक्का शराबी छन….।
अरे त या कमि च, पसूदिन न सोचि।
त्वै कन पता कि मि….वू भौत पींद?
हां आपकि बात ठीक च । मिन कभि अपण आंखियूंल नि द्याख पर लोगों से सुणि, शायद वूंन भि नि झुमदा झामदा नि देख ह्वाल पर वूंकि शोहरत ही इतगा च सुनण मा ऐ लोगों क समणि त वु ठर्रा छूंदा भि नि छन ना हि कभि कैन वूंथैं पींद देखि,पर वु अपणा घौर मा सदनि पिंदिन….जनकि पता चल कि सुबेर उठदा हि सबसे पैल वोदका गिलास म डलदिन फिर क्वी हौर काम करदा छन,
नौकर चा लांद पर वु वोदका मंगदिन। सरया दिन पीण पिलांण चलद। हैरानि कि बात च कि सरया दिन पीण से भि वूं नशा नि हूंद, यानि कि अपण ख्याल रखदिन, ।एक वु खखयूर्कफ छाई जु पेकि बैहकणु रैंद छा और कुत्ता बणिक भौंकण लग जांद छाई, ।पसूदिन साब इतगा पियकड़ छन वोदका पीणक बाद भि वूंका आंखा लाल हूंदा न मुख सुणि कि वु अपण कमरा बंद कैरिक जनकि लोगों कि नजर नि पोड़ जाम पर जाम चडांदा छन ….।लोगों कि नजर से बचण कु अपणि मेज क भितर एक यन दराज बणयीं च जै मा वूंक बोतल रखीं च, वै बोतल से एक नलि निकलीं च साब थ्वड़ा झुकिक वै नलि मा मुख लगैकि सुड़कणा रंदिन, और पूर नशा मा ऐ जंदिन, वूंकि बग्घी मा भि एक वोदका जरूर रैंद।
ओह त यूं ई भि पता च?