(वियतनामी लोक कथा )
272 से बिंडी गढ़वळि कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
भौत समय पुरण छ्वीं छन। एक कुलीन दम्पति क इख एक पचास वर्षौ वृद्ध पति -पत्नी कार्य करदा छा। भौत पूजा पाठ उपरान्त बि तै दम्पति डेर मूस बि नि जनम। एक दिन तैकी पत्नी लखडों हेतु जंगळ गे। तख गर्मी , ताप , घाम से तैं तीस लग। तैन आतुरदि म एक डाळ तौळ मानव खोपड़ी से पाणी पे दे। यु पाणि बड़ो स्फूर्तिदायक सिद्ध ह्वे। वा गर्भवती रै गे किंतु तैंल पति मथि सोरग चल बस।
नौ मैना उपरान्त वा एक संतान तैं जन्म दींद जो अनोखा प्राणी छौ। तैक खोपड़ी छे जख पर नारियल जन जटा छे, आँख , मुख कंदूड़ अर नाक तो छौ किंतु शेष अंग नि छा। वा महिला तै नवजात तै कखि चुलाण इ वळ छे कि बच्चा बुलण मिसे गे।
बच्चा न ब्वाल , ” मि तै भैर नि चुला। वा वै प्राणी क पालन पोषण करण लग गे। नवजात को नाम तै न ‘सा दुआ ‘ धार।
सा दुआ की शकल देखि कुलीन स्वामी न वीं तै अर बच्चा तैं खेतों मध्य एक झोपडी म भेज दे जां से क्वी बि तै अनोखा प्राणी नि देख साको।
वीं जनानी कुण आजीविका हेतु कार्य करण आवश्यक छौ। वा दुफरा भोजन बिटेन कुछ भात बचैक ‘सा दुआ ; कुण ल्है आंद छे। विकि ब्वे जब कार्य पर चल जा तो वो एक आकर्षक मनुष्य म परिवर्तित ह्वे जाओ अर जनि मां आवो वो नारियल जटा युक्त खोपड़ी म परिवर्तित ह्वे जाओ।
वै बच्चा न अपर मधुर स्वभाव से सबका हृदय जीत आल छौ। ये मध्य वो घर क कार्य कर लींदो छौ किन्तु ब्वेक समज नि आयी कि घर म कार्य कन ह्वे जांद।
एक रात ब्वे रुण मिसे गे कि हौरु बच्चा यीं उमर म गोर -बखर चरै क ली आंदन , स्वामी तै ग्वेर की आवश्यकता च किंतु क्वी नी मिलणु। बच्चा ब्वैकुण बुल्दो कि तू स्वामी से मिला अर मि ग्वेर बणी वैक बखर चरौल। व वै तै स्वामी म लीग अर ‘सा दुआ ‘ ग्वेर बण जांद। बच्चा प्रतियोगी ग्वेर सिद्ध हूंद अर बखर मोटा स्वस्थ ह्वे जांदन। भोजन म बि एक मुट्ठी चौंळु भात परिपूर्ण छौ। हीन मूल्य म बिंडी कार्य !
अब ‘सा दुआ ‘ तै बखर दूर घासक मैदान म लिजाण पड़णु छौ। वैकुण दुफरा भोजन पंहुचाणो कार्य धनीक तीन बेटिओं तै दिए गे। द्वी तो अळग्सियों ब्वे छे वो भोजन घर क न्याड़ धृ दींद छ अर वै तै भोजन लिजाणो बुल्द छा।
किंतु सबसे कणसि दयालु , मयळी छे तो वा स्वयं भोजन लेकि। सा दुआ ‘ म जांदी छे अर वीं तै वैक रहस्य बि ज्ञात ह्वे गे। ‘सा दुआ ‘ बंसुळी बजाण म विज्ञ छौ। भौत दैं ‘सा दुआ ‘ बंसुळी बजाण म व्यस्त रौंद छौ अर वा बंसुळी मधुर ध्वनि सुणनी रौंद छे। वीं तै ‘सा दुआ ‘ से प्रेम ह्वे गे।
धीरे धीरे वा वैकुण स्वादिष्ट भोजन लाण मिसे गे अर वैक दगड़ शिष्ट व्यवहार करण लग गे।
एक दिन वैन अपर ब्वे कुण ब्वाल कि मि स्वामी क एक बेटी से ब्यौ करण चाणु छौ। ब्वे क समज नि आयी जैक केवल मुंड हो वै से ब्यौ करणों कु जि उद्यत होलु। ‘सा दुआ’ मनांदु च अर वैक ब्वे ‘पान अर मेवा ‘ लेक पारम्परिक रूप से धनी स्वामी तै एक बेटी दगड़ ब्यौ क प्रस्ताव दींद। धनी असमंज म छौ किंतु वो मानि गे अर वैन संदेश भयाज , ” यदि वो ‘सा दुआ ‘ मेरो दहेज क शर्त मानि जा तो मि एक बेटी दगड़ वैक ब्यौ कर देलु। “
दहेज हेतु धनी क शर्त छे’ सोना की एक ईंट , दस बंडल रेशम , दस सुंगर अर दस बोतल चौंळु शराब की। व कांस्य पर्लिन को िनत को घर ‘.
धनी तै कै निर्धन द्वारा बेटी क हथ मंगण अति अपमान जनक लग किंतु सांप बि मर जाय व लाठी बि नि टूट युक्ति म वैन इन दहेज मांग कि जो वीं निर्धन महिला कुण दस जनम म बि असंभव छौ।
सा दुआ ‘ दहेज की बात स्वीकार कर दींदु अर धनी कुण निमंत्रण भेज दींदु। धनी अपर बेटिओं तै वस्तुस्थिति बतांदु। द्वी बड़ी तो सीधा ना बोल दींदन किंतु सबसे कणसिन लजैक हाँ बोल दे।
सा दुआ निश्चिंत छौ। वेक ब्वे अर धनी निश्चित छा कि ‘सा दुआ ‘ को अपमान हूण किन्तु संस्कृति अनुसार ब्यौ तक प्रतीक्षा आवश्यक छे।
ब्यौवीके दिन वेक ब्वे आस्चर्यचकित ह्वे कि वींक बांस खटला एक किंग साइज पलंग म परिवर्तित हुयूं छौ अर बांस क झोपड़ी अब कांस्य चांदी क पांच कक्षों क महल बण गे छौ।
सा दुआ उनी छौ चूंकि सा दुआ न शर्त की मांग पूरी कार तो धनी ना नि बोल सकुद छौ। गां वळ दिन भर न्यूतेर क भोजन खाण म व्यस्त छा। कैन नि पूछ कि ‘सा दुआ ‘ कख च।
तब बैडरूम से एक आकर्षक पुरुष ब्योली लेक भैर आयी। वो युगल सब पौणु तै धन्यवाद दींदन। धनी क द्वी बेटी ईर्ष्या म जळ भुन जांदन।
ब्यौ उपरान्त सा दुआ एक छात्र (कन्फ्यूसिस क ज्ञान ) रूप म परीक्षा दींदो अर शत्प्रतिशत अंक प्राप्त करद। तब सम्राट वै तै राजसभा सदस्य क रूप म नियुक्त करदो अर उपरान्त राजदूत पद पर पदोन्नति करद।
सा दुआ तै भैर यात्रा पर रौण पड़द छौ तो वैन अपर पत्नी तै एक चाक़ू , एक चकमक पत्थर अर द्वी अंडा दींद निर्देश दे छौ कि यूं तै प्रत्येक समय अपर दगड़ रख।
जब सा दुआ दूर रौंद तो वींक द्वी बैणि वीं तै समय व्यतीत करणो हेतु नौकायन पर ली जांदन अर जलन म नाव पलटै दींदन अर बोल दींदन कि नौका दुर्घटना म कणसी क मृत्यु ह्वे गे।
सा दुआ की पत्नी तै एक विशाल ह्वेल निगळ दींदु। पति क निर्देश से वींम चाक़ू छौ तो चाक़ू से ह्वेल तै चीर दींदी।। मोर्यूं ह्वेल बगद बगद एक द्वीप म आंद। द्वीप म वा रॉबिन्सन क्रुसो तै खैंचदी अर चाक़ू क सहायता से काटदी , कुछ अंगों तै सुखांदी अर कुछ अंगों से अचार बणाँदी।
चकमक पत्थर से व आग जळांदी। द्वी अंडा ह्वेल क पुटुक से बच जांदन तो वो अब मुर्गा मुर्गी बण गे छा। मुर्गा मुर्गी बच्चा जनमदन। वींक जीवन चलणु छौ द्वीप म वा जहाजों क प्रतीक्षा म रौंदी।
एक दिन मुर्गों न बांग दे कि सरकारी जहाज आयुं च।
जहाज म सा दुआ खड़ा छौ। दुयुंक मिलन हूंद अर द्वी सा दुआ क महल जिना आंदन।
वो अपर पत्नी से बुल्दू कि तू लुक्यूं रौ। वा लुकिं राई। वैन एक पार्टी दे पार्टी म द्वी बैण बि छे जो लज्जाहीन ह्वेक कणसी क अपघात म मृत्यु की ही छ्वीं लगाणा छा। कुछ समय उपरान्त कक्ष से सा दुआ की पत्नी भैर आयी। द्वी जेठ बैणी तब से अंतर्धान ह्वे गेन
सा दुआ अर पत्नीसैकड़ों वर्ष तक सुखी जीवन बिताणा रैन।